खांसी के साथ आ रहा है खून, तो इन 5 बीमारियों के हो सकते हैं संकेत

सोचिये अगर कभी खांसी के साथ आपको खून आने लगे, तो आप कितना घबरा जाएंगे। अगर ऐसा पहली बार हुआ है और खून बहुत थोड़ा आया है, तो आप नजरअंदाज कर देते हैं और सोचते हैं कि अगली बार आएगा तब देखेंगे। मगर आपको बता दें कि खांसी के साथ खून का आना कई गंभीर बीमारियों के शुरुआती संकेत हो सकते हैं।
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खांसी के साथ आ रहा है खून, तो इन 5 बीमारियों के हो सकते हैं संकेत


खांसी एक सामान्य समस्या मानी जाती है जो अक्सर गले में इंफेक्शन या जुकाम-बुखार के साथ हो जाती है। लेकिन सोचिये अगर कभी खांसी के साथ आपको खून आने लगे, तो आप कितना घबरा जाएंगे। तब यही खांसी आपको कोई बड़ी बीमारी लगने लगेगी। अगर ऐसा पहली बार हुआ है और खून बहुत थोड़ा आया है, तो आप नजरअंदाज कर देते हैं और सोचते हैं कि अगली बार आएगा तब देखेंगे। मगर आपको बता दें कि खांसी के साथ खून का आना कई गंभीर बीमारियों के शुरुआती संकेत हो सकते हैं इसलिए इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। आइये आपको बताते हैं कि खांसी के साथ खून आना किन बीमारियों का संकेत हो सकता है।

सामान्य खांसी

खांसी के साथ खून आने पर तुंरत नहीं घबरा जाना चाहिेए क्योंकि ज्यादातर समय ये सामान्य खांसी ही होती है जो चेस्ट इंफेक्शन या ब्रोंकाइटिस के कारण तेज हो जाती है। अगर इन कारणों से खांसी के साथ खून आता है, तो ये घबराने की बात नहीं है। हालांकि खांसी के साथ खून आने पर आपको तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। चेस्ट इंफेक्शन आमतौर पर हवा में मौजूद वायरस के कारण हो जाता है।

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पल्मोनरी एम्बोलिज्म

पल्मोनरी एम्बोलिज्म फेफड़े से जुड़ी एक खतरनाक बीमारी है। ये बीमारी फेफड़ों में रक्त का थक्का जम जाने के कारण होती है। इस बीमारी के कारण खांसी के साथ खून आना, छाती में तेज दर्द होना और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर चोट की वजह से या कम चलने-फिरने की आदत की वजह से पैर या हाथ की अशुद्ध रक्त ले जाने वाली रक्त नलियों में खून के कतरों का जमाव हो जाता है, तो ऐसी अवस्था को डीप वेन थ्रॉम्बोसिस कहते हैं। यह अवस्था पल्मोनरी एम्बोलिज्म होने की संभावना का संकेत है। अगर पैरों की शिराओं में जमा हुए खून के कतरों को सही ढंग और उचित इलाज से नियत्रिंत नहीं किया गया, तो यही खून के कतरे जानलेवा बन जाते हैं।

फेफड़ों का कैंसर

फेफड़ों के कैंसर के कारण भी खांसी के साथ खून आने की समस्या हो सकती है। पूरी दुनिया में होने वाले कैंसरों में सबसे अधिक फेफड़े के कैंसर रोगी ही होते है। इस कैंसर का मुख्य कारण धूम्रपान होता है। फेफड़ों के कैंसर में कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि होती है, जो सबसे अधिक ब्रांकाई में शुरू होती है, और पूरे फेफड़े के ऊतकों में फैलती है। फेफड़े के कैंसर के अन्य लक्षण सांस लेने पर सीटी जैसी आवाज सुनाई देना, खांसते-खांसते मुंह से खून निकलने लगना या भूरे रंग की थूक निकलने लगना, बार-बार निमोनिया या सांस की नली में सूजन आना और संक्रामक रोगों का जल्दी-जल्दी होना, चेहरे, हाथ, गर्दन और उंगलियों में सूजन आना, जी से वजन घटना और भूख में लगातार कमी महसूस होना आदि।

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टीबी

टीबी अर्थात ट्यूबरक्लोसिस एक संक्रामक रोग होता है, जो बैक्टीरिया की वजह से होता है। यह बैक्टीरिया शरीर के सभी अंगों में प्रवेश कर जाता है। हालांकि ये ज्यादातर फेफड़ों में ही पाया जाता है। इस बीमारी के कारण भी खांसी के साथ खून आने की समस्या हो सकती है। टीबी के अन्य लक्षण इस प्रकार हैं- तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी, बुखार (जो खासतौर पर शाम को बढ़ता है), छाती में तेज दर्द, बलगम के साथ खून का आना, सांस लेने में तकलीफ, भूख में कमी आना आदि।

पल्मोनरी एडीमा

पल्मोनरी एडीमा भी फेफड़ों से संबंधित गंभीर बीमारी है। इस बीमारी में फेफड़ों की झिल्लियों में पानी भर जाता है। इस रोग के कारण भी खांसी के साथ खून आने की समस्या हो सकती है। पल्मोनरी एडीमा रोग कई बार फेफड़ों के साथ-साथ दिल को भी प्रभावित करने लगता है तब इसकी गंभीरता बढ़ जाती है। इस रोग में वायुकोश में हवा की जगह तरल पदार्थ भर जाने के कारण ऑक्सीजन खून में मिल नहीं मिल पाता और शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इसी वजह से रोगी को सांस लेने में परेशानी शुरू हो जाती है। पल्मोनरी एडीमा के अन्य लक्षण- साँस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, बलगम में खून आना, अचानक ही बहुत तेजी से साँस लेना, हल्का काम करने में तुरंत हांफ जाना, त्वचा का रंग नीला या हल्का भूरा हो जाना, रक्तचाप का कम हो जाना आदि।

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