कैटेगरी: मदर्स एंड इंफैंट केयर (मातृत्व एवं शिशु देखभाल)
परिचय: प्रियाली सुर
योगदान: प्रियाली सुर ने ऑनलाइन कैंपेन शुरू किया जिसकी वजह से सरकार ने गर्भवती महिलाओं के लिए भी वैक्सीनेशन शुरू किया।
नॉमिनेशन का कारण: प्रियाली सुर जो 8 महीने की गर्भवती थीं, उन्होंने एक कैंपेन शुरू किया। उस ऑनलाइन पेटिशन पर 70000 लोगों ने साइन किया जिसकी वजह से 25 जून 2021 से गर्भवती महिलाओं के लिए वैक्सीनेशन शुरू किया गया।
गर्भवती होना महिलाओं के लिए एक कठिन और यादगार अनुभव वाला समय होता है। इस समय में उन्हें उल्टियां आना, सुबह सुबह बीमार महसूस करना जैसे लक्षण हर समय महसूस होते रहते हैं। जब भारत में कोविड की दूसरी लहर आई तो हेल्थ केयर सिस्टम के डगमगाने के कारण बहुत सारे प्री-नेटल केयर सेंटर्स को भी कोविड सेंटर में तब्दील कर दिया। जिस वजह से कई गाइनेकोलॉजिस्ट्स को लॉबी और कॉरिडोर में बैठ कर मरीजों और गर्भवती महिलाओं को देखना पड़ा। इस समय गर्भवती महिलाओं को संक्रमित होने का काफी रिस्क बढ़ गया और सबसे भयंकर और दुर्भाग्यशाली बात तो यह थी कि भारत में गर्भवती महिलाओं की वैक्सीन की टेस्टिंग जारी थी लेकिन वैक्सीन लगना शुरू नहीं हुई थी।
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महामारी के दौरान गर्भवती महिलाओं की परेशानी
अगर गर्भवती महिलाओं को कोविड हो जाता तो उनके बच्चे का समय से पहले जन्म होना और बहुत सारी अन्य प्रेग्नेंसी के दौरान आने वाली दिक्कतों का भी सामना करना पड़ सकता था। प्रियाली सुर जो कि एक मल्टी मीडिया और ब्रॉडकास्टिंग जर्नलिस्ट हैं और कई नैशनल अवार्ड्स की विजेता रह चुकी हैं, साथ ही रिफ्यूजी और महिला के अधिकारों की एक मुखर आवाज हैं- जब स्वयं कोविड पॉजिटिव हुईं तो साउथ इंडिया के गांव में समय बिता रही थीं। अस्पतालों ने इन्हें एडमिट करने से मना कर दिया जबकि उस समय उनकी प्रेगनेंसी की पहली तिमाही चल रही थी। इन्हें अपने बच्चे और खुद की काफी चिंता थी। अच्छी बात यह हुई कि इनका बुखार एक दिन में ही उतर गया और इनका ऑक्सीजन लेवल भी ठीक हो गया। लेकिन अस्पतालों के इस व्यवहार ने प्रियाली को दूसरी गर्भवती महिलाओं के बारे में सोचने पर मजबूर किया।
ऐसे हुई कैंपेन की शुरुआत
प्रियाली ने अपने जैसी ही बहुत सी गर्भवती महिलाओं के बारे में पता किया, जिनको अस्पतालों में एडमिट नहीं किया गया था। जबकि सरकारी गाइडलाइंस में भी यह शामिल था कि कोविड पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं को बिना देर किए उपचार देना शुरू करना चाहिए। गुस्से और निराशा से भरी प्रियाली ने ऐसी महिलाओं के लिए एक पिटीशन शुरू की। इस पेटिशन में इन्होंने सरकार से गर्भवती महिलाओं के लिए वैक्सीन ओपन करवाने की दरख्वास्त की। जबकि यह खुद 8 महीने की गर्भवती थीं। 70 हजार से अधिक लोगों ने इस पिटीशन पर साइन किया। बहुत सी महिलाओं ने इनको अपना सपोर्ट देने के लिए प्राइवेट मैसेज भी किए। इस पिटीशन का नतीजा धीरे-धीरे ही सही, मगर दिखना शुरू हो गया। इसलिए प्रियाली ने दिल्ली हाई कोर्ट में यह पिटीशन लिखित में जमा करवाई। इस केस के लिए इन्होंने अपने गर्भकाल में ही वकालत भी की। इन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
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कैंपेन का सपोर्ट
बहुत सी गर्भवती महिलाओं का और सामान्य जनता का भी प्रियाली को भारी संख्या में सपोर्ट मिला। पॉलिटिकल लीडर्स और कुछ एमपी जैसे प्रियंका चतुर्वेदी और राम मोहन नायडू, कुछ बॉलीवुड अभिनेता और अभिनेत्री के साथ ही न्यूज एजेंसी भी इनके सपोर्ट में आगे आईं। उनके कैंपेन के एक महीने बाद सरकार ने भारत में गर्भवती महिलाओं के लिए वैक्सीनेशन शुरू कर दी। इस समय भारत में 25 मिलियन गर्भवती महिलाएं थी। यह इन सब महिलाओं की ही जीत थी। प्रियाली को अपनी पहली वैक्सीन पहली जुलाई 2021 को लगवाई। अब वह एक लेक्टेटिंग मां हैं।
अगर इनके इस काम ने आपको थोड़ा सा भी प्रेरित किया है तो इनके इस हौसले को और अधिक बुलंद करने के लिए और इन्हें आगे बढ़ाने के लिए इन्हें वोट कर सकते हैं। ताकि भविष्य में भी ऐसे ही महिलाएं अपने हक और सुरक्षा के लिए खड़ी हो सकें और वह जीत सकें।