समय के साथ युवाओं में जागरुकता आई है। आज का युवा पढ़ा लिखा और सेहत के प्रति काफी सजग है। यही वजह है कि महिला हो या पुरुष दौनों में यौन स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ी है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जिस तरह व्यक्ति को अपने संपूर्ण स्वास्थ्य के बारे में सोचना चाहिए। ठीक उसी तरह यौन स्वास्थ्य का बेहतर होना महत्वपूर्ण होता है। लेकिन, कई बार शारीरिक संबंध बनाते समय सावधानियां न बरतने से लोगों को यौन संचारित रोग होने का जोखिम रहता है। ऐसे में अधिकतर लोग यौन संचारित संक्रमण (STIs) को ही यौन संचारित रोग (STDs) मान बैठते हैं। जबकि, यह दोनो ही अलग-अलग स्थिति है। हालांकि, इनमें बेहद सूक्ष्म लेकिन महत्वपूर्ण अंतर होता है। इस लेख में कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट एंड रिनल ट्रांसप्लांट सर्जन, कंसल्टेंट डॉक्टर श्याम वर्मा (Dr. Shyam Varma, Consultant, Urologist and Renal Transplant surgeon, Kokilaben Dhirubhai Amabni Hospital, Mumbai) से जानते हैं कि यौन संचारित संक्रमण और यौन संचारित रोग के बीच क्या अंतर को समझते हैं।
यौन संचारित इंफेक्शन और यौन संचारित रोगों में क्या अंतर होता है? - Difference Between STIs And STDs In Hindi
बात जब यौन स्वास्थ्य की आती है तो अक्सर "एसटीआई" (यौन संचारित संक्रमण) और "एसटीडी" (यौन संचारित रोग) शब्द एक दूसरे के स्थान पर इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन इनमें एक सूक्ष्म अंतर होता है। एसटीआई संक्रमण को ही संदर्भित करता है, जबकि एसटीडी संक्रमण के कारण विकसित होने वाली बीमारी या रोग के बारे में बताता है। कई संक्रमण (इंफेक्शन) बिना किसी स्पष्ट लक्षण के मौजूद हो सकते हैं, इसलिए एसटीआई को एक व्यापक शब्द माना जाता है, जबकि एसटीडी का अर्थ है कि संक्रमण बीमारी का कारण बन गया है। आगे जानते हैं इन दोनों के बीच के अंतर के बारे में।
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यौन संचारित संक्रमण (STIs) और यौन संचारित रोग (STDs) क्या अंतर होता है?
- यौन संचारित संक्रमण (STIs) संक्रमण की शुरुआती अवस्था होती है। जबकि, यौन संचारित रोग (STDs) यौन संचारित संक्रमण की वजह से उत्पन्न हुई बीमारी या रोग होता है।
- यौन संचारित संक्रमण (STIs) में व्यक्ति को कई बार कोई लक्षण महसूस नहीं होते हैं। जबकि, यौन संचारित रोग (STDs) में व्यक्ति को स्पष्ट लक्षण महसूस होते हैं।
- ज्यादातर मामलों में यौन संचारित संक्रमण (STIs) का पता टेस्ट द्वारा लगाया जाता है। जबकि, यौन संचारित रोग (STDs) में लक्षणों और टेस्ट से रोग की पुष्टि की जाती है।
- उदाहरण के रूप में यौन संचारित संक्रमण HPV वायरस का होना, वहीं, यौन संचारित रोग HPV वायरस के द्वारा मस्से से पहचाना जाना।
- यौन संचारित संक्रमण (STIs) में HPV वायरस, क्लैमाइडिया, हेर्पीज वायरस और एचआईवी वायरस को शामिल किया जाता है। जबकि, यौन संचारित रोगों में जननांग मस्से, सर्वाइकल कैंसर, प्रजनन तंत्र में सूजन और AIDS आदि को शामिल किया जाता है।
यौन संचारित संक्रमण और रोग की पहचान कैसे की जाती है? - How To Diagonse STIs And STDs In Hindi
STIs और STDs दोनों की पहचान के लिए आगे बताए टेस्ट किए जा सकते हैं।
- ब्लड टेस्ट
- यूरिन टेस्ट (पेशाब की जांच)
- प्राइवेट पार्ट का स्वैब टेस्ट
- HIV और Syphilis के स्पेशल टेस्ट।
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यौन संचारित संक्रमण, संक्रमण की प्रारंभिक अवस्था होती है जबकि यौन संचारित रोग वह स्थिति होती है जब संक्रमण बीमारी में बदल जाता है। समय पर जांच और सही इलाज से STI को STD में बदलने से रोका जा सकता है। इसके अलावा डॉक्टर्स लोगों को सुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने की सलाह देते हैं। साथ ही, समय समय पर एचपीवी और हेपेटाइटिस बी वैक्सीन लगाने की सलाह भी देते हैं। इसके अलावा, बार-बार पार्टनर न बदलने की सालह भी दी जाती है। जागरुकता और सावधानी से यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।
FAQ
STD का मतलब क्या होता है?
STD का मतलब यौन संचारित रोग (Sexually Transmitted Disease) होता है। इसमें उन बीमारियों को शामिल किया जाता है जो यौन संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती हैं, जैसे कि सिफिलिस, गोनोरिया, क्लैमाइडिया, एचआईवी और हर्पीस, आदि।एसटीडी की जांच कैसे की जाती है?
एसटीआई टेस्ट (एसटीडी टेस्ट) में कई अलग-अलग परीक्षण किए जाते हैं। इसमें डॉक्टर ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट और अन्य शारीरिक तरल के सैंपल्स क्लैक्ट करके जांच करते हैं।एसटीडी के क्या कारण हैं?
बैक्टीरिया, वायरस, प्रोटोजोआ और आर्थ्रोपोड को एसटीडी का कारण हो सकता है। इसमें क्लैमाइडिया जैसे STDs बैक्टीरिया के कारण होते हैं। जबकि, एचआईवी वायरस की वजह से एड्स जैसी घातक समस्या होती है।