यूनानी और आयुर्वेदिक चिकित्सा में क्या अंतर है? जानें कैसे होता है इनमें रोगों का इलाज

यूनानी और आयुर्वेद चिकित्सा एक-दूसरे से अलग होते हैं। इन दोनों में अलग-अलग तरह से इलाज किया जाता है। जानें यूनानी और आयुर्वेद में अंतर-
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यूनानी और आयुर्वेदिक चिकित्सा में क्या अंतर है? जानें कैसे होता है इनमें रोगों का इलाज


Unani and Ayurveda Difference: प्रचानी काल में लोग अपनी किसी भी समस्या को ठीक करने के लिए जड़ी-बूटियों का उपयोग किया करते थे। जैसे-जैसे समय बढ़ता गया, तरह-तरह के मेडिकल ऑप्शन आते गए। लेकिन आज भी कई लोग प्राकृतिक तरीकों पर यकीन करते हैं। आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धतियां, ऐसे चिकित्सा स्थितियां हैं जिनमें प्राकृतिक तरीकों से किसी भी बीमारी का इलाज किया जाता है। लेकिन ये दोनों एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है। तो चलिए विस्तार से जानते हैं यूनानी और आयुर्वेद चिकित्सा में क्या अंतर है (Unani and Ayurvedic Difference)-

आयुर्वेद क्या है?

आयुर्वेद एक पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है, इसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी। इसका 3000 से अधिक वर्षों का लंबा इतिहास है। यह चिकित्सा पद्धति शुरू में ऋषियों के माध्यम से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिली थी। आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली में पांच तत्व हैं- वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी और आकाश। आयुर्वेद विशेषज्ञों का मानना है कि ये पांच तत्व मानव शरीर में वात, पित्त और कफ के रूप में मौजूद होते हैं। इन तत्वों में असंतुलन के कारण दोष पैदा हो सकते हैं, जो तरह-तरह के रोग पैदा करते हैं।

आयुर्वेद में डॉक्टर इलाज के लिए 8 अलग-अलग तरीकों का पालन करते हैं: नाड़ी, जीभ, मल, दृष्टि, भाषण, रूप और स्पर्श। आयुर्वेद में दवा शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने पर केंद्रित होती है। आयुर्वेद चिकित्सक इलाज के लिए धातुओं, खनिजों और जड़ी-बूटियों का उपयोग करते हैं। वे मालिश, विशेष आहार और सफाई तकनीकों जैसे पंचकर्म चिकित्सा का भी उपयोग करते हैं। इसमें शरीर को पांच प्रक्रियाओं के माध्यम से शुद्ध किया जाता है। 

यूनानी क्या है? 

यूनानी चिकित्सा भी प्राचीन प्रणाली को संदर्भित करता है। यूनानी चिकित्सा मुख्य रूप से दक्षिण एशियाई और मध्य पूर्वी देशों में प्रचलित है। यूनानी चिकित्सा प्रणाली बीमारियों का इलाज करने के लिए प्रमुख तत्वों जल, वायु, पृथ्वी और अग्नि के कामकाज पर ध्यान केंद्रित करती है। इसके अलावा यूनानी चिकित्सकों का मानना है कि शरीर में रक्त, कफ, पीला पित्त और काली पित्त के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी होता है, इससे मानव शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है। यूनानी चिकित्सा में रोग निदान में मुख्य रूप से रोगी की नब्ज की जांच करना शामिल है। 

आयुर्वेद चिकित्सा की तरह, यूनानी भी प्राकृतिक चिकित्सा है। यूनानी चिकित्सा शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए और तुर्की स्नान, मालिश, पसीना, उल्टी, शुद्धिकरण, लीचिंग और व्यायाम जैसी तकनीकों का सहारा लेते हैं। यूनानी में शरीर को शुद्ध करने के लिए रेजिमेंटल थेरेपी का उपयोग किया जाता है। यूनानी चिकित्सा में डाइटिंग को भी फॉलो किया जाता है, इसमें भोजन की मात्रा और गुणवत्ता का ध्यान रखा जाता है।

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यूनानी और आयुर्वेद में अंतर (Difference Between Unani and Ayurveda in Hindi)

  • आयुर्वेद एक पारंपरिक हिंदू चिकित्सा प्रणाली है। यूनानी चिकित्सा की एक प्राचीन प्रणाली है, इसकी उत्पत्ति हिप्पोक्रेट्स और ग्रीक दार्शनिकों गैलेन और रेज की शिक्षाओं के आधार पर हुई थी।
  • आयुर्वेद में शरीर में मौजूद वात, पित्त और कफ को ध्यान में रखकर इलाज किया जाता है। यूनानी चिकित्सा प्रणाली में चिकित्सक चार प्रमुख तत्वों, जल, वायु, पृथ्वी और अग्नि को ध्यान में रखकर इलाज करते हैं। 
  • आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ रहने के लिए शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन में रहना जरूरी होता है। लेकिन यूनानी में रक्त, कफ, पीला पित्त और काली पित्त के बीच संतुलन जरूरी होता है। 
  • यूनानी में किसी भी रोग के निदान के लिए रोगी की नब्ज की जांच की जाती है। आयुर्वेद में नाड़ी, जीभ, मल, दृष्टि, स्पीच, रूप और स्पर्श के माध्यम से रोग का निदान किया जाता है।
  • आयुर्वेदिक चिकित्सा में दवाईयों के साथ ही मालिश, विशेष आहार और सफाई तकनीकों का भी उपयोग किया जाता है। यूनानी में तुर्की स्नान, मालिश, पसीना, उल्टी, शुद्धिकरण,  व्यायाम और डाइट का उपयोग किया जाता है।

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आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न है, लेकिन इन दोनों में रोगों को दूर करने के लिए प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा दोनों काफी पुरानी चिकित्सा प्रणाली है, जो आज भी प्रचलित है। इन दोनों में किसी भी समस्या के इलाज के लिए जड़ी-बूटियों, पेड़-पौधों का उपयोग किया जाता है।

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