आहार में छिपा उपचार

अकसर हम लोगों को यह कहते हुए सुनते हैं किमेरे पिता को डायबिटीज थी, इसलिए मुझे भी यह समस्या है। ऐसी स्थिति में हमारे मन में स्वाभाविक रूप से यह सवाल उठता है कि क्या ऐसा उपाय नहीं हो सकता जिससे हम और हमारी आने वाली पीढि़यां ऐसी आनुवंशिक समस्याओं से बची रहें।
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आहार में छिपा उपचार

अकसर हम लोगों को यह कहते हुए सुनते हैं किमेरे पिता को डायबिटीज थी, इसलिए मुझे भी यह समस्या है। ऐसी स्थिति में हमारे मन में स्वाभाविक रूप से यह सवाल उठता है कि क्या ऐसा उपाय नहीं हो सकता जिससे हम और हमारी आने वाली पीढि़यां ऐसी आनुवंशिक समस्याओं से बची रहें। इस समस्या का समाधान वैज्ञानिकों ने हमारे भोजन में मौजूद तत्वों में ही ढूंढा है।
शरीर की सबसे छोटी इकाई कोशिकाएं होती हैं और इन्हीं कोशिकाओं में मौजूद जींस पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमारी आनुवंशिक खूबियों-खामियों के संवाहक होते हैं। वैज्ञानिक अनुसंधानों से यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि अर्थराइटिस, कैंसर, डायबिटीज और पाचन तंत्र से संबंधित जिन गंभीर बीमारियों के लिए हमारी कोशिकाओं में मौजूद जींस को जिम्मेदार माना जाता है, वास्तव में जींस उसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं होते।


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दरअसल आनुवंशिक बीमारियों से संबंधित ये जींस हमारे शरीर में सुप्त अवस्था में रहते हैं लेकिन खानपान की गलत आदतों, वातावरण और जीवनशैली की वजह से सक्रिय हो उठते हैं, जिससे व्यक्ति कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार होता है। कई अनुसंधानों के परिणाम से यह निष्कर्ष सामने आया है कि स्वस्थ खानपान अपना कर हम कई तरह की आनुवंशिक बीमारियों से काफी हद तक बचे रह सकते हैं। सेहत के प्रति जागरूकता रखने वाले लोगों के लिए यह अच्छी खबर है।

 

फाइटोन्यूट्रीएंट : अचूक अस्त्र

 
आनुवंशिक विज्ञान पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने वनस्पतियों में मौजूद फाइटोन्यूट्रीएंट नामक एक ऐसे तत्व को ढूंढ निकाला है, जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को तेज करने, शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने और टूटी कोशिकाओं की मरम्मत का काम करता है। यह स्वास्थ्य संरक्षक तत्व प्राय: उन सभी अनाजों, सब्जियों और फलों में पाया जाता है, जो कि पौधों में उगते हैं। गहरे हरे और पीले रंग के फलों और सब्जियों (जैसे-पालक, मेथी, भिंडी, पपीता और आम आदि) में इसकी मात्रा अधिक होती है। अपने भोजन में इन सभी चीजों को जरूर शामिल करें क्योंकि इनमें मौजूद फाइटोन्यूट्रीएंट्स शरीर को कई तरह की गंभीर बीमारियों से बचाते हैं।

 

लाभदायक हैं ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ  

 

फाइटोन्यूट्रीएंट तत्व किसी भी पौधे के तने, पत्ते, फूल, फल या साबुत अनाज के ऊपरी हिस्से मंा पाए जाते हैं। लेकिन कुछ परिस्थितियों में अधिकतापमान, सूर्य की तेज रोशनी या हवा के संपर्क में आने के बाद वनस्पतियों में मौजूद इन तत्वों का वाष्पीकरण हो जाता है और ये हवा में उड़ जाते हैं। फसलों की कटाई के समय भी ये नष्ट हो जाते हैं। इसके बाद जब इन्हें प्रोसेस्ड करके पैकेट या डिब्बे में बंद किया जाता है तो इस प्रक्रिया में उनके पोषक तत्वों की बची-कुची मात्रा भी नष्ट हो जाती है। अत: फाइटोन्यूट्रीएंट्स का ज्यादा से ज्यादा लाभ लेने के लिए प्रोसेस्ड सब्जियों, फलों और पॉलिश वाले अनाजों का इस्तेमाल न करें। ताजी सब्जियां, फल और बिना पॉलिश वाले अनाजों का सेवन फायदेमंद साबित होता है। ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ भी शरीर को आनुवंशिक बीमारियों से बचाने में सहायक सिद्ध होते हैं।

 

इन बातों का रखें ध्यान 

 

गंभीर आनुवंशिक बीमारियों से बचाने वाले तत्व फाइटोन्यूट्रीएंट्स का अधिकतम उपयोग करने के लिए आपको इन बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए : वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध से यह प्रमाणित हो चुका है कि वैसे पौधे, जिन्हें उगाने में किसी तरह के खाद या कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया जाता, उनकी अपनी रो प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसलिए ऐसे अनाजों, फलों और सब्जियों का सेवन हमारी कोशिकाओं को मजबूत बनाता है। शरीर में मौजूद विषैले पदार्थो को भी बाहर निकालने में भी मदद  करता है।

 

संतरा, नीबू, चकोतरा, मौसमी जैसे विटमिन सी युक्त फलों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत ज्यादा होती है। ऐसे फल हमारे शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकाल कर उसे स्वस्थ बनाए रखने में हमारी मदद करते हैं। इसलिए ऐसे फलों का जूस अपने भोजन में जरूर शामिल करें। आम तौर पर हम फलों और सब्जियों के छिलके को बेकार समझकर फेंक देते हैं, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा फाइबर पाया जाता है। यह हमारे शरीर के लिए बेहतर एंटी ऑक्सीडेंट का काम करता है। इसलिए जहां तक संभव हो छिलके सहित फलों और हरी सब्जियों का सेवन करें।

 

आनुवंशिक बीमारियों पर नियंत्रण रखने के लिए डाइटीशियन खानपान की मेडिटरेनियन शैली अपनाने की सलाह देते हैं। दरअसल मेडिटरेनियन  समुद्र के आसपास 16 देश स्थित हैं, जिनकी अलग-अलग विविधतापूर्ण संस्कृति और खानपान की शैली है। यहां के लोग अपने खानपान में हरी सब्जियां, फल और सैलेड का इस्तेमाल बहुत ज्यादा करते हैं। आप भी इस शैली को अपना कर अपने भोजन में विविधता लाएं। हर तरह के फलों, सब्जियों, अनाजों और मेवों को अपने प्रतिदिन के खाने में जरूर शामिल करें। कई तरह की सब्जियों और फलों से बने सैलेड का सेवन अधिक मात्रा में। विभिन्न खाद्य पदार्थो में अलग-अलग तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो शरीर को कई तरह की गंभीर बीमारियों से बचाते हैं। शरीर में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ता स्तर हृदय रोग के लिए जिम्मेदार माना जाता है। अत: आप अपने खानपान में ऑलिव ऑयल, मछली और फ्लैक्स सीड को जरूर शामिल करें। इन चीजों में मौजूद ऑमेगा-3 और ऑमेगा-6 फैटी एसिड शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है।

 

अंत में, सबसे जरूरी बात यह है कि अगर आपकेपरिवार में किसी भी बीमारी की फेमिली हिस्ट्री रही है तो भले ही आपमें उस बीमारी के लक्षण मौजूद न हो फिर भी आप संबंधित बीमारी जैसे- डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, कैंसर आदि से संबंधित नियमित जांच जरूर करवाएं और पहले से ही सावधानी बरतते हुए अपने खानपान और जीवनशैली में स्वस्थ आदतें विकासित करें। जिस किसी भी स्वास्थ्य समस्या से संबंधित आपकी फेमिली हिस्ट्री रही हो, खास तौर से उस बीमारी को बढ़ावा देने वाली चीजों का सेवन न करें और अपने बच्चों के  खानपान को भी नियंत्रित रखें। इस तरह संतुलित-पौष्टिक आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपना कर आप आनुवंशिक बीमारियों से काफी हद तक बची रह सकती हैं।

 

 

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