एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना को लेकर टेंशन और निराशा के माहौल में जीने को मजबूर है वहीं दूसरी तरफ अभी तक कोरोना की वैक्सीन या दवा इजात नहीं हो पाने के कारण संक्रमण के फैलने का डर भी सता रहा है। डर के इस घने अंधेरे के बीच, ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने लोगों में एक नई उम्मीद जगाई है। जी हां, ऑक्सफोर्ड वैज्ञानिकों ने कोरोना को जड़ से मिटाने के लिए टीका तैयार कर लिया है। इस टीके के तैयार होते ही कोरोना के खात्मे को लगाए जा रहे सभी कयास समाप्त हो जाएंगे।
वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने कोरोना के जड़ से खात्मे के लिए वैक्सीन तैयार कर ली है और इसकी इंसानों पर टेस्टिंग भी शुरू हो रही है। वैज्ञानिकों के इस दावे से ये जानकारी सामने आ रही है कि कोरोना को हराने के लिए करीब-करीब सुपर वैक्सीन तैयार की जा चुकी है।
कोरोना वैक्सीन को बनाने का दावा किया है लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने। हालांकि वैक्सीन के परीक्षण का सबसे जरूरी इम्तिहान होना बाकी हैं। इसका मतलब है कि इस वैक्सीन को अभी इंसानों पर प्रयोग किया जाना बाकी है। किसी भी वैक्सीन को इंसानों पर प्रयोग किए जाने के बाद ही बीमारी के इंजेक्शन की कामयाबी का पता लगाया जाता है। वैज्ञानिकों ने कोरोना से लड़ने वाली इस वैक्सीन को 'चाडॉक्स वन' नाम दिया है।
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आधाकारिक रिपोर्ट के मुताबिक,वैक्सीन के इंसानों पर प्रयोग के पहले चरण में 510 वॉलंटियर्स पर ट्रायल हो रहा है। वहीं दूसरे चरण में वरिष्ठ नागरिकों पर इसका ट्रायल किया जाएगा। उसके बाद तीसरे चरण में करीब 5000 वॉलंटियर पर इस वैक्सीन के प्रभाव को आंका जाएगा। वैक्सीन की कामयाबी के बाद सितंबर माह तक 10 लाख वैक्सीन को इस्तेमाल में लाया जाएगा।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्याल की प्रोफेसर सराह गिलबर्ट का कहना है कि हमारी टीम अनजान बीमारियों पर काम कर रही थी, जिसे हमने डिजीज एक्स नाम दिया था। हमारा मकसद था कि अगर भविष्य में किसी प्रकार की कोई महामारी फैलती है तो हम उसका मुकाबला कर सकें। हमें इस बात को कोई अंदाजा नहीं था कि इतनी जल्दी इसकी जरूरत आन पड़ेगी। हमने इस तकनीक को विभिन्न बीमारियों पर आजमाया है। हम अन्य रोगों पर करीब-करीब 12 क्लिनिकल ट्रायल पहले ही कर चुके हैं। हमें अभी तक अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। बता दें इसकी सिंगल डोज आपकी इम्यूनिटी को बेहतर बनाने के लिए काफी है।
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दुनिया भर में कोरोना की वैक्सीन बनाने का काम चल रहा है और ऐसा माना जा रहा कि इसके इंजेक्शन को बनाने में कम से कम 12 से 18 महीने का समय लग सकता है। लेकिन ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों ने दूसरे देशों से आगे निकलते हुए इंसानों पर वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर दिया है। इस वैक्सीन के खोजकर्ताओं को अपने टीके की सफलता का इतना भरोसा है कि ट्रायल के साथ-साथ दुनियाभर के 7 सेंटरों पर वैक्सीन का उत्पादन भी शुरू किया जा चुका है। इन सात में से एक सेंटर भारत भी है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एड्रियन हिल का कहना है कि हमने इस वैक्सीन को बनाने के लिए बड़े स्तर पर जोखिम लिया है। दुनिया के 7 अलग अलग जगहों पर वैक्सीन को बनाया जा रहा है, जिसमें तीन सेंटर यूके, दो यूरोप, एक चीन और एक भारत का सेंटर है। वहीं ब्रिटेन सरकार ने रिसर्च में किसी प्रकार की कोई बाधा न आए इसके लिए ट्रायल में 210 करोड़ रुपये की मदद भी दी है।
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