मकान की छत पर, कॉलोनी के गार्डन में, मंदिरों व मस्जिदों के सामने अक्सर बड़ी संख्या में कबूतर दाना चुगते दिखते हैं। उन्हें दाना डालने वाले भी उतने ही चाव से ये दाना डालते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। कबूतरों के पंख से निकलने वाले फीदर डस्ट मनुष्यों में अति संवेदनशील निमोनिया या बर्ड फैंसियर्स लंग की बीमारी बढ़ा रहे हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि जो लोग कबूतरों को करीब से या फिर गोद में बैठाकर दाना देने का शौक रखते हैं वह बहुत जल्द फेफड़ों की बीमारी के शिकार हो सकते हैं।
अत्यधिक एलर्जी होती है इसमें
बर्ड ड्रापिंग को एलर्जी उत्पन्न करने वाला बेहद तीव्र पदार्थ माना जाता है, जिसके कारण फेफड़े गंभीर रूप से सूजन का शिकार होते हैं। सामान्य परिस्थिति में इसे चिकित्सक आम निमोनिया समझ लेते हैं जबकि यह बर्ड ड्रापिंग्स से होने वाली अतिसंवेदनशील निमोनिया या बर्ड फैंसियर्स लंग की बीमारी होती है।
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शहरों में बढ़ रही है ये बीमारी
मकानों में एसी लगाने के स्थान व पाइप कबूतरों के निवास बन गए हैं। ऐसे में छतों पर दाना चुग कर वे वहीं बैठते हैं। उनके पंखों से निकले कण एसी के जरिए घरों में घुसते हैं। इस विषय पर देश में पिछले साल ही एक स्टडी हुई। इसमें यह बात सामने आई कि जागरूकता न होने के कारण लोग इलाज में चार-चार साल तक की देरी कर चुके होते हैं।
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क्या कहते हैं डॉक्टर
पक्षी विज्ञानी डॉ. रजत भार्गव का कहना है कि पक्षियों के पंख से निकलने वाले छोटे अंश फेफड़ों को धीरे-धीरे जाम करते हैं जिससे सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। जो लोग इनके नजदीक रहते हैं उन्हें मास्क लगाकर रहना चाहिए। घर के आस-पास कबूतरों को दाना डालने से बचना चाहिए।
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