थायराइड रोगियों को क्यों रहता है 'हाशिमोटो' रोग का खतरा? जानें इस बीमारी का कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

अगर आप थायराइड रोगी हैं, तो आपको हाशिमोटो नामक इस बीमारी के लक्षणों के प्रति सावधान रहना चाहिए। जानें इस बीमारी के बारे में यहां
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थायराइड रोगियों को क्यों रहता है 'हाशिमोटो' रोग का खतरा? जानें इस बीमारी का कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

हाशिमोटो थायरोडिटिस (Hashimoto's Thyroiditis) को हाशिमोटो नाम से भी जाना जाता है और यह एक ऑटो इम्यून बीमारी है। एक्सपर्ट डॉ. दीपक वर्मा (इंटरनल मेडिसिन, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, गाजियाबाद) के अनुसार इसमें हमारा इम्यून सिस्टम थायराइड पर अटैक करता है। इससे हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है। जिससे हमारा शरीर जरूरत के हिसाब से थायराइड हार्मोन नहीं बना पाता है। हमारी गर्दन में स्थापित थायराइड ग्लैंड एक हार्मोन बनाती है जो हमारे मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। इसमें आपका हार्ट रेट शामिल होता है और आपका शरीर मिलने वाले भोजन से अधिक जल्दी कैलोरी बनाने लगता है। यही नहीं इस दौरान हमारा शरीर बाहर के बैक्टीरिया आदि से लड़ने की बजाए खुद के ही टिश्यू पर आक्रमण करना शुरू कर देता है। हाशिमोटो थायरोडिटिस (Hashimoto's Thyroiditis) के बहुत से कारण हैं।

hashimoto disease

हाशिमोटो थायरोडिटिस के कारण (Hashimoto's Thyroiditis Causes)

जेनेटिक

जिन लोगों को हाशिमोटो थायरोडिटिस (Hashimoto's Thyroiditis) नामक बीमारी होती है हो सकता है उनके परिवार में से भी किसी सदस्य को पहले से ही यह बीमारी हो। इस प्रकार यह एक जेनेटिक कारण भी हो सकता है।

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हार्मोन

सेक्स हार्मोन भी इस बीमारी में एक अहम हिस्सा निभाते हैं। क्योंकि हाशिमोटो थायरोडिटिस (Hashimoto's Thyroiditis) महिलाओं को पुरुषों से 7 गुणा अधिक प्रभावित करता है। कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के एक साल बाद भी थायराइड समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। हालांकि यह समस्या जल्दी ही स्वयं ठीक हो जाती है।

अधिक आयोडीन

रिसर्च का मानना है कि कुछ ड्रग्स और बहुत अधिक आयोडीन के कारण भी आपको यह बीमारी हो सकती है। आयोडीन आपके शरीर को थायराइड हार्मोन बनाने के लिए आवश्यक होता है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा आपको हाशिमोटो थायरोडिटिस (Hashimoto's Thyroiditis) बीमारी का शिकार बना सकती है।

blood test

रेडिएशन एक्सपोजर

थायराइड के अधिकतर केस उन लोगों में देखने को मिलते हैं जो लोग अधिक रेडिएशन से एक्सपोज होते हैं जैसे जापान में एटॉमिक बॉम्ब। यह भी हाशिमोटो थायरोडिटिस (Hashimoto's Thyroiditis) बीमारी का एक कारण माना जा सकता है।

हाशिमोटो थायरोडिटिस के लक्षण (Hashimoto's Thyroiditis symptoms)

पहले और दूसरे साल में यह बीमारी बिल्कुल शुरुआती स्टेज में होती है और इस कारण इसके ज्यादा लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं। इसका सबसे पहला लक्षण होता है बढ़ा हुआ थायराइड जिसे गोइटर कहते हैं। गोइटर के कारण आपका गला सूज जाता है। इससे जुड़े कुछ अन्य लक्षण निम्न हैं।

  • वजन का बढ़ जाना।
  • थकान होना।
  • मुंह का सूजना या पीला पड़ जाना।
  • ज्वाइंट या मसल्स में दर्द होना।
  • कब्ज होना।
  • गर्भ धारण करने में समस्या आना।
  • डिप्रेशन
  • हार्ट रेट का धीमा होना। 
  • महिलाओं में मासिक धर्म का अनियमित हो जाना।
  • बालों का कमजोर होना और झड़ना।
thyroid neck problem
चूंकि  हाशिमोटो थायरोडिटिस (Hashimoto's Thyroiditis) बीमारी के लक्षण बहुत सी अन्य बीमारियों से भी मिलते जुलते हैं इसलिए आपको इस बीमारी की पहचान करने के लिए अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए। अगर हो सके तो शुरुआत के ही लक्षणों में डॉक्टर से चेक करवा लें नहीं तो हो सकता है यह स्थिति और अधिक गंभीर हो जाए और बात आपके हाथ से निकल जाए।

हाशिमोटो का उपचार आप कैसे कर सकते हैं (Hashimoto's Thyroiditis Treatment)

वैसे तो इस बीमारी का कोई उपचार नहीं है, लेकिन कुछ दवाइयों से आपके हार्मोन लेवल ठीक हो सकते हैं। जिससे आपका मेटाबॉलिज्म ठीक रह सकता है। यह दवाइयां अलग अलग डोज़ में उपलब्ध हैं। यह आपको आपकी उम्र, वज़न, हाइपोथायरायडिज्म की गंभीरता व अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याओं पर आधारित मिलेंगी।

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जैसे ही आप दवाइयां लेनी शुरू कर देंगे तो आपके डॉक्टर आपका एक टेस्ट करेंगे जिसका नाम, थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन टेस्ट है। दवाइयां खाने के बाद भी आपके गोइटर को ठीक होने में कुछ महीने तक लग सकते है। अगर इन दवाइयों को खाने से भी आपका हाशिमोटो थायरोडिटिस (Hashimoto's Thyroiditis) कम नहीं होता है या लक्षण खत्म नहीं होते हैं तो आपके डॉक्टर आपकी थायराइड ग्लैंड को निकाल भी सकते हैं।

अगर आपको भी हाशिमोटो थायरोडिटिस (Hashimoto's Thyroiditis) नामक बीमारी का सामना करना पड़ रहा है तो आपको बिल्कुल भी चिंतित होने की जरूरत नहीं है। बस डॉक्टर के पास जाकर अपना उपचार शुरू करवायें। कुछ ही महीनों में आप धीरे धीरे रिकवर होने लग जाएंगे। लेकिन आपको ध्यान रखना है कि डॉक्टर की बातों का सावधानी पूर्ण पालन करें और दवाइयों को नियमित रूप से लेते रहें। अपनी सेहत को लेकर बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें।

डॉ दीपक वर्मा, इंटरनल मेडिसिन, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल गाजियाबाद से बातचीत पर आधारित।।

Monika Agarwal

 

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