
8 मार्च को पूरे विश्व में महिला दिवस मनाया जाता है, इस दिन अलग-अलग माध्यमों से लोग महिलाओं की जागरूकता से जुड़े किस्से, घटनाओं को शेयर करते हैं और इसी कड़ी में हम जानेंगे 24 वर्षीय डॉ रहमत सफदर की कहानी, मेडिकल फील्ड से जुड़े होने के बावजूद रहमत के लिए डिप्रेशन एक बड़ी समस्या रही है पर अंत में जीत उनके मनोबल की हुई। डॉ रहमत के लिए बीते 5 साल डिप्रेशन के इर्द-गिर्द बीते, इसके बावजूद रहमत से एमबीबीएस क्वॉलिफाई कर ये साबित किया कि अगर आप चाहें तो अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर कर सकते हैं। विस्तार से जानते हैं डॉ रहमत की सच्ची कहानी जिन्होंने डिप्रेशन से जंग जीती। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने The Renowa Care Center, Noida के Consultant Psychiatrist डॉ प्रवीन त्रिपाठी से बात की।
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पढ़ाई के दौरान नजर आने लगे डिप्रेशन के लक्षण (Symptoms of depression in hindi)
रहमत को पहली बार डिप्रेशन का अहसास बारवी पास करते समय हुआ। कक्षा में मन न लगना, एग्जाम में अच्छे नंबर न ला पाना। जब माता-पिता को इस बात का अहसास हुआ तो उन्होंने रहमत को डॉक्टर के पास ले जाने में बिल्कुल देरी नहीं की। चेकअप के बाद पता चला कि रहमत डिप्रेशन का शिकार हैं। इससे पहले तक रहमत को कभी इस बात का अहसास नहीं हुआ कि उन्हें डिप्रेशन हो सकता है, चूंकि उम्र भी कम थी और डिप्रेशन के लक्षण के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी इसलिए इससे पहले कभी उन्हें इसका अहसास नहीं हुआ।
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डॉ रहमत ने बताया कि जब मुझे चेकअप में डिप्रेशन के बारे में पता चला तो डॉक्टर ने दवाएं शुरू कर दीं पर कुछ खास फर्क नहीं पड़ा, अगर आप दवाओं के साथ थेरेपी लेते हैं तो आपको डिप्रेशन से लड़ने में ज्यादा मदद मिलती है इसके साथ ही डिप्रेशन के बारे में किसी दोस्त या रिश्तेदार की राय मानने के बजाय आप प्रोफेशनल साइकोलॉजिस्ट या एक्सपर्ट के पास ही जाएं, ऐसा ही रहमत ने किया, जब उन्हें दवाओं से फर्क नहीं पड़ा तो रहमत ने थेरेपी लेने के बारे में सोचा।
डिप्रेशन से कैसे मिली आजादी? (Treatment of depression in hindi)
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डॉ रहमत ने बताया कि पढ़ाई के दौरान मैंने डिप्रेशन के बुरे प्रभाव महसूस किए हैं जैसे पैनिक अटैक आना, सांस लेने में परेशानी होना, सफोकेशन महसूस होना, सीने में भारीपन महसूस होना, कई बार बिना वजह रोना आना आदि। इन सभी लक्षणों के नजर आने पर मैंने डॉक्टर से संपर्क किया पर कुछ खास मदद नहीं मिली फिर मुझे थेरेपी के बारे में जानकारी मिली, दवा के साथ थेरेपी लेने से समय के साथ स्थिति बेहतर हुई और मैं डिप्रेशन से बाहर निकल पाई।
इलाज अधूरा छोड़ने पर लौट आते हैं डिप्रेशन के लक्षण
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The Renowa Care Center, Noida के Consultant Psychiatrist डॉ प्रवीन त्रिपाठी ने बताया कि अगर आप डिप्रेशन का शिकार हैं तो सबसे पहले ये जान लें कि आपको इलाज पूरा करना है, आप कितने दिनों में ठीक होते हैं ये आपके लक्षणों पर निर्भर करता है पर डिप्रेशन के इलाज को अधूरा छोड़ने पर लक्षण दोबारा लौट सकते हैं, कई मरीज 15 दिनों में ही फर्क महसूस करते हैं और इलाज को पूरा नहीं करते जिसके चलते उन्हें पूरी जिंदगी डिप्रेशन की दवा या थेरेपी लेनी पड़ सकती है इसलिए बेहतर है आप एक ही बार में कोर्स पूरा कर लें।
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डिप्रेशन में सीबीटी थेरेपी मददगार है
डिप्रेशन से लड़ने में सीबीटी थेरेपी कारगर है, सीबीटी को टॉक थेरेपी भी कहा जाता है, इसमें काउंसलर आपके मन को परेशान कर रहे कारण का पता लगाते हैं और उस मुताबिक काउंसलिंंग और दवाओं के जरिए डिप्रेशन का इलाज किया जाता है। सीबीटी थेरेपी आप किसी भी उम्र में ले सकते हैं पर इसका सुझाव डॉक्टर ही आपको दे सकते हैं, केवल दवा या केवल थेरेपी के बजाय दोनों के मिश्रण से डिप्रेशन का इलाज बेहतर ढंग से हो पाता है।
आप भी डिप्रेशन का शिकार हैं तो बिल्कुल देरी न करें, लक्षणों की पहचान कर डॉक्टर से संपर्क करें।
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