Food Eating Mistake Which Increases Risk of Chronic Diseases: हम भारतीयों की कला विभिन्न तरह के व्यंजन पकाने और खाने में हैं। उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक न सिर्फ कई तरह के पकवान बनाए और खाए जाते हैं, बल्कि उन्हें परोसने का अंदाज भी अलग होता है। शायद यही कारण है कि हम भारतीय विभिन्न क्षेत्रों को थाली के जरिए डिवाइड करते हैं और उसके हिसाब से ही खाना खाते हैं। जब बात थाली की आती है तो उसमें कई अलग-अलग चीजों को शामिल किया जाता है। लेकिन हम भारतीय सभी थालियों में एक सामान्य गलती कर रहे हैं, जिसके कारण क्रोनिक डिजीज (What is a chronic disease?) का खतरा बढ़ रहा है। न्यूट्रिशनिस्ट और हेल्थ कोच लीमा महाजन का कहना है कि भारतीय थाली में जो खाना परोसा जा रहा है, उसमें न्यूट्रिशन का विभाजन गलत तरीके से किया जा रहा है, जिसके कारण हार्मोन्स पर इफेक्ट पड़ रहा है और क्रोनिक डिजीज का खतरा भी बढ़ रहा है। इसलिए थाली में परोसे जाने वाले खाने के पोषक तत्वों को सही तरीके से विभाजित करना जरूरी है।
क्रोनिक डिजीज क्या है?- What is a chronic disease?
एक्सपर्ट के अनुसार, क्रोनिक डिजीज एक ऐसी स्थिति है जो तीन महीने या उससे ज्यादा समय तक शरीर को परेशान करती है। समय के साथ क्रोनिक डिजीज के कारण होने वाली परेशानियां बढ़ती चली जाती हैं। डिप्रेशन, वजन बढ़ना या घटना, किसी काम में फोकस बनाने में कमी, हमेशा थकान महसूस होना और नींद की कमी क्रोनिक डिजीज के लक्षण हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि क्रोनिक डिजीज के लक्षण वक्त के साथ खराब हो जाते हैं और बीमारियां बढ़ती हैं। क्रोनिक डिजीज से बचाव के लिए खानपान और जीवनशैली को बदलने की जरूरत है।
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क्रोनिक डिजीज से बचाव के लिए क्या करें?- What to do to prevent chronic diseases?
लीमा महाजन का कहना है कि क्रोनिक डिजीज से बचाव के लिए अपनी जीवनशैली और खाने की थाली को बैलेंस करना जरूरी है। इसलिए आपको खाने में मौजूद पोषक तत्वों का विभाजन सही तरीके से करना पड़ेगा। एक्सपर्ट के मुताबिक किसी भी इंसान को खाना खाने से पहले अपनी थाली को 3 हिस्सों में विभाजित करना चाहिए और इन हिस्सों में नीचे बताई गई चीजों को शामिल करना चाहिए।
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1. क्रोनिक डिजीज समेत कई बीमारियों से बचाव के लिए आपकी थाली का आधा हिस्सा पकी हुई हरी सब्जियां (बीन्स, पालक, गोभी, मटर, आलू व अन्य) और सलाद से भरा हुआ होना चाहिए। हरी सब्जियों और सलाद में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और फाइबर पाया जाता है। प्रोटीन शरीर को एनर्जी देने का काम करता है। वहीं, फाइबर मल को मुलायम बनाकर पाचन संबंधी परेशानियों से राहत दिलाता है।
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2. थाली का दूसरा हिस्सा प्रोटीन का होना चाहिए। शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए आप फलियां, पनीर, सोया, दही, चिकन और मछली जैसी चीजों को शामिल करना चाहिए।
3. थाली का आखिरी चौथाई हिस्सा अनाज से बनी चीजें, जैसे की चावल, रोटी या किसी भी अन्य तरह की ब्रेड का होना चाहिए।
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एक्सपर्ट का कहना है कि हमारे खाने के पैटर्न में एक आम समस्या यह है कि हम दालें, फलियां, हरी सब्जियां और संपूर्ण प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों का सेवन अपर्याप्त मात्रा में करते हैं, जबकि अनाज और बाजरा जैसी चीजों का सेवन एक सीमित मात्रा में करना चाहिए। वर्तमान में, हम अपनी कैलोरी का 65-70 प्रतिशत से ज्यादा अनाज से प्राप्त कर रहे हैं, जबकि कुल मिलाकर स्वस्थ वयस्कों को अनाज से सिर्फ 45 प्रतिशत प्रोटीन की अनाज से प्राप्त करना चाहिए।
उम्मीद करते हैं इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद खाने की थाली को संतुलित करेंगे और क्रोनिक डिजीज से बचाव करेंगे।
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