हाथ-पैर में लगातार दर्द या सूजन को न करें अनदेखा, ये सारकोमा कैंसर के हैं संकेत: डॉ. मनीष परूथी

Signs Of Sarcoma Cancer: सारकोमा कैंसर एक गंभीर समस्‍या है, जिसकी समय रहते पहचान न होने पर काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है। 
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हाथ-पैर में लगातार दर्द या सूजन को न करें अनदेखा, ये सारकोमा कैंसर के हैं संकेत: डॉ. मनीष परूथी

सारकोमा एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर होता है जो हड्डियों और नरम ऊतकों में होता है। सारकोमा की स्‍क्रीनिंग में किसी भी प्रकार की गलती पूरे उपचार की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है। राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (Rajiv Gandhi Cancer Institute & Research Centre) के मसकुलोस्केलेटल ओंकोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. मनीष परूथी कहते हैं, "आमतौर पर हाथों और पैरों में सारकोमा कैंसर (ट्यूमर) की पहचान नहीं हो पाती है, जिसके कारण गलत सर्जरी कर दी जाती है। ऐसी स्थिति में शरीर को काफी नुकसान होता है, यहां त‍क कि अंग काटने का खतरा बढ़ सकता है। गलत सर्जरी से हाथ अथवा पैर काटने की नौबत आ जाती है। जो व्‍यक्ति का जीवन खराब कर सकती है। इसलिए सारकोमा कैंसर को पहचानने, जांच करने और उपचार के उपलब्ध तरीकों के बारे में जागरूकता जरूरी है।"

डॉ. परूथी कहते हैं, कैंसर का शिकार हो रहे युवाओं के जीवन और उनके अंगों की सुरक्षा के लिए सारकोमा कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाना जरूरी है। युवाओं में होने वाले सभी कैंसर में लगभग तीन प्रतिशत केस सारकोमा के होते हैं, वहीं अगर बच्चों की बात करें तो उनमें 10 से 15 प्रतिशत केस सारकोमा के होते हैं। इन परिस्थितियों को देखते हुए सारकोमा कैंसर से प्रभावित लोगों का जीवन और उनके अंगों की सुरक्षा के लिए इस मुद्दे पर खास ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है।

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डॉ. परूथी ने बताया कि राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर जैसे हॉस्पिटल्‍स में एक तरफ जहां सारकोमा के उपचार की व्यवस्था है, वहीं अधिकांश मामलों में ये देखा गया है कि जागरूकता के आभाव में कम उम्र में ही बच्‍चों को अपने हाथ या पैरों से हाथ धोना पड़ता है। सारकोमा कैंसर कम उम्र ज्‍यादा होता है। इस उम्र में धूम्रपान या खराब दिनचर्या जैसे रिस्‍क फैक्‍टर नहीं होते हैं, यही कारण है कि इसका पता बहुत देर में चलता है, ऐसी स्थिति में मरीज और उसके परिजन सदमें में चले जाते हैं। अगर दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो यहां सारकोमा के उपचार या जांच के लिए यहां के अधिकांश अस्‍पतालों में कोई व्‍यवस्‍था नहीं है।

सारकोमा के बचाव के तरीकों पर चर्चा करते हुए डॉ. परूथी ने कहा कि इस स्थिति में बचाव की कोई खास भूमिका नहीं होती है क्‍योंकि इससे जुड़ा कोई रिस्‍क फैक्‍टर नहीं होता है। इस मामले में सबसे ज्‍यादा ध्‍यान देने वाली बात यह है कि इसकी जांच समय पर होनी चाहिए। अगर पारंपरिक उपचार से कोई फायदा नहीं हो रहा है तो किसी को भी हाथ पैर में दर्द और सूजन को अनदेखा नहीं करना चाहिए।

चर्चा के दौरान डॉ. मनीष परूथी ने बताया कि प्रत्‍येक गांठ कैंसर नहीं होती है। गांठ किसी इंफेक्‍शन के कारण या सामान्य भी हो सकती है। जबकि सारकोमा एक दुर्लभ स्थिति है। ध्यान देने की बात सिर्फ यह है कि हाथ-पैर में लगातार दर्द या सूजन को कभी भी अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। खासकर युवाओं में, क्योंकि यह सारकोमा भी हो सकता है।

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