एक खतरनाक स्मोकिंग होने के बावजूद हुक्के का चलन भारत में तेजी से बढ़ रहा है। खासकर युवा वर्ग अक्सर दिन में कई बार हुक्के के कश लेते हुए देखे जा सकते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि हुक्का पीना सिगरेट पीने से ज्यादा नुकसानदेह नहीं होता। ऐसे लोगों का कहना होता है कि हुक्के से खींचा जाने वाला तंबाकू पानी से होते हुए आता है इसलिए वह ज्यादा नुकसानदेह नहीं होता। लेकिन हाल ही में किए गए शोध बताते हैं कि हुक्का पीना सिगरेट पीने से ज्यादा खतरनाक होता है।
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हुक्के का स्वाद बदलने के लिए उसमें फ्रूट सिरप मिलाया जाता है, जिससे किसी भी तरह का विटामिन नहीं मिलता। लोगों को लगता है कि हुक्के में मिलाया जाने वाला यह फ्लेवर स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। इसके अलावा हुक्के में सिगरेट की ही तरह कार्सिनोजन लगा होता है जिससे कैंसर होने की संभावना प्रबल होती है। हुक्के में भी निकोटिन होता है इसलिए लोगों को यह मानना बंद कर देना चाहिए कि इसकी लत नहीं लग सकती। हुक्के का धुआं ठंडा होने के बाद भी नुकसान पहुंचाता है।
यह फेफड़े को तो नहीं जलाता लेकिन इसमें कैंसर पैदा करने वाले कारक भारी मात्रा में मौजूद होते हैं। इसके अलावा आप हुक्के की पाइप को जितनी बार शेयर करते हैं आपको उतनी ही बार संक्रमण, हर्पीस जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा बना रहता है। बहुत से लोग ऐसा मानते हैं कि हुक्के में भरा पानी धुएं से विषैले तत्वों को फिल्टर कर देता है जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। हुक्के में मौजूद तंबाकू में 4000 तरह के खतरनाक रसायन होते हैं। हुक्के के बारे में सच यही है कि इसका धुआं सिगरेट के धुएं से भी ज्यादा खतरनाक होता है लेकिन बहुत से लोग इसके मिथकीय धारणाओं में विश्वास कर हुक्के को लाभदायक मानने की भूल करते हैं।
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