
आज के समय में जोड़ों की दर्द की समस्या बहुत आम हो गई है। ऐसा हमारी खराब जीवनशैली की वजह से है। हालांकि विशेषकर बुजुर्ग लोगों को जोड़ों की दर्द की समस्या बनी रहती है। जोड़ों में दर्द होने पर लोग गर्म सिंकाई या ठंडी सिंकाई करते हैं। दर्द से आराम दिलाने के लिए ये दोनों ही बहुत ही कारगर उपाय हैं। लेकिन यह जानना जरूरी हो जाता है कि जोड़ों के दर्द के लिए इन दोनों तरीकों में से बेहतर कौन-सा है? माना जाता है कि ज्वॉइंट्स, मसल्स और टिश्यू की स्टिफनेस को दूर करने, साथ ही दर्द में आराम पहुंचाने के लिए इन दोनों की अपनी-अपनी भूमिका है। फिर भी यह जान लेना ज्यादा जरूरी हो जाता है कि इनमें से बेहतर कौन सा है और किस उपाय को उपयुक्त समय में अपनाना चाहिए।
कब करें ठंडी सिंकाई
सबसे पहले बात करते हैं गर्म सिंकाई की। शरीर के जिस हिस्से में दर्द होता है, वहां गर्म सिंकाई की जाती है, ताकि ब्लड वेसल्स को फैलाने में मदद मिले। इससे जोड़ों को आराम मिलता है। इसी तरह गर्म सिंकाई गठिया के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द से भी आराम देता है। अक्सर देखने में आता है कि बुजुर्ग लोग मॉर्निंग स्टिफनेस से ज्यादा परेशान रहते हैं। ऐसे में भी आप गर्म सिंकाई कर सकते हैं। ऐसा 15-20 मिनट के लिए करने से दर्द में काफी आराम मिलता है। इससे जोड़ों की ऐंठन कम होती है, कमर दर्द में राहत मिलती है और पीठ के निचले हिस्से में भी आराम मिलता है।
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कब करें ठंडी सिंकाई
जहां तक बात ठंडी सिंकाई की है, तो यह भी जोड़ों के दर्द में आराम देने का काम करता है। लेकिन ठंडी सिंकाई चोट या घाव के लिए बेहतर होता है। चोट पर ठंडी सिंकाई करने की वजह से रक्त प्रवाह कम होता है। साथ ही सूजन और टिश्यू की क्षति में कमी आती है। साथ ही बर्फ से सिंकाई करने से सूजन कम होती है, मांसपेशियों का दर्द कम होता है और जोड़ों के दर्द में भी यह कारगर है। लेकिन चोट और घांव के लिए ठंडी सिंकाई को प्राथमिकता दी जाती है।
जोड़ों के दर्द के लिए क्या है बेहतर
दोनों तरह की सिंकाई की अपनी-अपनी अहमियत होती है और दोनों ही तरह से सिंकाई की जाती है। जहां एक ओर ठंडी सिंकाई करने से ब्लड फ्लो में कमी आती है। इसलिए इसे अक्सर चोट लगने के 48 घंटों के भीतर ठंडी सिंकाई की जाने की सलाह दी जाती है। यहां तक कि ऑस्टियोआर्थराइटिस के मरीजों को भी ठंडी सिंकाई (बर्फ से मालिश करना) या 10-15 मिनट के लिए ठंडे पैड का उपयोग करने के लिए कहा जाता है। वहीं दूसरी ओर गर्म सिंकाई को शारीरिक गतिविधियों या एक्सरसाइज से पहले करने का सुझाव दिया जाता है। ऐसे में यह कहना जरा भी गलत नहीं होगा कि आप अपनी जरूरत के अनुसार ठंडी या गर्म सिंकाई कर सकते हैं। लेकिन जहां तक जोड़ों के दर्द की बात है, तो इसके लिए विशेषज्ञ गर्म सिंकाई की सलाह देते हैं। हालांकि साथ ही यह सुझाव भी देते हैं कि सूजन होने पर गर्म सिंकाई नहीं की जानी चाहिए।
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