जड़ी बूटियां और पौधों का शुरू से ही काफी महत्तव रहा है। आयुर्वेद के अनुसार सभी पौधों में कुछ न कुछ गुण मौजूद होते हैं। हमारे आस पास ऐसे कई गुणकारी पौधे मौजूद होते हैं, जिन्हें हम खर पतवार समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन असल में वे स्वास्थ्य के लिए बड़े फायदेमंद होते हैं। ऐसा ही एक पौधा है अतिबला (Indian Mallow)। क्या आपने अतिबला के बारे में सुना है या इसे देखा है। अगर नहीं तो इस लेख में माध्यम से आज हम आपको इसकी पहचान कराएंगे साथ ही इसके फायदे भी बताएंगे। आयुर्वेद में विशेष दर्जा प्राप्त करने वाले पौधे अतिबला को स्थानीय भाषा में कंघी के नाम से भी जाना जाता है। यह आपकी शरीर में मूत्र विकार (Urine Problems), अर्थराइटिस (Arthritis) को रोकने से लेकर उर्जावान बनाने तक में फायदेमंद माना जाता है। यही नहीं शरीर के किसी भी हिस्से में हो रही सूजन से लेकर दातों को मजबूत बनाने तक में यह सहयोगी है। यह पौधा थोड़ा रोएंदार होता है। इस पौधे के फूल हल्के पीले रंग के होते हैं और थोड़े से नुकीले या कंघी के समान होते हैं। इसलिए इसे कंघी भी कहा जाता है।
अतिबला का पौधा आपको भारत के कई हिस्सों में आसानी से मिल सकता है। कई बार यह सड़क किनारे, खेत में या फिर पानी के आसपास वाली जगहों पर आपको मिल सकता है। अंग्रेजी में इस पौधे को एब्यूटिलॉन इंडिकम (Abutilon Indicum Pennel) के नाम से जाना जाता है। यह स्वाद में मीठा होता है। अतिबला का उपयोग कई दवाइयां बनाने के साथ साथ तेल के उत्पादन के लिए भी किया जाता है। इसका इस्तेमाल चूर्ण बनाने के तौ पर भी किया जाता है। इसमें मौजूद गुण आपके शरीर में जुड़े रक्त विकारों को भी दूर करने में मदद करता है। वहीं इसकी पत्तियों को भी दांतों के तमाम रोगों जैसे मसूड़ों में दर्द, सूजन आदि को ठीक करने के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस पौधे में मौजूद गुण आपके शरीर में वात और पित्त को भी संतुलित करने में मदद करते हैं। अतिबला में एंटी मलेरियल, इम्यूनोडुलेटरी गुण के साथ ही एंटी माइक्रोबिल और एंटी डायरियल गुण अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। आइये जानते हैं इतिबला के पौधे से स्वास्थ्य को होने वाले फायदों के बारे में।
1. बवासीर से राहत दिलाए (Beneficial in Piles)
बवासीर आज के समय में अधिकांश लोगों की समस्या है। मलाशय के आस पास की नसों में सूजन आ जाने के कारण बवासीर जैसी बीमारी शरीर में उत्पन्न होने लगती है। लेकिन अतिबला लैक्सेटिव प्रॉपर्टीज से भरपूर होता है, जो आपके मल को मलाशय तक बिना किसी दर्द के आसानी से निकलने में मदद करता है। इसके सेवन से बवासीर के भयंकर दर्द से भी निजात पाई जा सकती है। बवासीर से राहत पाने के लिए आप अतिबला से बने चूर्ण का भी सेवन कर सकते हैं। बवासीर को खत्म करने के लिए लोग इसकी पत्तियों से बने काढ़े का भी सेवन करते हैं। इसके नियमित सेवन से निश्चित तौर पर बवासीर से राहत मिलती है।
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2. पथरी में फायदेमंद (Beneficial in Kidney Stone)
पथरी की समस्या में अतिबला की पत्तियां मददगार मानी जाती हैं। इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से किडनी में जमा पथरी धीरे धीरे टूटने लगती है और मूत्र के रास्ते बाहर आने लगती है। कुछ समय तक इसका नियमित प्रयोग करने से पथरी की शिकायत कम हो जाती है। इसके लिए आप अतिबला की पत्तियों का काढ़ा दिनभर में 20 से 30 ग्राम तक पीएं। कुछ समय तक ऐसा करने से पथरी निकल जाएगी।
3. अर्थराइटिस में मददगार (Beneficial In Arthritis)
हड्डियों से जुड़े विकारों को दूर करने के लिए अतिबला का सेवन खूब किया जाता है। खासकर इसमें पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमेटरी गुण अर्थराइटिस (Arthritis) और ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) के लिए काफी फायदेमंद हैं। यह आपकी शरीर में बन रही सूजन को रोकने के साथ ही अर्थराइटिस के दर्द से भी छुटकारा दिलाता है। इसमें मौजूद एनालजेसिक गुण भी आपके जोड़ों के दर्द में राहत दिलाने में काफी मददगार होते हैं। इसका सेवन आपकी शरीर में बनने वाले अर्थराइटिस और ऑस्टोपोरोसिस के लक्षणों को भी कम करने में मदद करता है।
4. स्किन के लिए फायदेमंद (Beneficial for Skin)
अतिबला का सेवन करने से आपकी त्वचा संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और त्वचा में नमी बरकरार रहती है। ऐसा माना जाता है कि नारियल के तेल के साथ अतिबला के चूर्ण की थोड़ी सी मात्रा मिलाने पर स्किन को दुगने लाभ होते हैं। इसके सेवन से त्वचा पर कील, मुहासे, दाने, फुनसी की समस्या नहीं होती है। साथ ही इसका प्रयोग मुंह पर करने से मुंह की नमी भी बरकरार रहती है।
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5. लिवर और कब्ज में मददगार (Beneficial for Liver and Acidity)
अतिबला के पौधे में मौजूद एंटी माइक्रोबियल प्रॉपर्टीज आपके लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करदता है। माना जाता है कि इस पौधे की अर्क शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रोडक्शन को रोकने में मददगार है। शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स हमारे लिवर को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं इस पौधे में फ्री रेडिकल्स को रोकने वाले गुण पाए जाते हैं, जिससे लिवर के स्वास्थ्य के लिए अतिबला एक बेहतरीन पौधा माना जाता है। वहीं कब्ज की बात करें तो यह कब्ज से भी छुटकारा पाने के लिए काफी अच्छा माना जाता है। इसका सेवन शरीर में पीएच लेवल को बढ़ाता है और गैस्ट्रिक लेवल को कम करनें में सहयोग करता है। जिससे गैस से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है।
6. डायबिटीज (Diabetes)
अतिबला डायबिटीज के रोगियों के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है। अतिबला में पाए जाने वाले गुण आपके शरीर से ब्लड शुगर लेवल को कम करते हैं। बता दें कि अतिबला में एंटी इंफ्लामेटरी और एंटी ऑक्सीडेंट गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। जो शरीर में इंसुलीन के स्राव को बढ़ाकर आपकी डायबिटीज के खतरे को कम करता है। इससे टाइप-2 डायबिटीज होने की भी संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं। डायबिटीज के रोगी चाहें तो अतिबला के चूर्ण के साथ थोड़ी दालचीनी की मात्रा मिलाकर इसका प्रयोग कर सकते हैं। इससे काफी लाभ होगा।
7. घाव भरने में मददगार (Helpful in Healing Wound)
घाव भरने के लिए इस पौधे को रामबाण माना जाता है। इसमें पाए जाने वाले माइक्रोबियल, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी ऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं। जो आपके घाव को सुखाने और उसे भरने में काफी फायदेमद माना जाता है। यह आपकी चोट या घाव को सिकोड़कर उसे सुखा देता है और नई त्वचा लाने में मददगारार है। घाव सुखाने के लिहाज से अतिबला की पत्तियां बेहद कारगर मानी जाती हैं।
कैसे करें प्रयोग (How to Use)
अतिबला के पौधे को प्रयोग करने के एक नहीं बल्कि कई तरीके हैं। अतिबला के पौधे दवाइयां बनाने से लेकर तेल बनाने तक में उपयोगी हैं। इनका इस्तेमाल आप चाहें तो पौधे की छाल के रूप में कर सकते हैं। साथ ही इसकी जड़ भी कई बीमारियों को दूर करनेम में काफी उपयोगी मानी जाती है। आप चाहें तो अतिबला या कंघी का प्रयोग इसकी पत्तियों के रूप में भी कर सकते हैं। इसकी पत्तियों को लोग काढ़ा बनाने के लिए भी उपयोग करते हैं। वहीं इस पौधे में होने वाले फूल भी बेहद लाभकारी माने जाते हैं।
अतिबला आयर्वेद में स्थान पाने वाले उच्च दर्जे के पौधों में से है। इसका नियमित सेवन करने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है। यह आपको भारत के हर हिस्से में आसानी से उपलब्ध हो सकता है। यदि आप किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं तो इसका सेवन चिकित्सक की सलाह के बाद करे
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