अगर किसी व्यक्ति के हाथ या पैर में कोई परेशानी हो जाती है को वह व्यक्ति असामान्य महसूस करता है। ऐसा ही कुछ तब होता है जब किसी व्यक्ति के पंजे काम करना बंद कर देते हैं। इस समस्या में पैर का आगे का हिस्सा नहीं उठा पाता है। इस स्थिति को फुट ड्रॉप के नाम से जाना जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति ना अपने अंगूठे को उठा पाता है और ना अपने पैर के आगे हिस्से को। यह परेशानी किसी भी कारण से हो सकती है जैसे मांसपेशियों की क्षति के कारण या नस दब जाने के कारण ये समस्या हो सकती है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि फुट ड्रॉप के लक्षण क्या हैं। साथ ही इसके कारण और बचाव भी जानेंगे। पढ़ते हैं आगे...
फुट ड्राप के कारण (foot drop causes)
1 - कुछ विकार जैसे सो मल्टीपल स्क्लेरोसिस रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है, जिसके कारण फुट ड्रॉप की समस्या पैदा हो सकती है।
2 - बता दें कि जब रीढ़ की हड्डी की कोई नस दब जाती है तब भी फुट ड्रॉप की समस्या पैदा हो सकती है।
3 - जब नस दब जाती है तब भी फुट ड्रॉप की समस्या पैदा होती है।
4 - जब मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के कारण मांसपेशियां क्षतिग्रस्त होती है तब भी फुट ड्रॉप की समस्या पैदा हो जाती है। पोलियो रोग भी इसी समस्या का एक कारण है।
5 - कुछ लोग अपने पैर को एक दूसरे के ऊपर चढ़ा कर रखते हैं (क्रॉसिंग लेग) ऐसे में पेरोनियल नस दब जाती है और यह समस्या पैदा हो जाती है।
6 - जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक घुटनों के बल खड़ा होता है तब भी पेरोनियल नसों पर दबाव पड़ सकता है और यह समस्या पैदा हो सकती है।
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फुट ड्रॉप के लक्षण (foot drop symptoms)
1 - पैर की मांसपेशियों पर दबाव पड़ना और कमजोरी महसूस करना।
2 - बार-बार पैरों में झटका महसूस करना।
3 - शरीर का संतुलन बिगड़ना।
4 - बार बार ठोकर लगना या गिरना।
5 - पैर का सुन्न हो जाना
6 - एक तरफ के पैर पर ज्यादा झुकाव देना
7 - बिना सहारे के खड़े ना हो पाना।
बता दें कि जब यह समस्या महसूस होती है तो व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। क्योंकि जब मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है तो समस्या और अधिक बढ़ सकती है ऐसे में लापरवाही सही नहीं होती है।
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फुट ड्रॉप का परीक्षण
बता दें कि डॉ. परीक्षण के लिए सबसे पहले मौखिक रूप से जांच करते हैं। उसके बाद टांगों की मांसपेशियों का परीक्षण करते हैं। इसके लिए डॉक्टर इमेजिंग स्कैन, सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड आदि की भी मदद लेते हैं। नसों की जांच के लिए डॉक्टर इलेक्ट्रोमायोग्राफी टेस्ट की भी सलाह देते हैं। वही इलाज के तौर पर डॉक्टर फिजिकल थेरेपी जिसमें स्ट्रेचिंग, एक्सरसाइज आदि होती हैं। इसके अलावा वे सलाह देते हैं कि ब्रेसिस, नर्व स्टिमुलेशन, सर्जरी आदि की मदद से भी समस्या का इलाज किया जाता है।
फुट ड्रॉप से बचाव
यदि फुट ड्रॉप से बचाव करना चाहते हैं तो जीवन शैली में थोड़ा सा बदलाव जरूरी है। अगर कोई व्यक्ति पहले ही फुट ड्रॉप शिकार हो गया है तो इसका इलाज घर पर संभव नहीं है। इसके लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है लेकिन अगर व्यक्ति इस समस्या का शिकार नहीं हुआ है तो बता दें कि ये समस्या ज्यादातर चड़ने या गिरने के कारण भी हो सकती है। ऐसे में अगर आप जिस भी स्थान पर रह रहे हैं वहां का फर्श साफ रखें और चटाई आदि फिसल पट्टी पर ना चले सीढ़ियों पर चलते वक्त भी किसी सहारे की मदद नहीं लें। थोड़ी सी सतर्कता आपको समस्या से दूर कर सकती है।
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