हेपेटाइटिस सी एक प्रकार संक्रमण है। इलाज में लापरवाही बरतने और संक्रमित रक्त चढ़ाने के साथ-साथ ज्यादा शराब पीने और गंदे पानी से भी हेपेटाइटिस सी का संक्रमण फैल सकता है। इसके साथ अगर इलाज में देरी की जाए तो कैंसर का खतरा भी हो सकता है।
इस बीमारी के ज्यादातर लक्षण उन लोगों में पाए गए हैं जिन्हें कभी खून चढ़ाना पड़ा हो। वहीं टैटू गुदवाने वाले लोगों में तीन गुना और नशे का सेवन करने वाले लोगों में इस वायरस का संक्रमण फैलने की सौ गुना संभावना रहती है।
हेपेटाइटिस से कैंसर का खतरा
मांट्रियल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पहले महीने में ही हेपेटाइटिस सी के इलाज कराए जाने को बीमारी के समूल नाश में काफी कारगर बताया है। शोध में पाया गया कि अगर एक महीने के भीतर इलाज मिल जाए तो संक्रमण से लड़ने की रोगी की प्रतिरक्षण क्षमता काफी हद तक बढ़ जाती है। प्रमुख शोधकर्ता डा. नागला शोक्री और डा. जूली ब्रूनो के मुताबिक हेपेटाइटिस सी का जल्दी इलाज शुरू होने से शरीर में कई एंटी-वाइरल मीडिएटर बनने लगते हैं। ये प्रतिरक्षी तंत्र को मजबूत करने में मददगार होते हैं। हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) से पीडि़त मरीजों का जल्दी इलाज शुरू होने से उनके ठीक होने की दर 90 फीसदी से भी ज्यादा देखी गई है। उल्लेखनीय है कि एचसीवी संक्रमित खून के जरिए शरीर में आता है। इसका इलाज एक मात्र एंटी-वायरल दवा पेगीलेटेड इंटरफेरान अल्फा द्वारा किया जाता है। एक तिहाई मरीजों में यह बीमारी जल्दी ही ठीक हो जाती है, लेकिन काफी मरीजों में हेपेटाइटिस सी सिरोसिस और लीवर (यकृत) के कैंसर का कारण बन जाता है। ऐसे में अगर इलाज जल्दी शुरू हो जाए तो बीमारी इस हद तक नहीं बढ़ पाएगी।
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लक्षण
आमतौर पर हेपेटाइटिस सी की आसानी से पहचान नहीं हो पाती। जो लक्षण अभी तक पहचाने गए हैं उनमें भूख कम लगना, थकान होना, जी मचलाना, जोड़ों में दर्द और लीवर इंफेक्शन के साथ वजन कम होते जाना खास हैं।
कारण
गंदा पानी पीने, संक्रमित रक्त चढ़ाने, शराब पीने, एक ही सीरिंज या शीशी से कई लोगों को इंजेक्शन लगाने और टैटू गुदवाने से इसका संक्रमण सबसे ज्यादा फैलता है।
बीमारी
लीवर कैंसर के 25 फीसदी और सिरोसिस के 27 फीसदी मामले हेपेटाइटिस सी के कारण होते हैं। पेट की नसों और आहार नली में सूजन के साथ-साथ लीवर इंफेक्शन की सबसे बड़ी वजह भी यही संक्रमण है।