
देश की राजधानी दिल्ली में भले ही सर्दी सुबह और रात की हो लेकिन चुनावी गर्मी पूरे दिन बनी रहती है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भले ही कोई भी पार्टी विकास, अपने काम या फिर बदलाव के नारे का वादा ठोक रही हो लेकिन जनता तो वोट उसी को देगी, जिसने उसके लिए काम किया होगा। बीते कुछ दिनों से बड़े-बड़े राजनेता धर्म, अर्थव्यवस्था, जेएनयू, जामिया जैसे तमाम मुद्दों पर लोगों को समझाने के अपने प्रयास में जुटे हैं लेकिन इन सबसे दूर दिल्ली के दिल की हालत को किसी पार्टी ने अपना विषय नहीं बनाया है। तमाम बड़े वादों और दावों के बावजूद गंदा पानी, प्रदूषित वातावरण, जहरीली हवा, स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ, बढ़ते रोगों की समस्या का समाधान अभी भी नहीं हो पाया है और न ही नेताओं और उनकी पार्टियों ने इसपर जोर दिया है। 'स्वच्छ दिल्ली, स्वस्थ दिल्ली', 'पर्यावरण बचाओ', 'जल बचाओ जीवन बचाओ' जैसे नारों से आपको अपने आस-पास के बस स्टैंड जगमगाते हुए जरूर दिखाई दे जाएंगे लेकिन सड़कों के बीच लगे पौधे अपनी अंतिम सांसे ले रहे होते हैं या फिर सूख के मर चुके होते हैं। सड़कों पर गंदगी, फैली प्लास्टिक और धूल-मिट्टी पैदल चलने वाले लोगों के लिए किसी जीते-जागते खतरे से कम नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुए ओन्लीमाईहेल्थ ने दिल्ली के वोटरों से यह पता लगाने की कोशिश की स्वास्थ्य का मुद्दा उनके लिए कितना महत्व रखता है। इसके साथ ही हमने उनसे ये भी जानने की कोशिश की उनके स्वास्थ्य से जुड़ी ऐसी कौन सी बात है, जिन्हें आप चाहते हैं कि आपके नेता सुनें और उसे हल करें।
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दिल्ली के वोटर और दिल्ली के स्वास्थ्य पर उनकी राय
सोनिया मलिक, दिल्ली की वोटर और गृहिणी (मिले साफ पानी)
मेरी मुख्य चिंता है राष्ट्रीय राजधानी में पानी की खराब गुणवत्ता। पीने के पानी को स्वच्छ बनाने के लिए हमारे पास आरओ तो है लेकिन नहाने के लिए साफ पानी कहां से लाएं। मुझे आशा है कि इस चुनाव में ऐसी कोई पार्टी आएगी, जो न केवल स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित करेगी बल्कि पानी की गुणवत्ता पर भी उतना ही ध्यान देगी। ये बात जानना बहुत ही जरूरी है कि गंदा पानी सिर्फ पीने से ही नहीं बल्कि उससे नहाने से भी बीमार हो सकते हैं और त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं का शिकार हो सकते हैं।

उर्मिल खन्ना, दिल्ली की वोटर और वरिष्ठ नागरिक (प्रदूषणमुक्त हो दिल्ली)
मुझे अभी भी याद है कि बीते कुछ साल पहले दिल्ली में कितना कम प्रदूषण, कम बीमारियां और कितने कम लोग बीमार हुआ करते थे। मैं ज्यादा वक्त घर में रहती हूं लेकिन फिर भी प्रदूषण का सामना करती हूं, जिसके कारण मुझे पुराने वकत् की याद आ जाती है। मुझे आशा है और मेरी चाहत है कि नई सरकार प्रदूषण को रोकने के लिए उचित कदम उठाएगी। मैं अपने घर में सही से सांस लेने के लिए नेब्यूलाइजर का प्रयोग नहीं करना चाहती हूं। प्रदूषण एक बढ़ती हुई समस्या है और दिल्ली में बरसों पुरानी निवासी होने के नाते मैं एक ऐसा बदलाव देखना चाहूंगी, जिससे गंभीर बीमारियों के कारण में कमी आए।

जलज गुप्ता, दिल्ली के वोटर और छात्र (अनुशासन नीति बनाएं सरकार)
सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों व वहां मौजूद गार्ड का रवैया व अनुशासन बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं होता है। एक तो वैसे ही सरकारी अस्पतालों में इतनी भीड़-भाड़ होती है और वहां मौजूद गार्ड भीड़ कम कराने के बजाए अपने-आप में मस्त रहते हैं। जिस कारण से वहां मौजूद बीमार लोगों को बेवजह की देरी झेलनी पड़ती है। इस भीड़-भाड़ में अक्सर धक्का-मुक्की भी हो जाती है, जिसके कारण कभी-कभार बीमार व्यक्तियों की तबीयत भी बिगड़ जाती है। नई सरकार से मेरी उम्मीद है कि डॉक्टरों व अस्पताल के कर्मचारियों के लिए अनुशासन नीति बनाई जाए ताकि वे बीमार मरीजों के साथ सही से बर्ताव करें।

एजाज अहमद, दिल्ली के वोटर और नौकरीपेशा (लागू हो स्वास्थ्य योजनाएं)
केंद्र और राज्य सरकार के आपसी मतभेद के कारण दिल्ली में आयुष्मान योजना लागू नहीं हो पाई। केंद्र सरकार ने गरीबों के लिए 5 लाख तक के इलाज की छूट दी थी लेकिन दिल्ली में ये योजना लागू नहीं है, जिसके कारण मुझे और मेरे परिवार को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हमें मजबूरन सरकारी अस्पतालों में जाना पड़ता है, जहां पहले से ही इतनी भीड़ है और इलाज के लिए महीनों वक्त लगता है। मुझे उम्मीद है कि नई सरकार के आने पर राज्य और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध दूर होगा और केंद्र की योजना दिल्ली जैसे राज्य में लागू हो पाएगी।

विक्की पंजाबी, दिल्ली के वोटर और छात्र (डॉक्टरों की कमी पूरी हो)
निजी अस्पतालों में डॉक्टरों को दिखाने व उनसे सलाह-मशविरा लेने के लिए मोटी फीस देने पड़ती है जबकि मध्य वर्ग और गरीब तबका इन बड़े अस्पतालों में अपनी समस्या लेकर नहीं जा पाता है। वहीं सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी से लोग परेशान रहते हैं। कभी एक महीने में डेट मिलती है तो कभी डेढ़ महीने में, ऐसी स्थिति में कहां जाएं, कुछ समझ नहीं आता। मेरी दिल्ली में आने वाली नई सरकार से उम्मीद है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को पूरा किया जाए ताकि गरीब और मध्य वर्ग स्वास्थ्य के अपने अधिकार का सही इस्तेमाल कर सके।

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