जून के बाद से रुक गया है कोरोना वायरस का म्यूटेशन, बढ़ गई हैं कोविड-19 वैक्सीन के सफलता की उम्मीदें

भारत में जून के बाद से कोरोना वायरस के स्ट्रेन में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं दिखा है। यानी कोविड-19 वैक्सीन की सफलता में एक बड़ी बाधा खत्म हो गई है।
  • SHARE
  • FOLLOW
जून के बाद से रुक गया है कोरोना वायरस का म्यूटेशन, बढ़ गई हैं कोविड-19 वैक्सीन के सफलता की उम्मीदें

कोरोना वायरस के दुनियाभर में फैलने और इसके कारण शुरुआती दिनों में होने वाली बहुत ज्यादा मौतों का कारण यह था कि कोरोना वायरस का स्ट्रेन लगातार परिवर्तित हो रहा था। इस परिवर्तन के कारण बहुत सारे लोग इस बात को लेकर चिंतित थे कि अगर वायरस तेजी से परिवर्तित होता रहा, तो वैक्सीन कभी नहीं बन पाएगी। लेकिन हाल में हुई एक स्टडी ने कोरोना वायरस वैक्सीन के सफलता की उम्मीदों को बढ़ा दिया है। दरअसल Department of Biotechnology द्वारा पूरे भारत में की गई एक स्टडी में बताया गया है कि भारत में कोरोना वायरस का रूप परिवर्तन जून के बाद से नहीं हुआ है। इसलिए वैक्सीन बनाने में या इसकी सफलता में बाधा आने की संभावना बहुत कम है।

COVID Vaccine Success Hope

कोविड-19 वैक्सीन के सफलता की बढ़ी उम्मीदें

Department of Biotechnology द्वारा किए गए इस अध्ययन में बताया गया है कि भारत में मुख्य रूप से SARS-CoV-2 यानी कोरोना वायरस का A2a स्ट्रेन पाया गया है। अच्छी बात ये है कि जून के बाद से ही इस स्ट्रेन में परिवर्तन नहीं देखा गया है। इसका अर्थ है कि कोरोना वायरस की जांच और वैक्सीन के ट्रायल जैसी स्ट्रैटेजी में खास बदलाव करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इन बातों से यह भी स्पष्ट हो जाता है कि कोरोना वायरस के वैक्सीन के सफलता की उम्मीदें इस स्टडी के बाद से बढ़ गई हैं। पश्चिम बंगाल के DBT’s National Institute of Biomedical Genomics और इसके साथ जुड़े अन्य संस्थानों ने पिछले 6 महीने में कोरोना वायरस के 1058 जीनोम्स इकट्ठा किए थे।

इसे भी पढ़ें: खत्म हुआ इंतजार! जुलाई 2021 तक 20-25 करोड़ भारतीयों को मिलेगी कोरोना वायरस वैक्सीन की डबल डोज: डॉ. हर्षवर्धन

जून के बाद से नहीं बदला है वायरस

National Institute of Biomedical Genomics की डायरेक्टर सौमित्रा दास का कहना है कि कई शोध संस्थानों ने अप्रैल के महीने से ही देश के अलग-अलग हिस्सों से वायरस का सैंपल इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। उन्होंने बताया, "शुरुआत में हमें कई अलग-अलग स्ट्रेन्स मिले। लेकिन जून तक, हमें भारत में मुख्य रूप से वायरस का A2a स्ट्रेन ही मिला। जून के बाद से हमने कोई बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं देखा है, जो A2a स्ट्रेन को बदल सके... ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है"
पिछले महीने भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये बात कही थी कि SARS-CoV-2 में कोई बहुत बड़ा परिवर्तन भारत में नहीं देखा गया है।

क्या है म्यूटेशन (परिवर्तन) का मतलब

कोई भी वायरस जब एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है और उसके शरीर में अपनी संख्या को बढ़ाना शुरू करता है, तो उसके रूप में मूल वायरस से थोड़ा परिवर्तन आता है। आमतौर पर ये परिवर्तन इतना नगण्य होता है कि नया वायरस अपने मूल वायरस के जैसा ही व्यवहार करता है। लेकिन अगर यही वायरस बहुत तेजी से फैले और लाखों लोगों तक पहुंच जाए, तो छोटे-छोटे परिवर्तन मिलकर बड़े परिवर्तन का रूप ले लेते हैं। इसे आप इस तरह से समझें कि पहले संक्रमित व्यक्ति और दूसरे संक्रमित व्यक्ति के शरीर में पाया गया वायरस तो लगभग एक जैसा होगा, मगर पहले संक्रमित व्यक्ति और 1 लाखवें संक्रमित व्यक्ति के शरीर में पाए गए वायरस में काफी बदलाव आ चुका होगा। वायरस के इसी बदले हुए रूप को स्ट्रेन कहते हैं।

कोरोना वायरस के कुछ स्ट्रेन अत्यंत घातक पाए गए हैं, जिनके कारण बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हुई है। वहीं कुछ स्ट्रेन्स ऐसे भी हैं, जो सामान्य लक्षण देकर थोड़े समय में शरीर के द्वारा खुद ही नष्ट कर दिए जाते हैं।

इसे भी पढ़ें: कब और कैसे खत्म होगी कोरोना वायरस महामारी? भारत के 5 टॉप हेल्थ एक्सपर्ट्स ने ओनलीमायहेल्थ पर रखी अपनी बात

Coronavirus Mutation in India

वैक्सीन बनाने में म्यूटेशन था बड़ी बाधा

कोरोना वायरस की एक ऐसी वैक्सीन बनाने के लिए, जो हर व्यक्ति को संक्रमण से बचा सके, ये जरूरी था कि वायरस का म्यूटेशन (परिवर्तन) रुके। वायरस के रूप में लगातार परिवर्तन होने से कोई भी वैक्सीन ज्यादा लोगों के लिए ज्यादा समय तक प्रभावी नहीं रहती। ऐसे में ये बहुत बड़ी और सुकून देने वाली बात है कि भारत में जून के बाद से वायरस के जीनोम में कोई बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं देखा गया है। इससे वैक्सीन के सफल होने की संभावना काफी बढ़ गई है।

Read More Articles on Health News in Hindi

Read Next

शाम को नहीं, सुबह एक्सरसाइज करने से कम हो सकता है कैंसर का खतरा, नई रिसर्च में वैज्ञानिकों का खुलासा

Disclaimer