
वर्तमान समय में बिगड़ी लाइफस्टाइल और खानपान का बुरा असर महिलाओं की फर्टिलिटी पर पड़ रहा है। आजकल ज्यादातर महिलाएं इनफर्टिलिटी की गंभीर समस्या से जूझ रही हैं, वहीं जो महिलाएं मां बन जाती हैं उन्हें भी कम ब्रेस्टमिल्क जैसी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। नवजात जन्म से 6 महीने तक मां के दूध पर निर्भर होता है, ऐसे में अगर मां का दूध कम बनता है तो ऐसी समस्या में शिशु को फॉर्मूला दूध पिलाना पड़ता है। दरअसल, शरीर में होने वाले हार्मोनल इंबैलेंस और दवाओं के असर के कारण कम ब्रेस्टमिल्क की समस्या हो सकती है। कई महिलाओं को ऐसा भी लगता है कि ब्रेस्ट का साइज छोटा होने के कारण नवजात के लिए दूध की आपूर्ति नहीं हो पाती है। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने नई दिल्ली के आनंद निकेतन में स्थित गायनिक: एवरी वुमन मैटर की सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स और गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. (कर्नल) गुंजन मल्होत्रा सरीन से बात की है।
क्या स्तन का आकार मिल्क प्रोडक्शन के लिए मायने रखता है?
डॉ. गुंजन मल्होत्रा सरीन ने बताया कि स्तनपान, जिसे ब्रेस्टफीडिंग भी कहा जाता है, नवजात शिशु के पोषण और विकास का नेचुरल तरीका है। जन्म के तुरंत बाद, मां का दूध शिशु के लिए सबसे पहला आहार होता है। इससे न केवल शिशु को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं, बल्कि शिशु की इम्यूनिटी भी बूस्ट होती है। लेकिन कई महिलाओं के मन में गर्भावस्था और नवजात के जन्म के बाद ये सवाल उठता है कि क्या छोटे या बड़े स्तन दूध उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं। अगर आपके मन में भी ऐसा सवाल उठता है तो इसका जवाब है डॉक्टर डॉ. गुंजन मल्होत्रा सरीन दे रही हैं। डॉक्टर ने बताया कि स्तन का आकार फैटी टिश्यू पर निर्भर करता है, जबकि दूध उत्पादन ग्रंथियों (मेमोरी ग्लैंड्स) द्वारा किया जाता है। हर महिला के स्तनों में दूध उत्पादन के लिए ग्रंथियां होती हैं, चाहे उनके स्तन का आकार कुछ भी हो। इसलिए, स्तन के आकार का दूध उत्पादन पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ता है।
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दूध उत्पादन के कारक - Factors Of Milk Production
1. डॉक्टर ने बताया कि महिला में गर्भावस्था और प्रसव के बाद होने वाले हार्मोनल बदलाव दूध उत्पादन को शुरू करने और बनाए रखने में भूमिका निभाते हैं। प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटोसिन जैसे हार्मोन मिल्क प्रोडक्शन और मिल्क फ्लो को कंट्रोल करते हैं।
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2. डॉक्टर का कहना है कि बच्चा जितना ज्यादा मां का स्तनपान करता है, उतना ही ज्यादा दूध उत्पादन होता है। आसान भाषा में, बच्चा जितनी बार दूध पिएगा, मां का शरीर उतना ही ज्यादा दूध बनाएगा।
3. ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां को पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेनी चाहिए और हाइड्रेशन का भी ख्याल रखना चाहिए। बैलेंस डाइट और हाइड्रेशन मां को स्वस्थ रखते हैं और दूध उत्पादन को बढ़ावा देते हैं।
4. मां का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी दूध उत्पादन को प्रभावित करता है। तनाव और चिंता दूध उत्पादन को कम कर सकते हैं, इसलिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेह्तर रखना चाहिए।
निष्कर्ष
स्तन का आकार और दूध उत्पादन के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि दूध उत्पादन मुख्य रूप से हार्मोनल परिवर्तन, मां के आहार और मां के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। इसलिए, छोटे या बड़े स्तन वाली महिलाओं को इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए कि उनका स्तन का आकार उनके दूध उत्पादन को प्रभावित करेगा।
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