
कोयंबटूर के वीजीएम गैस्ट्रो सेंटर के डॉक्टरों को तब झटका लगा, जब उन्होंने 13 वर्षीय लड़की के पेट में एंडोस्कोपी के बाद सीटी स्कैन में बालों और खाली शैम्पू के पाउच देखा। दरअसल इस लड़की को कुछ हफ्ते पहले, पेट में दर्द और भूख की कमी के कारण उसके माता-पिता द्वारा अस्पताल लाया गया था। सर्जन आर. गोकुल क्रुभाशंकर ने कोयंबटूर से फोन पर एक न्यूज एजेंसी को बताया है कि, प्रारंभिक शारीरिक जांच में, हमें उसके पेट के अंदर एक गांठ महसूस हुई और उन्होंने सीटी स्कैन करने का फैसला किया। एंडोस्कोपी के बाद यह स्कैन किया गया कि जिसमें बालों और खाली शैम्पू के पाउच का एक गोला मिला है।
डॉक्टरों ने बताया है कि डॉक्टरों ने जब एंडोस्कोपी की तो एंडोस्कोपी ट्यूब का पेट में पूरा नहीं जा पा रहा था। फिर डॉक्टर ने लड़की के माता-पिता को बताया कि उसके पेट के अंदर बालों की एक गेंद है जिसे उसे संचालित करके बाहर निकालना होगा। पर लड़की के माता-पिता नहीं मानें और चले गए। लड़की माता-पिता अच्छी तरह से शिक्षित हैं और दोनों नौकरी करते हैं तब भी इस बात पर उनका ये रवैया था। पर जब अगले दिन लड़की के पेट में जब फिर तेज दर्द हुआ तो वापस आए।
इसे भी पढ़ें : अकेले रहने वाले लोगों में डिप्रेशन का खतरा
ऑपरेशन में आधा किलो बाल और खाली शैम्पू के पाउच मिले
डॉक्टरों ने उसके पेट से लगभग आधा किलो वजन के बाल और खाली शैम्पू के पाउच निकाला। आगे की पूछताछ में, यह पता चला कि बच्ची अपने मामा की मौत से परेशान थी, जो विदेश में रहता था और छह महीने पहले ही उससे मिलने आ रहे थे। बच्ची मामा के मृत्यु से बहुत दुखी चल रही थी। मां-बाप कि उस आघात के कारण लड़की अवसाद में चली गई और उसने अपने बाल और खाली शैम्पू के पैकेट खाने की अजीब आदत शुरू कर दी।
इसे भी पढ़ें : डिप्रेशन दूर करने में मददगार है अश्वगंधा
डिप्रेशन में थी बच्ची
माता-पिता ने अपनी बेटी में व्यवहार संबंधी बदलावों पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि उनके घने बाल थे और इसलिए बालों का झड़ना भी ध्यान देने योग्य बात नहीं थी। डॉ. क्रुभाशंकर के मुताबिक, लड़की अपने घर वापस चली गई है। माता-पिता और लड़की को परामर्श देने की सलाह दी गई है। डॉ. ने माता-पिता को लड़की की काउंसलिंग करवाने को कहा है ताकि वे अपनी बेटी के इस व्यवहार और दुख को दूर करने में मदद कर सकें। साथ ही डॉक्टर का ये भी मानना है कि माता-पिता को अवसाद से ग्रस्त बच्चों की सख्ती से निगरानी करनी चाहिए क्योंकि इस वक्त पर इसे गंभीर नहीं लिया गया तो बच्चों की हालत और बिगड़ सकती है।ऐसे में माता-पिता को अपने बच्चे में किसी भी तरह के व्यवहार संबंधी बदलाव को देखने के लिए सतर्क रहना होगा।
Read more articles on Health-News in Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version