प्रेग्नेंसी में आयोडीन की कमी से बढ़ता है इन 4 बीमारियों का खतरा, जानें कैसे पूरी होगी आयोडीन की कमी

प्रेग्नेंसी में जच्चा-बच्चा की सुरक्षा करनी है तो आयोडीन युक्त नमक का सेवन करना चाहिए। नहीं तो गर्भपात हो सकता है, जाने इसकी कमी से होने वाली बीमारी।
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प्रेग्नेंसी में आयोडीन की कमी से बढ़ता है इन 4 बीमारियों का खतरा, जानें कैसे पूरी होगी आयोडीन की कमी

प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिलाओं को खानपान से लेकर छोटी-मोटी जरूरतों का खास ख्याल रखना होता है। क्योंकि मां की कोख में शिशु का विकास हो रहा होता है। शशु के शरीर के विकास के लिए आयोडीन बहुत ही जरूरी होता है। थायराइड हार्मोंस को बनाने में आयोडीन अहम भूमिका निभाता है। तो आइए इस आर्टिकल में हम जमशेदपुर के एमजीएम (महात्मा गांधी मेमोरियल अस्पताल) जमशेदपुर के स्त्री रोग विशेषज्ञ विनिता सहाय से जानेंगे कि प्रेंग्नेंसी में आयोडीन कितना अहम है। डॉक्टर बताती हैं कि प्रेग्नेंसी में आयोडीन काफी अहम होता है। शरीर में इसकी कमी से कई विकार हो सकते हैं। इसलिए मैं अपने मरीजों आयोडीन युक्त नमक का सेवन करने की ही सलाह देती हूं। तो आइए इस आर्टिकल में हम प्रेग्नेंसी के दौरान आयोडीन की कमी के कारण होने वाले खतरों के बारे में जानेंगे।

शिशु से लेकर हर उम्र के लोगों के लिए है जरूरी

स्त्री रोग विशेषज्ञ बताती हैं कि आयोडीन की जरूरत हर ऊम्र के लिए अलग-अलग होती है। 9 से 13 साल तक के बच्चों के लिए 120 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत पड़ती है। वहीं 18 साल के ऊपर की उम्र के लोगों के शरीर को 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत होती है। अब हर नमक में आयोडीन रहता है, जिसमें तय मानको द्वारा आयोडीन की मात्रा होती है। यह कम मात्रा में ही होता है। फिर भी कभी-कभी किसी उत्पाद में आयोडीन की कमी पाई जाती है। जमशेदपुर के जाने माने गायनोकोलॉजिस्ट और टाटा मोटर्स में विभाग के पूर्व एचओडी रह चुके डॉक्टर एके देबदास गर्भवती महिलाओं को सिर्फ व सिर्फ आयोडीन युक्त नमक का सेवन करने की सलाह देते हैं, जिसमें टाटा सॉल्ट खाने को कहते हैं।

Salt Intake In Pregnancy

प्रेग्नेंसी में आयोडीन की जरूरत को करें पूरा

डॉ. विनिता ने बताया कि आम तौर पर एक व्यक्ति को 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत होती है। लेकिन प्रेग्नेंसी में हर दिन 220 माइक्रोग्राम जबकि ब्रेस्टफीडिंग करने वाली महिलाओं के लिए 290 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है। प्रेग्रेंसी में ज्यादा आयोडीन की जरूरत इसलिए होती है क्योंकि इस दौरान शरीर को थायरॉड हार्मोन की ज्यादा जरूरत होती है। इसलिए ज्यादा आयोडीन की जरूरत पड़ती है। अगर प्रेग्रेंसी के दौरान आयोडीन की कमी हो जाए तो शिशु और महिला दोनों को नुकसान पहुंचाता है। इसलिए प्रेग्रेंसी में आयोडीन को कम नहीं करना चाहिए। 

आयोडीन की कमी से हो सकते हैं गंभीर परिणाम

डॉक्टर बताती हैं कि आयोडीन की कमी होने से गर्भपात भी हो सकता है। आयोडीन की कमी गर्भ में पल रहे बच्चों का दिमाग भी डैमेज कर सकता है। यह बच्चे के विकास पर भी असर डालता है। इसके अलावा न्यूरोलॉजिकल दिक्कत भी आती है। प्रेग्रेंसी और ब्रेस्टफीडिंग करने वाली महिलाओं को आयोडिन युक्त नमक का ही सेवन रोजाना करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को आयोडीन की कमी को दूर करने के लिए डाइट में नमक के साथ दही, ब्राउन राइस, रोस्‍टेड आलू, दूध, किशमिश, लहसुन, सी फूड आदि शामिल करना चाहिए। क्योंकि सिर्फ नमक से आयोडीन कमी को पूरा नहीं किया जा सकता है। इन खाद्य पदार्थों का सेवन करके भी शरीर में आयोडीन की कमी को पूरा कर सकते हैं।

Iodine Defeciency

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आयोडीन की कमी से होती है यह समस्या 

  1. गर्भ में बच्चे का विकास रुक जाता है : अगर गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी होगी तो गर्भावस्था में बच्चे का विकास तेजी से नहीं हो पाएगा। विकास रुक भी सकता है।  मानसिक और शारीरिक विकास दोनों पर ये असर डालता है। यह सारी समस्या गर्भ में ही शिशु को होती है।
  2. गर्भपात का खतरा : आयोडीन की कमी को हमें हल्के में कभी नहीं लेना चाहिए। अगर इसकी शिकायत आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इससे गर्भपात का भी खतरा होता है। गर्भपात से आपमें तनाव और अवसाद की समस्या आगे चलकर हो सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को हेल्दी और आयोडीन युक्त ही खाना खाना चाहिए।
  3. शरीर की क्षमता होती है कम, घेंघा रोग की अधिक संभावना : प्रेग्रेंसी के दौरान महिलाओं को आयोडीन युक्त डाइट फॉलो करना चाहिए। अगर नहीं करेंगे तो आयोडीन की कमी से जन्म के बाद नवजात शिशु में घेंघा रोग (Goiter) हो जाएगा।  इससे बच्चा कोई भी काम सामान्य रूप से नहीं कर पाएगा।  यह नवजात के लिए बहुत ही ज्यादा खतरनाक होता है। कार्य करने और शरीर की क्षमता प्रभावित होती है।  
  4. नवजात के दिमाग का विकास नहीं होता है : प्रेग्रेंसी के दौरान महिलाओं में आयोडीन की कमी होने से क्रेटिनिज्म नामक बीमारी हो जाती है। इससे नवजात के दिमाग का विकास ठीक से नहीं हो पाता है। इस वजह से जन्म के बाद नवजात मानसिक तनाव व मानसिक बीमारी से जूझता है। यह बहुत कॉमन साइड इफेक्ट है, जो प्रेग्रेंसी में होता है।

जानें कैसे पता करें आयोडीन की कमी

गर्भवती महिलाएं इन लक्षणों से पता कर सकती हैं कि उसमें आयोडीन की कमी है या नहीं। अगर ऐसा लक्षण दिखे तो इसे पता करने के लिए आप यूरीन टेस्ट करवा सकतीं हैं, जिससे आपको पता चल जाएगा कि आप में आयोडीन की कमी है या नहीं।

  • गर्दन में सूजन आना
  • डिप्रेशन का शिकार होना
  • बालों का टूटना या झड़ना
  • सामान्य ट्रेम्प्रेचर में ठंड महसूस करना
  • किसी भी चीज को याद करने में दिक्कत आना
  • मेमोरी पावर कम होना
  • अचानक से मोटा होना या वजन बढ़ना

सफेद आयोडीन युक्त नमक का सेवन करें 

आज कल सेंधा, गुलाबी नमक का प्रचलन काफी तेजी फैल गया है। इसमें आयोडीन नहीं रहता है। गर्भवती महिलाओं को ऐसे नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। प्रेग्रेंसी के बाद स्तनपान कराने के समय भी माताओं को आयोडीन युक्त नमक का सेवन करना चाहिए। क्योंकि जो आयोडीन महिलाओं में जाता है वहीं मां के दूध के जरिए शिशु में जाता है। इससे बच्चे के मस्तिष्क का विकास होता है।

नमक व खानपान को लें डॉक्टरी सलाह

प्रेग्नेंसी में हर छोटी से छोटी बात को लेकर आपको डॉक्टरों व विशेषज्ञों से राय लेनी चाहिए। वहीं डॉक्टर भी मरीजों को आयोडीन युक्त नमक का सेवन करने की ही सलाह देते हैं। ताकि गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव से बचा जा सके।

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