
अगर आपके बच्चे भी किशोरावस्था में हैं, तो ऐसा कितनी बार हुआ है कि जब आपने उनसे बात करने की कोशिश की हो। अक्सर इस उम्र में आते-आते बच्चे और मां-बाप के बीच दूरियां आ जाती हैं। अधिकतर किशोर बच्चे, खासकर कि लड़के अपने इस उम्र में मां-बाप से कम बातचीत करते हैं। इस उम्र में गलतियां, लापरवाही और अनुशासनहीनता होना एक आम बात है। लेकिन ऐसे में माता-पिता का फर्ज बनता है कि वह अपने बच्चों के साथ किशोरावस्था में समझदारी से पेश आएं। जिससे कि बच्चे और मां-बाप के बीच का बॉन्ड स्ट्रॉंग हो और वह बच्चा भी सही राह पर आए। इसके अलावा, बच्चों के साथ इस अवस्था में नर्मी और समझदारी के साथ पेश आना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इस उम्र में वह खुद को सही और बड़ा समझने लगते हैं। ऐसे में उन्हें कुछ भी कह देने से वह तर्कहीन और आक्रामक हो सकते हैं। आइए यहां आज के इस लेख में हम आपको बताते हैं कि कैसे आप अपने किशोर बच्चे के साथ एक अच्छी बॉन्डिंग बना सकते हैं और अपने रिश्ते को मजबूत कर सकते हैं।
बच्चे के साथ कैसे करें अपने बॉन्ड को स्ट्रांग?
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बच्चे को अपमानित न करें
कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका बच्चा आपसे छोटा है या बड़ा। यदि आप सोचते हैं कि आपको उसे डांटने या कुछ भी बोलने का पूरा हक है, तो आप कुछ हद तक सही भी हैं और नहीं भी। ऐसा इसलिए क्योंकि भले ही आपकी जिम्मेदारी है कि आपका बच्चा सही राह पा आए, लेकिन चार लोगों के सामने उसे डांटना या अपमानित करना इसका हल नहीं है। आपको समझना होगा कि हर व्यक्ति की सेल्फ-रिस्पेक्ट होती है, जिसे कि यदि ठेस पहुंचे, तो वह आक्रामक हो जाता है। अगर आप अपने बच्चे के साथ अच्छे से पेश आते हैं, उसे समझदारी से चीजें समझाते हैं, तो इससे आपका बॉन्ड मजबूत होगा।
दिमाग में अच्छी उदाहरण वाली कहानियां डालने की कोशिश करें
हम जिस समाज में रहते हैं, वहां दोनों तरह के लोग रहते हैं, अच्छे भी और बुरे भी। लेकिन आप हमेशा कोशिश करें कि अपने बच्चे के दिमाग में ऐसे प्रतिभाशाली लोगों की कहानियां भरें, जिनसे वह प्रेरणा ले सकें। इससे उनके वास्तविक जीवन में सकारात्मक झुकाव हो सकता है।
वो जैसे हैं, उनसे वैसे ही प्यार करें
हर किशोर चाहता है कि उसे प्यार और केयर मिले। इसलिए यदि आप अपने बच्चे के साथ अपने बॉन्ड को मजबूत करना चाहते हैं, तो आप उन्हें समझने की कोशिश करें और उन्हें प्यार करें। ऐसा इसलिए क्योंकि अक्सर मां-बाप को लगता है, वह बच्चे के अभिभावक हैं, तो वह हमेशा सही हैं और उन्हें ही बोलने का हक है। इसलिए आप बच्चों को चुपचाप सुनें, समझें और फिर अपनी राय दें।
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इस प्रकार आप इन आसान तरीकों और बातों का ध्यान रखते हुए अपने बच्चे को तर्कहीन और आक्रामक होने से रोक सकते हैं और उसके साथ अपने बॉन्ड को स्ट्रांग कर सकते हैं।
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