असफल होना अंत नहीं होता है बल्कि यह एक बुरा दौर होता है। किसी को भी सफलता उतनी आसानी से नहीं मिलती जिसकी वे कल्पना करते हैं, सफलता की राह में कई तरह की रुकावटें आना लाजमी हैं।
असफलता यह एहसास कराती है कि सफतला के लिए प्रयास पूरे मन से नहीं किया गया है। ये रुकावटें आपको सिखाती हैं, ये आपको आगे बढ़ने के लिए उकसाती हैं। तो अगर इस बार आप असफल हो गये हैं तो फिर से पूरी तैयारी के साथ उठिये फिर देखिये कैसे सफलता आपके कदम चूमती है।
कहां-कहां मिलती है नाकामयाबी
परीक्षा में उम्मीद से कम नंबर मिलना, किसी प्रतियोगी परीक्षा की बार-बार तैयारी के बाद भी उसमें असफल होना और माता-पिता की उम्मीदों के अनुसार अच्छे अंकों से पास न हो पाना या फेल हो जाना। व्यापार में उम्मीद के हिसाब से मुनाफा न मिलना, नौकरी के लिए दर-दर भटकना, आदि जगहों पर आपको कई बार बस ठोकरें मिलती हैं, ये आपको बस निराश करती हैं और आपके मार्ग से भटकाती हैं।
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असफलता के कारण
असफलता तभी मिलती है जब आप पूरे मन और लगन के साथ मेहनत नहीं करते हैं। अगर किसी काम को पूरी लगन और मेहनत के साथ प्लान बनाकर किया जाये तो असफलता की कोई गुजाइश ही नहीं होगी। तो अगर इस बार आपको असफलता मिली है तो घबराने और तनाव में जाने की बजाय अगली बार के लिए खुद को तैयार कीजिए।
क्या होता है प्रभाव
रिजल्ट के परिणाम आने के बाद जो बच्चे फेल हो जाते हैं या उम्मीद से कम नंबर लाते हैं उनपर सबसे अधिक प्रभाव होता है। ऐसे विद्यार्थी निराश हो जाते हैं। इस असफलता को जीवन का अंत समझ बैठते हैं और आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। इसके अलावा जो लोग बार-बार कोशिशों के बावजूद भी सफल नहीं होते वे तनाव और असवाद ग्रस्त हो जाते हैं। कुछ लोग इसे अपने जीवन की सबसे बड़ी हार मान लेते हैं और आत्महत्या तक कर लेते हैं।
कैसे निकलें इस दौर से
असफलता ही सफलता के लिए नये द्वार खोलती है, क्या पता जिस काम में आज आप फेल हुए हैं उसमें अगली बार आप ऐसा कीर्तिमान बनायें जिसपर लोग गर्व करें। नाकामयाबी को ही अंत नहीं समझना चाहिए बल्कि इसे एक नये शुरूआत के रूप में देखना चाहिए। अपनी कमियों के बारे में विचार करना चाहिए, उसपर मंथन करन चाहिए। यह सोचना चाहिए कि आखिर असफलता के पीछे कौन से कारण जिम्मेदार हैं, उन कमियों को दूर कर पूरे मन से कोशिश करनी चाहिए।
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