क्या कोविड वैक्सीन की दो डोज के बाद भी हर 6 महीने में लगवानी पड़ेगी बूस्टर डोज? डॉक्टर से जानें जरूरी बातें

इन दिनों बूस्टर डोज को लेकर काफी चर्चा हो रही है। इसे किसी भी वैक्सीन की एक या दो डोज के बाद लगाया जाता है। चलिए जानते हैं इसके बारे में
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क्या कोविड वैक्सीन की दो डोज के बाद भी हर 6 महीने में लगवानी पड़ेगी बूस्टर डोज? डॉक्टर से जानें जरूरी बातें


देश में कोरोना वायरस (Coronavirus in India) की रोकथाम करने के लिए बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन (Vaccination) अभियान चल रहा है। इस समय देश में कोरोना से बचाव के लिए तीन वैक्सीन (कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक वी) लगाई जा रही है।  वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी बनाकर हमें भविष्य में वायरस के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार करती है । लेकिन इन दिनों बूस्टर डोज को लेकर भी काफी चर्चा चल रही है। चलिए जानते हैं आखिर क्या है बूस्टर डोज?

27 मई को कोविड वैक्सीन पर केंद्र सरकार के टास्क फोर्स के अध्यक्ष और नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा कि विभिन्न टीकों के बाद बूस्टर खुराक की जरूरत पड़ती है। अगर कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज के बाद भी बूस्टर डोज की जरूरत पड़ती है, तो प्रोटोकॉल और दिशा-निर्देश उपलब्ध कर दिए जाएंगे। कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगने के बाद तीसरी डोज लगाने पर चर्चा हो रही है और तीसरी डोज को ही बूस्टर डोज कहा जा रहा है। बूस्टर डोज देने के बाद शरीर में इम्यूनिटी काफी समय तक बनी रहती है। इसके साथ ही अगर कोरोना के नए म्यूटेंट भी आते हैं, तो बूस्टर डोज उसमें भी कारगर साबित हो सकता है।

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क्या कहते हैं डॉक्टर

वॉकहार्ट हॉस्पिटल, मुबंई सेंट्रल के कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर जीनम शाह (Dr Jeenam Shah, Consultant Pulmonologist, Wockhardt Hospital, Mumbai Central) बताते हैं कि बूस्टर डोज को लेकर सरकार की तरफ से अभी तक कोई गाइडलाइंस जारी नहीं हुई है। ऐसे में यह कहना थोड़ा मुश्किल होगा कि बूस्टर डोज लगाया जाएगा या नहीं। और लगाया जाएगा तो कब से इसकी शुरुआत की जाएगी। कोरोना के नए-नए म्यूटेंट निकल रहे हैं, ऐसे में इनसे बचाव करने के लिए बूस्टर डोज लगाने के बारे में रिसर्च तेजी से करनी चाहिए और सरकार को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए। बूस्टर डोज वायरस के नए म्यूटेंट से भी हमारी रक्षा कर सकता है।

क्या है बूस्टर डोज (What is Booster Shot)

डॉक्टर जीनम शाह कहते हैं कि बूस्टर डोज किसी भी वैक्सीन की एक या दो डोज के बाद लगाई जाती है। इसे एक अंतराल के बाद लगाया जाता है। भारत में कोरोना वैक्सीन की दो खुराक दी जा रही है, इन दोनों खुराकों को वैक्सीन की प्राइम डोज कहा जाता है। इसके बाद दी जाने वाली किसी भी खुराक को 'बूस्टर डोज' कहा जाएगा। बूस्टर डोज एंटीबॉडी को फिर से वायरस के खिलाफ लड़ने की क्षमता देता है।

दूसरी बीमारियों में बूस्टर डोज एक या दो साल के अंतराल में लगाया जाता है, लेकिन कोरोना वायरस में इसका अंतराल कितना होगा, इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। डॉक्टर जीनम शाह कहते हैं कि कोरोना वायरस एकदम नई बीमारी है। ऐसे में इस पर अभी काफी रिसर्च होना बाकि है। इसके बाद ही पता चलेगा कि बूस्टर डोज लगेगा, तो उसे कितने समय के अंतराल में लगाया जाएगा।

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बूस्टर डोज क्यों है जरूरी? (Why Booster Dose Is Necessary)

डॉक्टर जीनम शाह बताते हैं कि बूस्टर डोज भी वैक्सीन की डोज की तरह ही होता है। इसमें भी दवा मौजूद होती है। लेकिन इसे वैक्सीन से ज्यादा कारगर माना जाता है। दरअसल, बूस्टर डोज नए म्यूटेंट से बचाव करने में भी कारगर होता है। इसे थोड़े-थोड़े अंतराल में दिया जाता है, जो बीमारी से हमारा बचाव करता है। वैक्सीन लगने के बाद बूस्टर डोज देने से वायरस से भविष्य में आने वाले नए म्यूटेंट से बचाव हो सकता है।

देश में बूस्टर डोज कब लगाया जाएगा और लगाया जाएगा कि नहीं, इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना से बचाव में यह फायदेमंद हो सकता है। बूस्टर डोज कोरोना के नए म्यूटेंट से हमारा बचाव करने में कारगर हो सकता है।

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