Google AI Technology can Predict Heart Disease by Scanning Human Eyes: दुनिया का सर्च इंजन गूगल अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी की AI के जरिए ऑफिशियल वर्क को जल्दी निपटाने पर काम कर रहा है। ऑफिस, स्कूल के कामों को कम वक्त में निपटाने वाला गूगल अब मेडिकल और हेल्थकेयर सेक्टर में नई क्रांति लाने जा रहा है। गूगल AI के जरिए इंसानों के अंदर बीमारियों की पहचान को आंखों से पता लगाने की तकनीक पर काम कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गूगल एक ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है, जिसके जरिए एआई आंखों को स्कैन करके हार्ट संबंधी बीमारियों का पता लगा सकेगा। अगर ऐसा होता है तो इंसान के शरीर में पल रही बीमारियों का कम वक्क में सटीक पता चल सकेगा। साथ ही, बीमारियों का इलाज भी सही समय पर संभव होगा, जिससे मरीज की जान बच सकेगी।
गूगल के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर सुंदर पिचाई का कहना है कि भविष्य में गूगल एआई के डीप एनालाइजेशन का इस्तेमाल करेगा, जिसके जरिए आंखों के रेटीना को स्कैन करके इंसान के अंदर पल रही बीमारियों का पता चल सकेगा। सुंदर पिचाई का कहना है कि इसके लिए किसी तरह के ब्लड, यूरिन या अन्य किसी तरह के सैंपल लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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इस संस्थान के साथ गूगल ने मिलाया हाथ
इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए गूगल ने भारत के मशहूर आई केयर चेन अरविंद आई हॉस्पिटल से हाथ मिलाया है। रिपोर्ट्स की मानें तो दोनों संस्थान मिलकर AI के जरिए डायबेटिक रेटिनोपैथी का पता लगाने पर काम कर रहे हैं। जानकारी के लिए बता दें कि डायबिटीज से ग्रसित मरीज की आंखें कमजोर हो जाती है। कुछ मामलों में मरीज की आंखों की रोशनी भी चली जाती है। डायबिटीज के कारण आंखों को पहुंचने वाले नुकसान को मेडिकल की भाषा में डायबेटिक रेटिनोपैथी कहा जाता है। डायबेटिक रेटिनोपैथी का पता लगाने के लिए गूगल ने एक अल्गोरिद्म डेवलप किया है। इससे पहले साल की शुरुआत में गूगल पहले ही एक एल्गोरिदम पेश कर चुका है, जो किसी व्यक्ति के लिंग, धूम्रपान की स्थिति की पहचान करने और दिल के दौरे के पांच साल के जोखिम की भविष्यवाणी करने में सक्षम है, यह सब रेटिना इमेजरी पर आधारित है।
Good bye to CT Scan,MRI, Xray. Cardiovascular events can be predicted by eye scan.
Doctors can now get clear view of what is inside the body of a patient. Sundar Pichai, Google AI pic.twitter.com/bOq8VLnB2M
भविष्य में नहीं पड़ेगी इन मेडिकल टेस्ट की जरूरत
गूगल द्वारा मेडिकल क्षेत्र में आंखों के जरिए बीमारियों का पता लगाने का काम अगर पूरा हो जाता है, तो भविष्य में बीमारियों का पता लगाने के लिए एक्स-रे, एमआरआई और सीटी-स्कैन जैसे पारंपरिक मेडिकल टेस्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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गूगल लेंस के जरिए पता चलेगी स्किन संबंधी बीमारियां
हार्ट प्रॉब्लम के अलावा गूगल पहले ही एआई की मदद से स्किन संबंधी बीमारियों का पता लगाने पर काम कर चुका है। गगूल द्वारा जारी किए गए ब्लॉग में कहा गया है कि लेंस सिस्टम के जरिए आप रैश या तिल को स्कैन करके स्किन की बीमारी का पता लगा सकते हैं। इसके लिए आप बस रैश और तिल की फोटो को क्लिक करके गूगल लेंस पर अपलोड करना। थोड़ी ही देर बाद इसका रिजल्ट सामने आ जाएगा।
ऐसा माना जा रहा है कि गूगल अगर आंखों के रेटिना को स्कैन करके बीमारियों का पता लगाने में सक्षम हो जाता है, तो भविष्य में कई तरह के मेडिकल टेस्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी। Image Credit: Freepik.com