शिशु के लिए जरूरी बताया गया है मां का दूध, जानें इससे मिलने वाले 8 जबरदस्त फायदे

मां का दूध शिशु के स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होता है। इससे शिशु को कई पोषक तत्व मिलते हैं। गायनोकोलॉजिस्ट से जानें इसके फायदे, पढ़ें ये आर्टिकल।
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शिशु के लिए जरूरी बताया गया है मां का दूध, जानें इससे मिलने वाले 8 जबरदस्त फायदे


इसे कुदरत का करिश्मा कहे या फिर प्रकृति की रचना... कि शिशु के जन्म के साथ ही मां के स्तनों में दूध अपने आप ही आ जाता है। यह कई मायनों में शिशु के लिए पौष्टिक होता है। आज के इस आर्टिकल में हम जमशेदपुर के टेल्को की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रजनी से बात कर इसके फायदों के बारे में जानेंगे। ताकि मां इसके फायदों को जान शिशु को दूधं पिला सके। शिशु के स्वास्थ्य के लिए मां का गाढ़ा पीला दूध बेहद लाभकारी होता है। 

मां का दूध शिशु के लिए क्यों है अहम, इसे पीने से होते हैं ताकतवर

स्त्री रोग विशेषज्ञ बताती है कि मां के दूध पर शिशु का पूर्ण रूप से अधिकार होता है। हर एक शिशु को मां का दूध मिलना चाहिए। मां के दूध से कई प्रकार के फायदे मिलते हैं, जैसे

Breast Feeding

1. जिंक, प्रोटीन, विटामिन्स से भरपूर होता है दूध

डॉक्टर बताती हैं कि मां के दूध में सही मात्रा में जिंक, मल्टी विटामिन, प्रोटीन, फैट, सॉल्ट्स, आयरन तमाम पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जैसे ही शिशु की उम्र बढ़ती है वैसे ही मां के दूध में मौजूद ये पोषक तत्व बदलते हैं। ऐसे में यदि शिशु को सिर्फ मां का दूध ही समय पर दिया जाए तो उसे अन्य पोषक तत्वों की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। क्योंकि मां के दूध में मौजूद पोषक तत्वों से उसकी पूर्ति हो जाएगी।

2. टीकाकरण का असर और प्रभाव अच्छा होता है

शिशु के जन्म के बाद उसे कई टीका दिया जाता है। ताकि बीमारियों से उसे बचाया जा सके। यदि शिशु मां का दूध सही समय पर पी रहा है व नियमित मात्रा में पी रहा है तो टीका का उसपर अच्छा असर होगा और वो बीमारियों से लड़ने में सक्षम होगा। 

3. चेहरे व दांतों की रचना अच्छी होती है

डॉक्टर बताती हैं कि वैसी माताएं जो शिशु को नियमित तौर पर स्तनपान करातीं हैं उनके बच्चों के चेहरे और दांत की संरचना अच्छी होती है। दांतों में सड़न व अन्य परेशानियां भी नहीं होती हैं। 

4. एलर्जिक रिएक्शन, एक्जीमा जैसी बीमारियों से लड़ने में सहायक

डॉक्टर के अनुसार जो शिशु मां का दूध पीते हैं उनको कई प्रकार की बीमारी जैसे एलर्जिक रिएक्शन और एक्जीमा की संभावना कम होती है। क्योंकि यह बीमारी शिशुओं में ज्यादा देखने को मिलती है। वहीं वैसी माताएं जो शिशु को किसी कारण से दूध नहीं पिलाती हैं या बॉटल मिल्क देती हैं उनको यह बीमारी होने की संभावना अधिक होती है। 

5. शिशु आसानी से पचा लेता है

एक्सपर्ट बताती हैं कि मां के दूध में यह खासियत होती है कि शिशु उसे काफी जल्दी पचा लेता है। क्योंकि मां के दूध में पर्याप्त मात्रा में पाचक तत्व होते हैं। यही वजह है कि शिशु को शुरुआती छह महीनों में सिर्फ व सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए। 

Mother Milk

6. सामान्य बच्चों की तुलना में मजबूत होती है इम्युनिटी

एक्सपर्ट बताती हैं कि सामान्य बच्चों की तुलना में जो शिशु मां का दूध नियमित तौर पर सेवन करते हैं उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होता है। उनकी इम्युनिटी इतनी ज्यादा तेज होती है कि वो छोटी मोटी बीमारियों से जल्दी बीमार नहीं पड़ते हैं।  मां के दूध में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी, लेक्टोफेरॉन और डब्ल्यूबीसी होता है। यही कारण है कि शिशु बीमारियों से लड़ पाता है। ये शिशु बैक्टीरिया और वायरल इंफेक्शन से लड़ सकते हैं। यदि आपने हाल ही में शिशु को जन्म दिया है कि कोशिश करें कि शिशु को फॉर्मूला मिल्क देने की बजाय मां का गाढ़ा पीला दूध ही दें। ताकि वो बाहर से ही नहीं बल्कि अंदर से भी मजबूत हो।

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7. स्तनपान करने वाले शिशु होते हैं अधिक तेज

एक्सपर्ट बताती हैं कि जो शिशु स्तनपान करते हैं वो दूसरों की तुलना में अधिक तेज होते हैं। स्तनपान करने वाले या फिर फॉर्मूला मिल्क लेने वाले शिशु का इंजेलिजेंस लेवल अलग अलग होता है। जो शिशु सिर्फ व सिर्फ मां का दूध पीते हैं वो सामान्य बच्चों की तुलना में ज्यादा तेज होते हैं। शिशु के मष्तिस्क का विकास शुरुआती के छह महीनों में सबसे ज्यादा होता है। वहीं कुल दो साल तक शिशु के मस्तिष्क का विकास होता है। ऐसे में शिशु के लिए मां का दूध काफी जरूरी है। 

8. बच्चों में कैंसर होने की संभावनाएं भी कम होती है

डॉक्टर बताती हैं कि मां का दूध पीने वाले शिशु में देखा गया है कि उनको लिंफोमा कैंसर की संभावना कम होती है। वहीं जैसे जैसे उम्र बढ़ती है उनमें कई अन्य प्रकार के कैंसर होने की संभावनाएं भी कम होती है। इसलिए माताओं को शिशु को स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है। 

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ब्रेस्ट मिल्क की खासियत

शिशु के जन्म के साथ साथ जैसे जैसे वो बड़ा होता है ठीक उसी प्रकार मां के दूध में मौजूद तत्वों में बदलाव आता है। डॉक्टर बताती हैं कि यदि शिशु प्रीमेच्योर हुआ तो मां का दूध थोड़ा अलग होता है, ताकि शिशु उसे आसानी से पचा सके। जैसे शिशु की उम्र बढ़ती है ठीक उसी प्रकार मां के दूध की मात्रा भी बढ़ती है। उसमें मौजूद पोषक तत्व भी बढ़ते हैं। 

लंबे समय तक स्तनपान कराने से ये दिखते हैं लाभ

  • शिशु में टाइट टू डायबिटीज होने की संभावना कम होती है
  • कोलेस्ट्रोल और ब्लड प्रेशर की समस्या कम होती है
  • लंबे समय तक मां का दूध पीने वाले शिशु में व्यस्क होने पर मोटापे की शिकायत कम देखने को मिलती है

इन फायदों को उठाने के लिए शिशु को कराएं मां के दूध का सेवन

इन तमाम फायदों को उठाने के लिए शिशु के जन्म के बाद उसे मां का गाढ़ा पीला दूध ही पिलाना चाहिए। ताकि इससे शिशु शारिरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ्य रह सके। अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर या फिर स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह ले सकती हैं। 

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