क्या है रहस्मयी बीमारी हवाना सिंड्रोम, जिसकी जांच के लिए हाई कोर्ट ने भारत सरकार को दिया आदेश

कोर्ट ने भारत में हवाना सिंड्रोम को लेकर दायर की गई याचिका पर केंद्र सरकार को 3 महीनों के भीतर जांच करने के आदेश दिए हैं।  
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क्या है रहस्मयी बीमारी हवाना सिंड्रोम, जिसकी जांच के लिए हाई कोर्ट ने भारत सरकार को दिया आदेश


हवाना सिंड्रोम को लेकर भारत में काफी चर्चा है। भारत में इसकी जांच की जाने की बात कही जा रही है। दरअसल, बेंगलुरु के रहने वाले ए अमरनाथ चागू ने हवाना सिंड्रोम को लेकर जांच की जाने के लिए एक याचिका दायर की है। कोर्ट ने इसकी रोकथाम के लिए केंद्र सरकार को जांच करने के आदेश दिए हैं। जांच में इस रहस्यमयी बीमारी के फैलने के बारे में पता लगाया जाएगा। कोर्ट ने जांच को 3 महीने के भीतर करने के निर्देश दिए हैं। 

क्या है हवाना सिंड्रोम? 

दरअसल, हवाना सिंड्रोम कई बीमारियों का एक समूह है, जिसमें चक्कर आना, मतली या फिर एक आंख में अंधापन होने जैसी समस्याएं शामिल हैं। इस बीमारी के मामले भारत से पहले भी कई बार अन्य देशों जैसे तजाकिस्तान, वॉशिंगटन डीसी, कोलंबिया और ऑस्ट्रिया समेत 130 देशों में देखे जा चुके हैं। इस रहस्यमयी बीमारी के लक्षणों की पहचान आसानी से की जा सकती है। ऐसी स्थिति होने पर याद्दाश्त कम होना, कान बजना या फिर वर्टिलिगो जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अच्छी खासी संख्या में लोग इस समस्या से प्रभावित भी हैं। 

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यूएस इंटेलिजेंस ने बताया मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्या 

यूएस इंटेलिजेंस और एंबेसी के अधिकारियों के मुताबिक हवाना सिंड्रोम होने पर मेंटल हेल्थ से जुड़े लक्षण दिख सकते हैं। यह समस्या बहुत से देशों में देखी जा चुकी है। यह सिंड्रोम होने से आपको सुनने में समस्या, जी मचलाना, वर्टिगो, सिर में दर्द होना, मानसिक क्षमता प्रभावित होने के साथ ही साथ मेमोरी का कमजोर होने जैसे लक्षण देखे जाते हैं। 

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साल 2016 में मिला था पहला मामला 

इस बीमारी का सबसे पहला मामला साल 2016 में कैरेबियन की राजधानी हवाना से सामने आया था। यूएस एंबेसी के CIA के अधिकारी को पहली बार यह समस्या हुई थी। इसके बाद यह बीमारी दुनियाभर में अपने पैर पसारती गई। साल 2018 में चीन में अमेरिकी राजनयिकों ने इस बीमारी होने का बात कही थी।  वहीं, साल 2019 और 20 में वॉशिंगटन डीसी में भी इसके कुछ मामलों की पहचान की गई थी। भारत में इस बीमारी का अभी तक केवल एक ही मामला दर्ज किया गया है, जिसकी पुष्टि साल 2021 में की गई थी। अब इसे फैलने या फिर बढ़ने से रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 3 महीनों के भीतर इसकी जांच करेगा। 

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