पिछले कुछ समय में देश में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं। इसके चलते हर साल सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है। कई बार सही इलाज या फिर फर्स्ट एड नहीं मिलने से भी मरीज को जान गंवानी पड़ती है। इसे देखते हुए भारत सरकार ने एक मुहीम चलाई है, जिसके तहत लोगों को सीपीआर ट्रेनिंग दी जाएगी। बीते कल यानि 6 दिसंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीय की अगुवई में इस मुहीम की शुरूआत हुई है।
एक दिन में 10 लाख लोगों को मिलेगी ट्रेनिंग
इस मुहीम के तहत बुधवार को कार्डियोपल्मोनरी रेजुससिएशन यानि सीपीआर की ट्रेनिंग दी गई है। वहीं, आज सुबह भी 9:30 मिनट पर वॉलेंटीयर्स को ट्रेनिंग दी जा रही है। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री भी ट्रेनिंग में शामिल रहे। दरअसल, ट्रेनिंग का मुख्य उद्देश्य लोगों को हार्ट अटैक के लिए दी जाने वाली फर्स्ट एड के प्रति जागरुक करना है। जिससे मौके पर ही मरीज की जान बचाई जा सके।
हर साल मरते हैं इतने लोग
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के कारण हर साल सैकड़ों लोगों की जान जाती है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट की मानें तो हार्ट अटैक के चलते पिछले साल यानि साल 2022 में 56, 653 लोगों की मौत हुई थी। इनमें 57 प्रतिशत मौत के पीछे की वजह हार्ट अटैक थी। रिपोर्ट के मुताबिक कार्डियक अरेस्ट के कारण होने वाली मौतों की संख्या साल 2021 में 28,413 थी। वहीं साल 2022 में बढ़कर यह 32, 457 हो गई थी।
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हार्ट अटैक आने पर क्यों जरूरी है सीपीआर?
हार्ट अटैक आने पर मरीज को सीपीआर देना रामबाण की तरह काम करता है। इससे मरीज के बचने की संभावना बढ़ जाती है। सीपीआर देने के लिए मरीज की छाती को दबाने के साथ ही उसके मुंह में सांस भरनी होती है। इससे ब्रेन को कुछ समय के लिए ब्लड और ऑक्सीजन मिल जाती है, जिससे मरीज की जान बच जाती है। सीपीआर देने के तुरंद बाद उसे अस्पताल लेकर जाना चाहिए।
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