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क्या कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट के दौरान हड्डियों को नुकसान हो सकता है? बता रहे हैं डॉक्टर

Does Chemotherapy Affect The Bones In Hindi: कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट के दौरान हड्डियों को काफी नुकसान हो सकता है। ऐसा क्यों होता है और इनका आपस में क्या कनेक्शन है, जानें डॉक्टर से।
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क्या कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट के दौरान हड्डियों को नुकसान हो सकता है? बता रहे हैं डॉक्टर

Can Chemo Affect The Bones In Hindi: कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट, कैंसर के मरीजों पर की जाती है। कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें कैंसर सेल्स बहुत तेजी से हेल्दी सेल्स को नष्ट करते हुए बढ़ते जाते हैं। अगर समय पर कैंसर का इलाज न किया जाए, तो यह शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित कर सकता है। कीमोथेरेपी वही ट्रीटमेंट है, जिसकी मदद से कैंसर सेल्स को डैमेज किया जाता है और बढ़ने से रोका जाता है। हालांकि, कैंसर के मरीजों के लिए कीमोथेरेपी बहुत ही कारगर तरीका है। इसके बावजूद, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि कीमोथेरेपी के अपने कई तरह के साइड इफेक्ट होते हैं। कीमोथेरेपी करवनो से शरीर के हर हिस्से से बाल झड़ने लगते हैं, नाखून कमजोर होकर टूट जाते हैं। ऐसे में लोगों में यह जानने की इच्छा भी होती है कि क्या कीमोथेरेपी का हमारी हड्डियों पर भी काई प्रभाव पड़ता है? आइए, जानते हैं इस बारे में रोहतक स्थित Positron Superspeciality and Cancer Hospital में वरिष्ठ ओंकोलॉजिस्ट डॉ. मनीष शर्मा का क्या कहना है।

क्या कीमोथेरेपी से हड्डियों को नुकसान हो सकता है?- Can Chemotherapy Damage Your Bones In Hindi

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यह बात हम सभी जानते हैं कि कीमोथेरेपी के कई तरह के साइड इफेक्ट होते हैं। हालांकि, कैंसर के मरीजों के लिए यह बहुत ही कारगर होता है। यही कारण है कि ज्यादातर कैंसर के मरीजों को आखिरी स्टेज में पहुंचने पर कीमोथेरेपी दी जाती है। जहां तक सवाल इस बात का है कि क्या कीमोथेरेपी से हड्डियों को नुकसान हो सकता है? या हड्डियां कमजोर हो जाती हैं? इस संबंध में एनसीबीआई में प्रकाशित एक लेख की मानें, "कैंसर के ट्रीटमेंट, जिसमें हार्मोनल थेरेपी, कीमोथेरेपी और कुछ दवाईयां के कारण गोनाडल हार्मोन प्रोडक्शन प्रभावित होता है। यह एक ऐसा हार्मोन है, जो बोन मिनरल डेंसिटी को बढ़ावा देता है। अगर गोनाडल हार्मोन प्रोडक्शन में गिरावट आती है, तो इसकी वजह से हड्डियों का कमजोर होना, आसानी से गिरने पर फ्रैक्चर हो जाना और हड्डियां में दर्द बने रहना जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं।"

इसकी पुष्टि करते हुए वरिष्ठ ओंकोलॉजिस्ट डॉ. मनीष शर्मा कहते हैं, "कीमोथेरेपी के रिस्क को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। इसका हड्डियों पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। हालांकि, आपको बता दें कि यह सीधे-सीधे हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है। हां, हार्मोनल प्रोडक्शन में बाधा डाल हड्डियों को कमजोर करने में इसकी अहम भूमिका हो सकती है। यही नहीं, कीमोथेरेपी में इस्तेमाल की जाने वाली दवाईयां सीधे-सीधे बोन मैरोज को क्षतिग्रस्त करती है। इससे ब्लड सेल्स का काम बाधित होता है और बोन लॉस की दिक्कत होने लगती है। इसके अलावा, कीमोथेरेपी की वजह से हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे शरीर को पर्याप्त न्यूट्रिएंट्स नहीं मिलते, जो ओवर ऑल हेल्थ के साथ-साथ हड्डियों को भी कमजोर कर देते हैं।"

इसे भी पढ़ें: ओरल कीमोथेरेपी क्या है? डॉक्टर से जानें इसके फायदे और नुकसान

कीमोथेरेपी के कारण हो सकती हैं हड्डियों से जुड़ी ये बीमारियां

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ऑस्टियोपोरोसिसः जैसा कि पहले ही बताया गया है कि कीमोथेरेपी की वजह से हार्मोनल प्रोडक्शन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। अगर समय रहते इस ओर ध्यान न दिया जाए, तो इसकी वजह से ऑस्टियोपोरोसिस का रिस्क बढ़ जाता है। ध्यान रखें कि यह एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें हड्डियां बहुत कमजोर हो जाती हैं और हमेशा फ्रैक्चर होने का रिस्क बना रहता है।

बोन लॉस का रिस्कः कीमोथेरेपी में ऐसी दवाईयों का उपयोग किया जाता है, जिससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है या शरीर उन्हें अवशोषित नहीं कर पाता है। ऐसे में शरीर में कैल्शियम का स्तर भी गिर जाता है। नतीजतन, मरीज को बोन लॉस की परेशानी झेलनी पड़ती है।

कीमोथेरेपी में हड्डियों को मजबूत कैसे बनाए रखें

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कीमोथेरेपी के दौरान कई ऐसे फैक्टर होते हैं, जो हड्डियों को कमजोर करते हैं। ऐसा नहीं है कि स्थिति को कंट्रोल नहीं किया जा सकता है। यहां बताए गए टिप्स को अमल में लाएं-

  1. कीमोथेरेपी के दौरान नियमित रूप से बोन डेंसिटी की स्क्रीनिंग करवाते रहें। इससे बोन लॉस के बारे में पहले ही पता लगाने में मदद मिलेगी।
  2. कीमोथेरेपी के दौरान डॉक्टर आपको ऐसी दवाईयों देंगे, जिससे हड्डियों को नुकसान न हों। उन्हें समय पर लें और दवाओं के संबंध में लापरवाही न करें।
  3. कीमोथेरेपी करवा रहे लोगों के लिए बहुत जरूरी है कि वे अपनी लाइफस्टाइल में हेल्दी आदतों को अपनाएं। इसके लिए, डाइट में विटामिन-डी और कैल्शियम सप्लीमेंट्स जरूर लें।

All Image Credit: Freepik

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