प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को कई चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। प्रेगनेंसी में शुगर का स्तर बढ़ने के कारण जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या होती है। इस बीमारी के कारण डिलीवरी के दौरान जोखिम बढ़ सकता है। अगर जेस्टेशनल डायबिटीज का इलाज न किया जाए, तो होने वाले शिशु की जान खतरे में पड़ सकती है। जेस्टेशनल डायबिटीज में प्लेसेंटा को ग्लूकोज और अन्य पोषक तत्व नहीं मिल पाते। लोगों में बीमारियों की समझ बढ़ाने और बीमारियों के प्रति जागरूक करने के लिए ओनलीमायहेल्थ एक स्पेशल सीरीज लेकर आया है जिसका नाम है 'बीमारी को समझें'। आज इस सीरीज में हम आपको बता रहे हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली बीमारी जेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण, कारण, इलाज और अन्य जरूरी जानकारी। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने झलकारीबाई अस्पताल की गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ दीपा शर्मा से बात की।
जेस्टेशनल डायबिटीज क्या है?- Gestational Diabetes In Hindi
जेस्टेशनल डायबिटीज यानी गर्भकालीन मधुमेह गर्भवती महिलाओं में होने वाली एक समस्या है। ये एक प्रकार की डायबिटीज (diabetes) है। जेस्टेशनल डायबिटीज होने पर महिला के शरीर में इंसुलिन हार्मोन की पर्याप्त मात्रा नहीं बन पाती। जिन गर्भवती महिलाओं की उम्र 27 साल से ज्यादा होती है उनमें जेस्टेशनल डायबिटीज होने की आशंका होती है।
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प्रेगनेंसी में जेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण- Gestational diabetes Symptoms
- कंपकंपी महसूस होना।
- बार-बार प्यास लगना।
- धुंधला नजर आना।
- त्वचा में संक्रमण।
- जल्दी-जल्दी पेशाब आना।
- थकान महसूस होना।
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जेस्टेशनल डायबिटीज क्यों होती है?
जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या ज्यादातर केस में आखिरी महीनों में होती है। कुछ केस में ये बीमारी शुरुआती स्टेज में भी होती है। अगर गर्भवती महिला के शरीर में इंसुलिन नाम का हार्मोन पर्याप्त मात्रा में नहीं बन रहा है, तो उसे जेस्टेशनल डायबिटीज हो सकती है। परिवार में पहले से किसी को डायबिटीज है, तो गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी (pregnancy) के दौरान डायबिटीज हो सकती है। प्रेगनेंसी में कसरत न करने या अनहेल्दी खाने के कारण जेस्टेशनल डायबिटीज हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान ज्यादा मीठा खाने के कारण जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या हो सकती है।
जेस्टेशनल डायबिटीज से कैसे बचें?
- प्रेगनेंसी के दौरान मीठी चीजों का सेवन न करें। ज्यादा मीठा खाने से अनहेल्दी फैट शरीर में जमा होगा और बीमारी का कारण बनेगा।
- फाइबर युक्त ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें।
- प्रेगनेंसी के दौरान समय-समय पर शुगर की जांच करवाएं। 24 से 28 वें हफ्ते में खास तौर पर टेस्ट करवाएं।
- जेस्टेशनल डायबिटीज से बचने के लिए आप रोजाना 30 मिनट कसरत करें।
- प्रेगनेंसी के दौरान आप साइकलिंग, वॉक, स्ट्रेचिंग कर सकती हैं।
जेस्टेशनल डायबिटीज से बचने के लिए क्या खाएं?
प्रेगनेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज (gestational diabetes) जैसी बीमारियों से बचने के लिए नट्स का सेवन करें। मिल्क, साबुत अनाज, फलियां, विटामिन सी युक्त आहार लें। जेस्टेशनल डायबिटीज से बचने के लिए सफेद चावल, हाई सैचुरेटेड फैट, चीज़, कैंडी, सोडा और तली हुई चीजें आदि न खाएं।
जेस्टेशनल डायबिटीज के नुकसान
- जेस्टेशनल डायबिटीज होने पर गर्भवती महिला को हाई बीपी की समस्या हो सकती है।
- गर्भकालीन मधुमेह के कारण सिजेरियन डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है।
- नवजात शिशु को सांस लेने में समस्या हो सकती है।
- नवजात शिशु में कैल्शियम की कमी, लो बीपी की समस्या हो सकती है।
जेस्टेशनल डायबिटीज का इलाज कैसे किया जाता है?
जेस्टेशनल डायबिटीज होने पर ओरल ग्लूकोज टेस्ट, ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट आदि करवाए जाते हैं। अगर शुगर लेवल 200 या उससे ज्यादा होता है, तो टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) की समस्या हो सकती है। जेस्टेशनल डायबिटीज होने पर डॉक्टर शुगर लेवल कंट्रोल करने की सलाह देते हैं। जेस्टेशनल डायबिटीज होने पर डॉक्टर कसरत करने की सलाह देते हैं। आपको रोजाना 30 मिनट फिजिकल वर्कआउट करना चाहिए। प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर बीपी (blood pressure) और कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) का स्तर कंट्रोल करने की सलाह देते हैं। डॉक्टर, जेस्टेशनल डायबिटीज होने पर मरीज को मधुमेह की दवा खाने की सलाह देते हैं।
अब आप जेस्टेशनल डायबिटीज के बारे में जरूरी जानकारी हासिल कर चुके होंगे। प्रेगनेंसी के दौरान जरूरी चेकअप की मदद से बीमारियों से बचा जा सकता है। लेख पसंद आया हो, तो शेयर करना न भूलें।