आज कल थायराइड की समस्या बहुत आम हो चुकी है। थायराइड अब कई लोगों की समस्या बन चुका है। थायराइड(thyroid) के कई कारण संभव है जैसे आयोडीन की कमी होना या अधिक होना, पिट्यूटरी रोग, थायराइडल रिसाव, ऑटोइम्यून डिसऑर्डल इत्यादि। थायराइड में व्यक्ति या तो वजन बहुत बढ़ जाता है या वजन बहुत घट जाता है। थायराइड दो प्रकार के होते हैं:
1.हाइपरथायडिज्म
2.हाइपोथायरायडिज्म
यहाँ हम आज बात करने वाले हैं हाइपरथायडिज्म(hyperthyroism) के बारे में। अगर किसी व्यक्ति को हाइपरथायडिज्म है तो उसका वजन बहुत तेज़ी से कम होता है और उन्हें अपने वजन को नियंत्रित करने में बहुत अधिक परेशानी होती है। इसमें चयापचय बहुत तीव्र रूप से बढ़ता है।
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हाइपरथायडिज्म क्या है?( what is Hyperthyroidism)
हाइपरथायडिज्म के दौरान व्यक्ति की थायरायड ग्रंथि ठीक प्रकार से थायरायड हार्मोन बनाने में सक्षम नहीं होती हैं और अधिक मात्रा में इन हार्मोन का उत्पादन होता है। थायरायड ग्रंथि व्यक्ति के गले के बीच में पाई जाती है, जो आपके शरीर को ऊर्जा के उपयोग को विनियमित करने के लिए हार्मोन जारी करता है। यह रोग महिलाओं में अधिक देखने को मिलता है। इसे नियंत्रण में करना बहुत आवश्यक होता है। दूसरे शब्दों में, यदि आपकी थायरॉयड ग्रंथि अति सक्रिय है और आपके शरीर की आवश्यकता से अधिक थायराइड हार्मोन बनाती है, तो यह हाइपरथायरायडिज्म का कारण बनता है। शरीर में थायरॉयड ग्रंथि द्वारा होने वाले (उत्पादित) हार्मोन थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) हैं, और वे आपके पूरे शरीर के काम करने के तरीके में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस कारण से, जब वे आउट-ऑफ-वॉक करते हैं, तो आपके स्वास्थ्य के लगभग हर पहलू पर इसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं।
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क्या है हाइपरथायरायडिज्म के TSH लेवल?
शरीर में हाइपरथायरायडिज्म में पिट्यूटरी द्वारा उत्पादित थायराइड-उत्तेजक हार्मोन कम हो जाएगा। इस प्रकार, हाइपरथायरायडिज्म का निदान लगभग हमेशा कम टीएसएच स्तर(TSH Level) से जुड़ा होता है। यदि टीएसएच का स्तर कम नहीं है, तो अन्य परीक्षण चलाने होंगे। थायराइड हार्मोन स्वयं (टी 3, टी 4) में वृद्धि होगी। थायराइड हार्मोन खुद (टी 3, टी 4) बढ़ाए जाएंगे। एक रोगी को हाइपरथायरायडिज्म होने के लिए, उनके पास उच्च थायराइड हार्मोन का स्तर होना चाहिए। कभी-कभी सभी अलग-अलग थायराइड हार्मोन उच्च नहीं होते हैं और विभिन्न थायराइड हार्मोन में से केवल एक या दो उच्च होते हैं।
हाइपरथायडिज्म के लक्षण (Hyperthyroidism symptoms)
हाइपरथायडिज्म को कुछ नीचे बताये गए लक्षणों के द्वारा पहचान पाना आसान होता है जैसे:
- 1.त्वचा का सेंसटिव होना, अचानक से अधिक सर्दी या अधिक गर्मी लगना।
- 2.त्वचा में अत्यधिक रूखापन आना।
- 3.वजन का बहुत तेज़ी से कम होना।
- 4.आपकी आवाज में परिवर्तन आना।
- 5.गले में सूजन महसूस होना।
- 6.भूख बहुत अधिक लगना।
- 7.मांसपेशियाँ कमजोर होना।
- 8.जोड़ों में दर्द होना।
- 9.मासिक धर्म की अनियमितता।
- 10.बालों का झड़ना।
- 11.अत्यधिक तनाव होना।
- 12.दिल की धड़कन तेज़ होना।
- 13. नींद की कमी।
- 14. रक्त शर्करा में वृद्धि होना।
- 15. मतली और उल्टी आना।
हाइपरथायडिज्म से निजात पाने के लिए सही आहार लेना आवश्यक है। सही डाइट प्लान की सहयता से हाइपरथायडिज्म को नियंत्रित किया जा सकता है।
हाइपरथायडिज्म के कारण (Hyperthyroidism causes)
- 1.शरीर में अत्यधिक आयोडीन पाया जाना।
- 2.अंडाशय में ट्यूमर।
- 3.थायरायड ग्रंथि में ट्यूमर।
- 4.थायरायड गांठों का अत्यधिक रूप से कार्य करना।
ये कुछ मुख्य कारण हैं जिनकी वजह से हाइपरथायडिज्म रोग होता है।
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हाइपरथायडिज्म के लिए आहार (Hyperthyroidism food)
हाइपरथायडिज्म के रोगी अगर नीचे दिए गए आहार को लें तो इससे निजात पाना संभव है और इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
- 1.इस दौरान आपको दवा के लिए डॉक्टर की सलाह लेना होगी।
- 2.इसके साथ ही आप खाने में हरी सब्जियाँ जरुर खाएँ।
- 3.अखरोट का सेवन करें।
- 4.मछली एवं अंडे का सेवन बहुत महत्वपूर्ण है।
- 5.फूल गोभी, ब्रोकली एवं पत्ता गोभी को अच्छे से पका कर खाएँ, इन्हें कच्चा न खाएँ।
- 6.ड्राई फ्रूट का सेवन कर सकते हैं।
हाइपरथायडिज्म डाइट प्लान ((Hyperthyroidism Diet plan)
- हर सुबह गुनगुने पाने के साथ करें।
- नाश्ता- पोहा, दलिया, ओट्स, फल।
- दिन के भोजन में- 2 रोटी, हरी सब्जी, दाल, सलाद और छाछ लें।
- शाम के समय- चाय के साथ बिस्कुट या फिर सूप लें।
- रात का खाना- 1 से 2 रोटी, सब्जी, और दाल लें।
- सोते समय- गर्म दूध।
हाइपरथायडिज्म में इन आहार से दूर रहें (Foods to avoid in hyperthyroidism)
- 1. अतिरिक्त आयोडीन
- 2. मछली
- 3. दूध और डेयरी
- 4. पनीर
- 5. अंडे की जर्दी
- 6. आयोडीनयुक्त नमक
- 7. आयोडीन युक्त पानी
इस प्रकार से हाइपरथायडिज्म को नियंत्रित किया जाना संभव है। साथ ही साथ आप योग एवं व्यायाम करें। डॉक्टर की सलाह जरुर लेते रहें, यह बहुत आवश्यक है। आप अपने सोने एवं उठने का समय निर्धारित करें एवं समय पर सोयें एवं समय पर जागें। हाइपरथायडिज्म से बचने के लिए यह बहुत आवश्यक है। आपको किस प्रकार का थायरायड है इसकी जाँच अवश्य कराएं और समय-समय पर इसकी जाँच करवाते रहें।
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