कम उम्र में मां बनना किसी भी महिला के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। इस दौरान उसके सामने कई मुश्किलें आती हैं। पारिवारिक, सामाजिक और निजी मोर्चे के साथ-साथ उसे आार्थिक पक्ष का भी खयाल रखना पड़ता है। जानते हैं इस दौरान महिला को किस प्रकार की आर्थिक समस्याओं से रूबरू होना पड़ सकता है।
किशोर गर्भावस्था में किशोरी को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिनमें आर्थिक समस्या भी एक है। भारत जैसे देश में महिलाएं अभी भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हैं। और जब महिला कम उम्र में ही गर्भवती हो जाती है, तो न केवल उस पर बल्कि उसके परिवार भी भी आर्थिक भार और अधिक बढ़ जाता है। किशोरी को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं, हालांकि वे प्रतिबद्धता, समर्थन, और समर्पण के साथ दूर किया जा सकता है। लेकिन, इसका अपना एक अहम पक्ष भी है। आइए जानें किशोरी को गर्भावस्था के दौरान किन आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
किशोर गर्भावस्था की आर्थिक समस्याएं
मेडिकल केयर
जब आर्थिक रूप से चिकित्सा देखभाल का समर्थन करने की बात आती है तो किशोर माताओं को बहुत सारे मुद्दों का सामना करना पड़ता है। यदि किशोर मां का बीमा है, तो उसकी चिकित्सा समस्याओं का कवर, मिलता है, लेकिन बच्चे के लिए एक अलग बीमा करवाने की आवश्यकता होती है। जब माता-पिता मातृत्व देखभाल को कवर करने के लिए बीमा नहीं कराते, तो डिलिवरी के खर्चों का भुगतान करना परिवार की आर्थिक स्थिति के लिए एक चुनौती हो जाता है।
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बच्चे की देखभाल
बच्चों की देखभाल करना आज के समय में कोई सस्ता मामला नही है। बच्चों की देखभाल के लिए मां के पास कम से कम इतना तो होना चाहिए कि वह अपनी और अपने बच्चे की न्यूनतम जरूरतों को पूरा कर सके। लेकिन, हमारे यहां महिलाओं को अभी भी पूरी तरह आर्थिक स्वतंत्रता नहीं मिली है। इसके अलावा, अगर एक किशोर मं नौकरी प्राप्त कर भी लेती है, तो उसके लिए परिवार और अपनी नौकरी के बीच में सही सामंजस्य बैठा पाना एक मुश्किल चुनौती होता है। एक किशोर मां स्थानीय स्वास्थ्य देखभाल विभाग से संपर्क करके चाइल्डकेअर सेवाओं का लाभ उठा सकती है। बहुत सारे राज्य किशोर माताओं को चाइल्डकेअर सेवाओं की सुविधा देती है जिससे उनको अपनी और अपने बच्चे की देखभाल करने में सहायता मिलती है।
बच्चों का सामान
बच्चे के सामान में जो खर्चा होता है वह शुरू में एक समस्या की तरह नहीं लगता। लेकिन, महंगाई के इस दौर में वह कई बार परेशानी का सबब तो बनता ही है। बच्चों के सामान में डायपर, तेल, बोतलें आदि शामिल करनी ही पड़ती हैं। सही मायनों में यह बच्चे के सामान की पहली सूची हैं यह सब सामान उसे चाहिए होता है पैदा होने के बाद उसकी देखभाल के लिए। कई ऐसे कार्यक्रम चलाए जाते है जिनके अंतर्गत किशोर माताएं, जो न्यूनतम आवश्यकताओं को भी पूरा नही कर सकती, बच्चे की देखभाल के लिए सामान खरीदने के लिए मदद ले सकती है। यदि आप एक किशोर मां हैं, तो अपने क्षेत्र में मातृत्व देखभाल कार्यक्रमों का पता लगा कर आप बच्चे की देखभाल में लगने वाली लागत के लिए मदद ले सकती है।
परिवार पर बोझ
किशोर गर्भावस्था और परिणामस्वरूप बच्चे की देखभाल में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। अतिरिक्त सेवाओं और परिवार के समर्थन के दम पर एक किशोर मां मुश्किल अवधि पर काबू पाती है और उसमें विश्वास आता है कि वह जीवित रहने में सक्षम हो सकती है। इन सब बातों से किशोरों में एक विश्वास जगाने लगता है कि वह केवल न केवल एक अच्छे माता पिता बन सकते है, बल्कि किशोर गर्भावस्था की चुनौतियों का भी अच्छी तरह से सामना कर सकते हैं।