एचआईवी (HIV) यानी ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियंसी वायरस जिसका संक्रमण होने से एड्स की बीमारी होती है का अभी तक कोई इलाज नहीं मिला है। लेकिन अब इजराइल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दावा किया है की उन्होंने एचआईवी के इलाज के लिए एक ऐसी वैक्सीन विकसित की है जिसके महज एक डोज से एचआईवी वायरस को खत्म किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक इस वैक्सीन के लैब रिजल्ट्स बहुत अच्छे आये हैं। 'नेचर' जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने HIV AIDS के इलाज के लिए जो वैक्सीन विकसित की है इससे बनी एंटीबॉडी पूरी तरह सुरक्षित है और इसका इस्तेमाल सिर्फ एचआईवी ही नहीं कैंसर और कई अन्य ऑटोइम्यून बीमारियों के इलाज के भी किया जा सकता है। हमारे शरीर में मौजूद टाइप-बी वाइट ब्लड सेल्स के इस्तेमाल से वैज्ञानिकों ने यह वैक्सीन विकसित की है। जीन में बदलाव कर विकसित की गयी यह वैक्सीन अगर इलाज में कारगर साबित होती है तो यह मेडिकल साइंस की बहुत बड़ी उब्लाब्धि होगी।
ऐसे तैयार हुई एचआईवी की वैक्सीन (HIV Vaccine Development)
इजराइल के तेल अवीव यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के मुताबिक उन्हें एचआईवी के इलाज के लिए एक ऐसीवैक्सीन बनाने में सफलता मिली है जिसके महज एक डोज से ही मरीज को ठीक किया जा सकता है। तेल अवीव यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डॉ आदि बार्जेल की अगुवाई में वैज्ञानिकों की टीम ने शरीर में मौजूद बी सेल्स के जीन में परिवर्तन कर वैक्सीन विकसित की है। रिपोर्ट के मुताबिक यह वैक्सीन शरीर में वायरस और खतरनाक बैक्टीरिया से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाते हैं जो शरीर में मौजूद वायरस से संक्रमित कोशिकाओं को खत्म करने का काम करती हैं। वैज्ञानिकों ने इस वैक्सीन को विकसित करने के लिए वायरस के कुछ हिस्सों से बी सेल्स के जीन को मिलाया जिसके बाद उसमें कुछ बदलाव देखने को मिले। वैज्ञानिकों की तरफ से कहा गया है कि इस वैक्सीन के ट्रायल में बहुत अच्छे परिणाम मिले हैं।
इसे भी पढ़ें: एड्स होने के 4-5 साल बाद दिख सकते हैं ये लक्षण, डॉक्टर से जानें बचाव के टिप्स
टॉप स्टोरीज़
कैसे काम करेगी ये वैक्सीन? (How Does HIV Vaccine Works)
शरीर में एचआईवी संक्रमण के खिलाफ यह वैक्सीन एंटीबॉडी का निर्माण करेगी और इस एंटीबॉडी की सहायता से शरीर में मौजूद एचआईवी संक्रमित कोशिकाओं को खत्म करने में फायदा मिलेगा। दरअसल बी सेल्स शरीर में मौजूद एक तरह के वाइट ब्लड सेल्स होते हैं जो शरीर में संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी का निर्माण करते हैं। आमतौर पर ये सेल्स बॉन मैरो में पाए जाते हैं। इस रिसर्च में बताया गया है की वायरस में बदलाव होने पर वैक्सीन से बनने वाली एंटीबॉडी और बी सेल्स की क्षमता में भी बदलाव होगा। रिसर्च में शामिल वैज्ञानिकों की तरफ से यह कहा गया है की लैब में इस वैक्सीन के परीक्षण का परिणाम काफी सकारात्मक आया है और एचआईवी वायरस को निष्क्रिय करने में यह वैक्सीन काफी सक्षम रही है।
वैज्ञानिकों ने वैक्सीन को विकसित करने के लिए जीनोम एडिटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया। सीआरआईएसपीआर तकनीक जीन एडिटिंग शुरू करने के लिए बी सफेद कोशिकाओं में जीन और वायरल वाहक पेश करती है। एडिनो-एसोसिएटेड वायरस परिवार से संबंधित वाहकों का उपयोग एड्स के लिए इस इंजेक्शन को बनाने में किया गया था। यह वायरल वेक्टर कई पुरानी बीमारियों के खिलाफ भी कारगर है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस वैक्सीन का एक शॉट एचआईवी-एड्स के इलाज में काफी कारगर है। इससे यह उम्मीद जगी है कि आने वाले वर्षों में एड्स जानलेवा स्थिति नहीं बनेगी।
(All Image Source - Freepik.com)