
मुंह से बदबू आना हमारे लिए बहुत ही शर्मिंदगी की बात होती है। यह एक बहुत ही आम समस्या है, लेकिन इस समस्या के कारण लोगों के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है। क्योंकि इससे हमारे साथ-साथ दूसरों को भी परेशानी होने लगती है। मुंह से बदबू कई कारणों से आ सकते हैं। इसमें से सबसे प्रमुख कारण दांतों और मुंह की अच्छे से सफाई ना करना होता है। मुंह से बदबू को दूर करने के लिए हम मार्केट में उपलब्ध केमिकलयुक्त चीजों का इस्तेमाल काफी ज्यादा करते हैं, लेकिन घर में मौजूद चीजों को अनदेखा। आयुर्वेद में भी मुंह से बदबू को दूर करने के अनेकों उपाय मौजूद हैं, जो आपके मुंह को अच्छे से साफ करके मुंह की बदबू को जड़ से खत्म करेगा। आयुर्वेद में मुंह के गंद को दूर करने के लिए दैनिक दिनचर्या पर ध्यान देने के लिए कहा जाता है, जिसमें दांतों और मसूड़ों की मालिश को प्रमुख मानते हैं।
गाजियाबाद स्वर्ण जयंती के आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर राहुल चतुर्वेदी बताते हैं कि मुंह की बदबू को दूर करने के लिए आयुर्वेद में कवल और गण्डूष चिकित्सा का सहारा लिया जाता है। इस चिकित्सा में इलायची, दालचीनी, लौंग इत्यादि चीजों का इस्तेमाल करके मुंह की बदबू को दूर करने की कोशिश की जाती है। इसके साथ-साथ आयुर्वेदिक चीजें जैसे- त्रिफला (आमलकी, विभीतकी और हरीतकी का मिश्रण) का इस्तेमाल करके भी मुंह की बदबू को कम करने की कोशिश की जाती है। डॉक्टर बताते हैं कि मुंह की अच्छे से सफाई ना करने के साथ-साथ मसूड़ों से खून निकलने की वजह से भी सांसों से बदबू आने लगता है। चलिए विस्तार से जानते हैं आयुर्वेद में किस तरह से की जा सकती है मुंह की सफाई-
मुंह की बदबू के आयुर्वेदिक उपचार
त्रिफला चूर्ण
आमलकी, हरीतकी और विभीतकी से तैयार त्रिफला चूर्ण से मुंह की बदबू को दूर किया जा सकता है। इन जड़ी बूटियों में विटामिन सी, फ्रुक्टोज, लिनोलिक एसिड और स्टीयरिक एसिड होता है, जो आपके मुंह से आने वाली बदबू का इलाज करता है। त्रिफला चूर्ण से आप कई गंभीर बीमारियों को दूर कर सकते हैं। यह एक बेहतरीन औषधी के रूप में कार्य करता है।
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त्रिफला चूर्ण में विटामिन सी मौजूद होता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में असरदार है। यह हमारे मुंह में मौजूद बैक्टीरिया को साफ करने का कार्य करता है। इससे प्रतिरक्षा तंत्र में सुधार होता है।
एक्सपर्ट के अनुसार, त्रिफला चूर्ण में एंटीमाइक्रोबियल, रोगाणुरोधक और एंटीऑक्सीडेंट के गुण मौजूद होते हैं, जो दांतों से संबंधिक विकारों को दूर करने में असरकारी होता है। इसके इस्तेमाल से आप मुंह के छाले, मसूड़ों में आने वाले ब्लड, दांतों के कीड़े और मुंह की बदबू का सही से इलाज कर सकेंगे।
कुमार भरण रस
अदरक, वच, अश्वगंधा, आमलकी, पिप्पली और अन्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से कुणार भरण रस तैयार किया जाता है। इसके अलावा इस रस में रजत, सुवर्ण (सोना) इत्यादि के भस्म से तैयार किया जाता है, जो दांतों और मुंह की सफाई के लिए काफी अच्छा होता है। इस भरण रस से मुंह की सफाई करने से मुंह की बदबू को दूर किया जा सकता है।
इसके अलावा कुमार भरण रस को आप तुलसी, ब्राह्मी या गुडूची के रस में तैयार कर सकते हैं। टॉन्सिलाइटिस की समस्या से ग्रसित लोगों के लिए यह काफी फायदेमंद होता है। इससे मुंह में आने वाली बदबू को जड़ से खत्म कर सकते हैं।
नागरादि क्वाथ
आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि यह हर्बल दांतों के स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा होता है। नागरादि क्वाथ को तैयार करने के लिए त्रिफला, शुंथि और मुस्ता को बराबर मात्रा में मिक्स करें। इससे दांतों की सफाई करने से जिंजीवाइटिस और दांतों से जुड़ी अन्य समस्या ठीक होती है।
आयुर्वेद में बताए गए दांतों की सफाई के ये नियम
दंतपवन
आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि किसी भी बीमारी से बचने के लिए मुंह की अच्छे से सफाई बहुत ही जरूरी होती है। दांतों और मुंह की सफाई दिन में कम से कम दो बार जरूर रखें। आयुर्वेद में दांतों की सफाई के लिए दातुन को सबसे बेस्ट माना गया है। दातुन आप नीम, अमरूद, जामुन या अन्य पत्तेरहित मुलायम तने का इस्तेमाल कर सकते हैं।
दातुन को करने के लिए दातुन के एक सिरे को दांतों से अच्छे से चबाना होता है। इसके बाद उस हिस्से दांतों पर ब्रश की तरह चलाएं। इसके बाद जीभ की सफाई के लिए आप दूसरे सिरे का इस्तेमाल इसी तरह कर सकते हैं।
आयुर्वेद एक्सपर्ट के अनुसार, कड़वे, तीखे और कसैले गुण वाले दातुन अन्य दातुन के मुकाबले अधिक बेहतर होते हैं। इसके साथ ही आपके दातुन की मोटाई आपकी छोटी ऊंगली के बराबर होनी चाहिए। साथ ही दातुन की लंबाई 8 से 10 ईंच रखें।
नियमित रूप से दातुन से दांतों की सफाई करने से दांतों और मुंह में जमे टार्टर और प्लाक से आपको छुटकारा मिलेगा। इसके साथ ही इससे आपके सांसों में आने वाली बदबू से आपको काफी हद तक राहत मिल सकेगा।
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जिह्वा निरलेखन (जीभ की सफार्ई)
- दांतों की सफाई के बाद जीभ की सफाई की जाती है। इसे ही आयुर्वेद की भाषा में जिह्वा निरलेखन कहा जाता है।
- जीभ की सफाई के लिए आप धातु से बने जिभिया या फिर पेड़ की शाखा से बने जिभिया का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- नियमित रूप से जीभ की सफाई करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। साथ ही सांसों में आने वाली बदबू से राहत मिलता है।
- जीभ को सही तरीके से साफ करने से मुंह में मौजूद बैक्टीरिया गायब होते हैं।
प्रतिसारण (दांतों और मसूड़ों की मालिश)
- आयुर्वेद में इस प्रक्रिया में आपको तेल, पाउडर या फिर पेस्ट के सहारे दांतों और मसूड़ों की मालिश करने के लिए कहा जाता है।
- इससे दांतों और मुंह में मौजूद मैल और प्लाक साफ हो जाते हैं। साथ ही आपके दांत स्वस्थ रहेंगे।
- प्रतिसारण के लिए आप त्रिफला चूर्ण, काली मिर्च पाउडर, तिल का तेल, सरसों का तेल इत्यादि चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं।