कैटेगरी: लाइफ सेवर्स
परिचय: हिमांशु और ट्विंकल कालिया
योगदान: कोविड के दौरान इस कपल ने अपनी एंबुलेंस को लोगों की सेवा के लिए फ्री कर दिया।
नॉमिनेशन का कारण: कोविड के दौरान इस एंबुलेंस कपल ने दिल्ली एनसीआर में अपनी सभी 17 एंबुलेंस की सर्विस फ्री कर दी, ताकि मरीजों और मृतकों की मदद की जा सके, जबकि इनमें से एक खुद कैंसर से जूझ रही थीं।
कोविड की दूसरी लहर भारत में भीषण त्रासदी की तरह आई थी। हर दिन हजारों लोगों की मौत हो रही थी और लाखों संक्रमण के मामले आ रहे थे। वहीं अप्रैल और मई के महीने में अस्पताल के अंदर और बाहर इतनी ज्यादा मौतें होने लगी थीं कि सभी मरीजों और मृतकों को सही समय पर एंबुलेंस तक नहीं मिल पा रही थी। इस दौरान मरीजों को घर से अस्पताल तक पहुंचाने या मृत्यु के बाद उन्हें अस्पताल से अंतिम संस्कार वाली जगह तक पहुंचाने के लिए भी लोगों को एंबुलेंस के लिए नंबर लगाने पड़ रहे थे। जगह-जगह से ऐसे वीडियोज सामने आ रहे थे, जिनमें एंबुलेंस सर्विस देने वाले लोग हजारों रुपए एक्स्ट्रा लेने के बाद मरीजों को छोड़ने को तैयार होते थे। इन्हीं सब के बीच एक कपल जिनके पास अपनी एंबुलेंस है, लोगों की फ्री में मदद करनी शुरू की। दिल्ली एनसीआर में रहने वाले हिमांशु और ट्विंकल कालिया ने कोविड के दौरान हजारों लोगों को अपनी एंबुलेंस सेवा फ्री में दी, जिसके कारण इन्हें लोग 'एंबुलेंस कपल' के नाम से जानने लगे। इन्होंने अब तक 70,000 से ज्यादा मरीजों और मृतकों को गंतव्य तक पहुंचाया है, वो भी बिल्कुल फ्री। हिमांशु और ट्विंकल के इसी योगदान को देखते हुए ओनलीमायहेल्थ इन्हें हेल्थकेयर हीरोज अवॉर्ड्स 2022 में लाइफ सेवर्स कैटेगरी के लिए नॉमिनेट कर रहा है।
कठिन समय में भी करते रहे लोगों की सेवा
कोविड की दूसरी लहर के दौरान ट्विंकल खुद कैंसर से जूझ रही थीं और कीमोथेरेपी के कारण उनमें खड़े होने की भी हिम्मत नहीं रहती थी। लेकिन जब भी किसी मरीज का फोन आता तो वह तुरंत मोबाइल पर लग जातीं। इस समय भी उन्होंने बहुत से मरीजों को मुफ्त में एंबुलेंस सेवा प्रदान की और काफी सारे मरीजों का तो दाह संस्कार भी किया। कोविड के समय में ट्विंकल ने जरूरतमंदों को भोजन कराने का भी सोचा और अपने कंट्रोल रूम को रसोई में बदल दिया जहां रोजाना 4000 लोगों का खाना बनता है। केवल इतना ही नहीं यह ड्यूटी पर तैनात पुलिस वालों को चाय आदि भी प्रदान करते हैं। यह समय इनके लिए भी काफी मुश्किल था।
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दहेज में गाड़ी, फर्नीचर के बजाय मांगा था एंबुलेंस
हिमांशु और ट्विंकल के एंबुलेंस कपल बनने की कहानी भी बड़ी मजेदार है। 2002 में जब दिल्ली के हिमांशु कालिया की शादी ट्विंकल कालिया से हुई तो उनके ससुराल वालों ने उन्हें दहेज में गाड़ी, फर्नीचर आदि दिया। लेकिन हिमांशु ने यह सब लेने से मना कर दिया। जब उन लोगों ने सामान देने की बहुत ज्यादा जिद की तो हिमांशु ने कहा कि अगर कुछ देना ही है तो एक एम्बुलेंस दे दीजिए। फिर शादी के दिन एक अलग ही नजारा था, क्योंकि वेन्यू के बाहर सजी धजी एंबुलेंस खड़ी हुई थी। उस दिन से आज दो दशकों बाद यह एंबुलेंस ही हिमांशु और ट्विंकल की पहचान बन गई। इस काम में उनकी पत्नी ट्विंकल भी इनके साथ हैं।
एंबुलेंस क्यों ली हिमांशु कालिया ने
हिमांशु बताते हैं कि जब वह 14 साल के थे तब उनके पिताजी का एक भयानक एक्सीडेंट हो गया था और उस एक्सीडेंट के समय एक ऑटो में वह अपने पिता को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में लेकर जा रहे थे। आखिर में वह और उसकी मां उन्हें AIIMS में लेकर गए और डॉक्टरों ने बताया कि काफी समय आपने बर्बाद कर दिया। इसके बाद उनके पिता कोमा में चले गए। इस समय हिमांशु को यह जरूरत महसूस हुई कि अगर उनके पास एंबुलेंस होती तो उनके पिता समय पर अस्पताल पहुंच जाते और कोमा में जाने से भी बच जाते। उस समय केवल उनके पिता कोमा में नहीं गए बल्कि उनका सारा बचपन, भविष्य और शिक्षा कोमा में चला गया था। इस समय उन्होंने प्रार्थना की कि भगवान उनके पिता को बचा लें और वह इस तरह एंबुलेंस की जरूरत वाले लोगों की एक दिन मुफ्त में मदद करेंगे। दो साल बाद उनके पिता तो ठीक हो गए। लेकिन उन्हें जरूरतें पूरी करने के लिए तीन-तीन जॉब करनी पड़ती थी।
एंबुलेंस सर्विस की कर दी शुरुआत
2002 में इस जोड़े ने एंबुलेंस सर्विस की शुरुआत की और आज इनके पास 17 एंबुलेंस उपलब्ध हैं। उन्होंने कोविड के दौरान अपनी सभी एंबुलेंस को काम पर लगा दिया। इसके लिए उन्होंने पूरी प्लानिंग की। दो एंबुलेंस मृत शरीरों को लेकर जाने के लि, दो पोस्ट मार्टम के लिए लाए जाने वाले शवों के लिए, दो बच्चों के लिए और 3 कोविड के मरीजों के लिए तय कर दी। बाकी की एंबुलेंस एक्सीडेंट हुए मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने के लिए थीं। ऐसा इसलिए बंटवारा किया गया है ताकि संक्रमण अधिक न फैले। तीन लोग एम्बुलेंस सुविधा के लिए हर समय मौजूद रहते, ट्विंकल, हिमांशु और उनके 70 वर्षीय पिता। हिमांशु का कहना है कि दिल्ली पुलिस भी किसी मृत शरीर को ले जाने के लिए उनकी एंबुलेंस बुलाती हैं। 4 एंबुलेंस दिन रात सुविधा में उपलब्ध रहती हैं।
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20 सालों से खुद उठा रहे हैं एंबुलेंस का सारा खर्च
ट्विंकल और हिमांशु इंश्योरेंस एजेंट्स हैं। लेकिन इनकी एंबुलेंस सुविधा बिलकुल मुफ्त है। इसका अर्थ यह नहीं है कि एंबुलेंस सेवा में खर्च नहीं होता। एंबुलेंस चलाने के लिए ईंधन, ड्राइवर, स्टाफ, गाड़ियों की मेनटेनेंस आदि का खर्च तो आता ही है। लेकिन ये सारा खर्च यह लोग इंश्योरेंस के मिले पैसे से खुद से उठाते हैं और अगर पैसे नहीं होते तो उधार लेते हैं। इनके पास मॉनेटरी सहायता तब से आने लगी जब राष्ट्रपति कोविंद ने ट्विंकल को पहली एंबुलेंस ड्राइवर के रूप में सम्मानित किया। प्रधानमंत्री मोदी और अमिताभ बच्चन ने इनके काम की सराहना की। आज तक इन्होंने दो हजार से अधिक अवार्ड हासिल किए हैं। अगर आप इन्हें और आगे बढ़ाना चाहते हैं तो इनके लिए वोट जरूर करें।