
ब्रेस्ट कैंसर या स्तन कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें स्तन की कोशिकाओं में अचानक से बढ़ोतरी होने लगती है और ये नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। स्तन कैंसर के विभिन्न प्रकार हैं। वहीं स्तन कैंसर किस प्रकार की कोशिकाओं पर निर्भर करता है, ये कैंसर के सेल्स पर निर्भर करता है। वहीं ब्रेस्ट कैंसर होने के पीछे कई कारण होते हैं। पर हाल ही में आए एक शोध की मानें, तो दूध जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स भी महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को 80% तक बढ़ा सकते हैं। हालांकि, यह डेयरी दूध के सेवन पर निर्भर करता है। ये शोध अमेरिका में लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी की पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। आइए विस्तार से जानते हैं इस शोध के बारे में।
क्या कहता है ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ा ये नया शोध
लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी (Loma Linda University) ने इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी (International Journal of Epidemiology) की इस रिपोर्ट 'Dairy, soy and risk of breast cancer'को प्रकाशित किया है। इस विषय पर गैरी ई फ्रेजर, करेन जैक्लो-सीगल, माइकल ओरलिच, एंड्रयू मशाच, रावीवन सिरिरैट, सिनोवेट नट्सन ने साझा शोध किया है। शोध में इन शोधकर्ताओं ने पाया गया कि कैसे डेयरी दूध के सेवन महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है, जो खपत की गई राशि के आधार पर 80% तक है। शोध से जुड़े गैरी ई. फ्रेजर की मानें, तो- इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि डेयरी दूध पीने के कारण महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होता है। प्रतिदिन 1/4 से 1/3 कप डेयरी दूध का सेवन ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हालांकि स्तन के विभिन्न हिस्सों में स्तन कैंसर शुरू हो सकता है। एक स्तन तीन मुख्य भागों से बना होता है, जिनमें लोब्यूल, नलिकाएं और संयोजी ऊतक आदि शामिल हैं। लोब्यूल्स ग्रंथियां वो होती हैं, जो दूध का उत्पादन करती हैं। नलिकाएं वो हैं, जो दूध को निप्पल तक ले जाती हैं। संयोजी ऊतक (जिसमें रेशेदार और वसायुक्त ऊतक होता है) चारों ओर से घेर लेता है और एक साथ सब कुछ पकड़ लेता है। अधिकांश स्तन कैंसर नलिकाओं या लोबूल में शुरू होते हैं।
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52,795 महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के नए मामले देखे गए
शोध में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित रिपोर्ट के स्टडी के लिए 53,000 उत्तर अमेरिकी महिलाओं के आहार का मूल्यांकन किया गया। इनमें से कई महिलाओं को कभी भी कैंसर नहीं हुआ था। फिर इन महिलाओं पर लगातार आठ साल तक शोध किया गया। इसके बाद शोधकर्ताओं ने प्रतिदिन एक कप दूध पीने से संबंधित जोखिमों को जोड़कर ब्रेस्ट कैंसर के मामलों की स्टडी की। इस तरह शोधकर्ताओं को उनमें 50% तक ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता दिखा। वहीं, प्रतिदिन दो से तीन कप पीने वालों के लिए जोखिम बढ़कर 70 से 80% हो जाता है। स्टडी के दौरान महिलाओं के आहार का 24 घंटे मूल्यांकन किया गया। इसके साथ ही उनके जनसांख्यिकी, ब्रेस्ट कैंसर का पारिवारिक इतिहास, शारीरिक गतिविधियां, शराब की खपत, हार्मोनल और अन्य दवाओं का इस्तेमाल, प्रजनन और स्त्री रोग संबंधी बातों का ध्यान रखा गया। अध्ययन के अंत में देखा गया कि 52, 795 महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले हैं, जो दूध पीने से जुड़े हुए हैं।
दूध पीने से ब्रेस्ट कैंसर कैसे हो सकता है?
दरअसल दूध से ब्रेस्ट कैंसर का संभावित कारण डेयरी दूध का सेक्स हार्मोन कंटेंट पैदा करना हो सकता है। गाय बेशक स्तनपान कराती हैं और अक्सर डेयरी में लगभग 75% गर्भवती होती हैं। महिलाओं में फिर इस तरह का ब्रेस्ट कैंसर हार्मोन संबंधित नजर आता है। इसके अलावा, कुछ रिपोर्टों में डेयरी और अन्य जानवरों के प्रोटीन का सेवन हार्मोन के उच्च रक्त स्तर, इंसुलिन जैसी वृद्धि कारकों को बढ़ा सकती है, जिससे स्तन कैंसर का खतरा बढ़ने का जोखिम है।
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शोध का नतिजा
आहार के विश्लेषण से सोया उत्पादों और ब्रेस्ट कैंसर के बीच कोई स्पष्ट लिंक सामने नहीं आया। शोध में पाया गया है कि डेयरी फैट और कम या नॉनफैट दूध का सेवन करने से भी रिजल्ट में थोड़ी भिन्नता थी। डॉक्टर फ्रेजर के मुताबिक, डेयरी फूड और इसमें भी खासतौर पर दूध ज्यादा खतरनाक हैं। आंकड़े बताते हैं कि सोया दूध को इसके विकल्प के रूप में इस्तेमाल कर खतरा कम किया जा सकता है। यानी कि अगर हम डेयरी दूध की बजाए इसके अन्य विकल्पों का प्रयोग करें, तो ये हमारे सेहत के लिए ज्यादा बेहतर होगा।
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