गर्भावस्था को तीन तिमाही में बांटा जाता है- पहली, दूसरी और तीसरी। गर्भधारण के बाद से लेकर पहले तीन महीने बच्चे के लिए बहुत जरूरी होते हैं। क्योंकि इन 12 सप्ताह में शिशु पूर्ण रूप से बन जाता है। भ्रूण के हाथ, पैर व शरीर के अंगों को देखा जा सकता है। पहली तिमाही में में गर्भ अत्यंत संवेदनशील रहता है और उसको दवाइयों, जर्मन मीजल्स, रेडिएशन, तंबाकू, रासायनिक एवं जहरीले पदार्थों के संपर्क में आने से नुकसान हो सकता है। पहली तिमाही महिला में कुछ परिवर्तन भी होते हैं। महिला की स्तन ग्रंथि विकसित होती है, गर्भाशय का भार मूत्राशय पर आने से बार-बार पेशाब लगती है, हार्मोन में बदलाव होता है जिसके कारण महिला का मूड भी बदलता है। सुबह-सुबह सुस्ती व अरुचि और कई बार उल्टी करने की इच्छा भी होती है। इस दौरान कब्ज भी हो सकती है, क्योंकि बढ़ता हुआ गर्भाशय अंतड़ियों पर दबाव डालता है। आइए हम आपको बताते हैं इस दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
गर्भावस्था की पहली तिमाही
कैसा हो आहार
गर्भधारण के बाद सबसे जरूरी है खान-पान पर ध्यान देना। मां और होने वाले बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है मां का आहार पौष्टिक होना चाहिए। क्योंकि इस दौरान भ्रूण का विकास तीव्र गति से होता है। महिला के शरीर का आकार और भार बढ़ जाने के कारण बीएमआर यानी बॉडी मेटाबॉलिक रेट बढ़ जाता है और पाचन क्रिया पर इसका असर पड़ता है।
गर्भवती महिला के शरीर के विषाक्त पदार्थों को निकालने के कारण गुर्दों का कार्यभार भी बढ़ जाता है| आईसीएमआर के पोषण दल के अनुसार गर्भावस्था में स्त्री को सामान्य से अधिक मात्रा में पोषक तत्व लेना चाहिए। भ्रूण के विकास के लिए प्रोटीन की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए गर्भावस्था में प्रतिदिन 15 ग्राम अतिरक्त मात्रा में प्रोटीन लेना चाहिए। खाने में ताजे फल, बीन्स, भिन्डी, दलिया, अंडा, साबूत अनाज आदि अवश्य शामिल कीजिए।
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नियमित व्यायाम करें
गर्भधारण करने के बाद अपनी दिनचर्या में व्यायाम को शामिल कीजिए। पहली तिमाही में महिला का वजन ज्यादा नहीं बढ़ता इसलिए आप इस दौरान सामान्य दिनों की तरह व्यायाम कर सकती हैं। नियमित व्यायाम करने से महिला को अनिद्रा के साथ तनाव से भी राहत मिलती है। इसलिए सुबह-सुबह कम से कम आधा घंटा व्यायाम कीजिए। जागिंग, तेज टहलना, स्वीमिंग आदि कर सकती हैं। लेकिन व्यायाम के दौरान ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर में बदलाव के कारण चक्कर और थकान की समस्या हो सकती है। ऐसी समस्या होने पर व्यायाम बंद कर देना चाहिए।
यदि थकान हो तो
गर्भधारण के बाद आप जो भी आहार लेती हैं उससे आपके शिशु को पोषण मिलता है जिसके कारण आप जल्दी थक जाती हैं। यह समस्या पहली तिमाही में सबसे ज्यादा होती है। थकान महसूस होने का मतलब खून में कमी भी हो सकता है। हो सके तो ज्यादा से ज्यादा आराम भी करें। ऐसी समस्या होने पर अपने चिकित्सक से संपर्क करें।
अन्य बातों का ध्यान रखें
इस दौरान महिला को नशे से दूर रहें, ज्यादा कैफीन के सेवन से परहेज करें, बाहर का जूस और खाना बिलकुल न खायें। अनपॉश्चराइज्ड दूध का भी सेवन न करें। पनीर, कच्चा मांस, मछली और अंडा खाने से बचना चाहिए, इसमें मौजूद बैक्टीरिया आपको अस्वस्थ कर सकते हैं। अधिक मात्रा में पानी पियें, कम से कम 8 से 10 ग्लास पानी का सेवन करें।
गर्भवस्था की पहली तिमाही में कई प्रकार की जटिलतायें आती हैं। मॉर्निंग सिकनेस, ब्लीडिंग, मतली, थकान आदि इस ट्राइमेस्टर में होने वाली समस्यायें हैं। यदि यह समस्या कई दिनों तक बनी रहे तो चिकित्सक से अवश्य सलाह लें।
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