खाने को रंग-बिरंगा बनाने वाले फूड कलर्स बना सकते हैं बच्चों को ADHD सिंड्रोम का शिकार, जानें कारण

खाने में इस्तेमाल होने वाले फूड-कलर्स से एडीएचडी (Attention Deficit Hyperactivity Disorder)होता है। इसके कारण बच्चों के व्यवहार में काफी बदलाव आ रहा है। कुछ अध्ययनों में बच्चों के व्यवहार और फूड- डाई या फूड-कलर्स से दोनों के बीच का संबंध निकाला गया, जिसमें पता चला कि खाने में इस्तेमाल होने वाले फूड-कलर्स से बच्चों में एडीएचडी बढ़ रहा है। 
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खाने को रंग-बिरंगा बनाने वाले फूड कलर्स बना सकते हैं बच्चों को ADHD सिंड्रोम का शिकार, जानें कारण

एडीएचडी यानी 'अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (Attention Deficit Hyperactivity Disorder)',ज्यादातर बच्चों में पाए जाने वाली व्यवहार संबंधी बीमारी है, जो बच्चों में असावधानी, अतिसक्रियता और आवेग का कारण है। एक रिसर्च की मानें तो खाने में इस्तेमाल होने वाले फू़्ड-कलर्स बच्चों में कई सारे मानसिक विकारों का कारण हो सकता है। हालांकि फूड डाइ को एडीएचडी से जोड़ने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं, लेकिन कई माता-पिता इस बात को लेकर चिंतत हैं कि फूड डाई हाइपरटेंशन सहित एडीएचडी लक्षणों को बढ़ाता है। हालांकि अध्ययनों में अभी तक यह नहीं पाया गया है कि क्या यह सिर्फ एक डाई या किसी प्रकार के भी फूड- डाई के कारण यह बच्चों में और बढ़ रहा है। दूसरी तरफ, कई देशों ने पहले ही उन खाद्य पदार्थों पर चेतावनी के संकेत देने शुरू कर दिए हैं, जिनमें छह से अधिक डाई हैं। 

दरअसल एडीएचडी मस्तिष्क संरचना, पर्यावरणीय कारकों और आनुवंशिकता में परिवर्तन के संयोजन होने वाली बीमारी है। यूनाइटेड किंगडम की फूड स्टैंडर्ड एजेंसी द्वारा लगभग 300 बच्चों के एक अध्ययन से पता चला है कि डाई वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से बच्चों में अतिसक्रिय व्यवहार बढ़ सकता है। 3-8 और 9 साल के बच्चों के अध्ययन में, बच्चों को पीने के लिए तीन अलग-अलग प्रकार के पेय दिए गए। फिर उनके व्यवहार का मूल्यांकन शिक्षकों और अभिभावकों द्वारा किया गया।एडीएचडी के लक्षणों को बढ़ाने के लिए जिन रंगों का इस्तेमाल होता है उस पर भी शोध किया गया। इस शोध में ब्लू कलर से डाई किए हुए खाद्य पदार्थों को नंबर 1, लाल रंग वाले को नंबर 40 और येलो कलर वाले को नंबर 5 से नामांकित किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि 8-12 और 9 साल के बच्चों द्वारा हाइपरएक्टिव व्यवहार दोनों मिश्रण के साथ बढ़ गया जिसमें आर्टिफिशयल कलर एडिटिव्स थे। 3-वर्षीय बच्चों का हाइपरएक्टिव व्यवहार पहले पेय के साथ बढ़ा। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि परिणाम खाद्य रंगों की खपत के बाद व्यवहार पर प्रतिकूल प्रभाव दिखाते हैं।

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क्या है फूड डाई?

फूड डाईफूड कलरिंग में खाने में रंग मिलाने के लिए इस्तेमाल होने वाले रसायन होते हैं। डाई को अक्सर खाद्य पदार्थ, पेय और मसालों में इस्तेमाल किया जाता है। उनका उपयोग खाने की खूबसूरती व टेस्ट को और बनाए रखने या सुधारने के लिए किया जाता है। आमतौर पर कई कारणों से फूड डाई का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे बेरंग खाद्य पदार्थों में रंगीन बनाने के लिए भोजन के रंग में भिन्नता होने पर स्थिरता प्रदान करने के लिए और लोगों में खाने के खास रंग से अट्रैक्ट करने के लिए आदि। इन रंगो को देखकर लोगों को इसे खाने की चाहत पैदा होती है और वह इसलिए ऐसे प्रोडक्ट्स को खाते हैं। 

एडीएचडी में भोजन की भूमिका

कई शोध में पाया गया कि फूड- डाई का इस्तेमाल करने से बच्चों में संवेदनशीलता और एडीएचडी व्यवहार की बढ़ोतरी हुई है। इससे बच्चे अधिक गुस्सेल और चिड़चिड़े स्वभाव के हो जाते हैं। वो अचानक से कभा आवेग में आ जाते हैं,तो कभी कभार वह अचानक ही हर बात गलत तरीके रिएक्ट करने लगते हैं। इसके अलावा शोध में यह भी पता चला है कि मस्तिष्क के विकास और कामकाज के लिए आवश्यक प्रमुख पोषक तत्वों की कमी के कारण भी बच्चों में असावधानी, अतिसक्रियता और आवेग जैसे व्यवहार बढ़ रहे हैं।

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आप क्या कर सकते है?

बच्चों को आर्टिफिशल शुगर और डाई फूड-प्रोटक्ट्स को खाने के लिए न दें। इसके बजाय, प्रोटीन, कार्ब्स और फाइबर पर अधिक जोर दें। एक स्वस्थ आहार रक्त सर्कुलेशन को स्थिर करने और एडीएचडी के कुछ लक्षणों को समाप्त करने में मदद कर सकता है। दरअसल मस्तिष्क की कार्यप्रणाली मुख्य ऊर्जा स्रोत के रूप में ब्लड सर्कुलेशन पर निर्भर करती है, और डाई फूड्स वास्तव में ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करके मस्तिष्क के कामकाज में परेशानी डालती है।

Written by Pallavi Kumari

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