भारत में 2 साल से बड़े बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल की मिली मंजूरी

मंगलवार को नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने बताया कि भारत बायोटेक को बच्चों पर क्लिनिकल ट्रायल के लिए DCGI ने अनुमति दे दी है।
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भारत में 2 साल से बड़े बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल की मिली मंजूरी


कोरोना (Covid-19) की दूसरी लहर केवल बड़ों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रही है। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। सरकार इस स्थिति पर काबू पाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है। इसी बीच बीते मंगलवार को नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने एक राहत की खबर दी है। उन्होंने बताया है कि भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन यानी कोवैक्सीन (Covaxin) के क्लिनिकल ट्रायल को 2 से 18 साल के बच्चों पर करने की अनुमति मिल गई है। यह अनुमति ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी डीसीजीआई (Drugs Controller General of India- DCGI) द्वारा दी गई है। अब सवाल ये है कि ये ट्रायल कब शुरू होगा? बता दें कि डॉ. पॉल ने इस विषय पर भी जानकारी दी है। पढ़ते हैं आगे...

कब शुरू होगा क्लिनिकल ट्रायल?

डॉ. वीके पॉल ने बताया कि भारत कोरोना (Covid-19 in India) की दूसरी लहर से जूझ रहा है। वहीं तीसरी लहर से बच्चों को ज्यादा प्रभावित होने की आशंका है। ऐसे में तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए सरकार ने तैयारी शुरू कर दी हैं। डीसीजीआई द्वारा अनुमति प्राप्त ट्रायल 10 से 12 दिनों में शुरू हो जाएगा। इस ट्रायल के लिए कंपनी खुद को पूरी तरह से तैयार कर रही है।

कंपनी ने क्लिनिकल ट्रायल के लिए कब मांगी अनुमति?

भारत बायोटेक ने 11 मई को इस ट्रायल के लिए अनुमति मांगी थी। आवेदन में भारत बायोटेक के दो वैक्सीन का जिक्र था। कंपने ने बताया कि इस ट्रायल के आधार पर हम 2 साल से 18 साल के बच्चों में इम्यूनिटी को बढ़ाने से लेकर अन्य चीजों का आकलन करेंगे। ऐसे दूसरे/तीसरे चरण की अनुमति के लिए अनुरोध किया था। तब इस आवेदन पर सीडीएससीओ यानी केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organisation- CDSCO) की कोविड-19 विषय विशेषज्ञ समिति ने विचार विमर्श किया और यह परिणाम निकाला स्थिति को देखते हुए यह ट्रायल बच्चों पर होना जरूरी है। अब भारत बायोटेक की इस आवेदन पर डीसीजीआई ने भी हरी झंडी लगा दी है।

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बच्चों को समझाएं मास्क और सोशल डिस्टेंस का महत्व

डॉ. पॉल ने बताया कि इस बात में कोई शक नहीं है कि बच्चों को ये वायरस प्रभावित कर रहा है और बच्चो के जरिये भी कोरोना फैल सकता है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि खुद तो मास्क लगाए हीं साथ ही 10 -11 साल के बच्चों को मास्क लगाने के लिए प्रेरित करें। ऐसे समय में बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग का महत्व समझाना जरूरी है।

सिंगापुर के नए स्ट्रेन में कितनी सच्चाई?

हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सिंगापुर में आए कोरोना के नए रूप को लेकर केंद्र सरकार से अपील की थी। उन्होंने कहा था कि बच्चों के लिए कोरोना का यह नया रूप बेहद खतरनाक बताया जा रहा है। इसे भारत में तीसरी लहर के रूप में Yभी देखा जा सकता है। ऐसे में बच्चों के लिए वैक्सीन के विकल्पों को प्राथमिकता दी जाए और सिंगापुर के साथ हवाई सेवाएं तत्काल रूप से रद्द की जाएं। हालांकि अब कोरोना के नए स्ट्रेन की बात को गलत बताया जा रहा है। इसके लिए सिंगापुर इन इंडिया ने ट्वीट किया है।

कुछ अन्य बातें 

1 - बच्चों में कोरोना के लक्षणों की बात करें तो इनमें खांसी, बदन दर्द, सिर दर्द, बुखार, कफ का जमाव आदि शामिल हैं। ये लक्षण आमतौर पर फ्लू या वायरल इंफेक्शन के दौरान भी दिखते हैं। ऐसे में लापरवाही न बरतें और ऊपर बताए गए लक्षण मिलते ही तुरंत कोरोना टेस्ट करवाएं। हालांकि जरूर नहीं है कि ये लक्षण सभी बच्चों में दिख रहे हों। कुछ बच्चों को कोरोना तो है लेकिन लक्षण नहीं हैं।

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2 - कुछ दिन पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने पीडीएफ के जरिये बच्चों के होम आइसोलेशन की रिवाइज्ड गाइडलाइन्स जारी की थी। उस पीडीएफ में बच्चों के इलाज के लिए मैनेजमेंट प्रोटोकॉल की जानकारी भी दी गई है। पीडीएफ देखने के लिए यहां क्लिक करें...

3 - 18 मई, दोपहर 3 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में दो बच्चों की जान संक्रमण के कारण गई। वहीं कर्नाकट में 1 से 16 मई के बीच 19 हजार बच्चे कोरोना से ग्रस्त मिले हैं।  

नोट - ऊपर बताए गए बिन्दुओं से पता चलता है कि बच्चों में संक्रमण ना फैले, इसके लिए सरकार हर मुमकिन कोशिश कर रही है। आने वाले 10 से 12 दिनों में बच्चों पर क्लिनिक ट्रायल भी शुरू होने वाला है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि सरकार का सहयोग करते हुए बच्चों को मास्क और सोशल डिस्टेंसिग का मतलब समझाएं और उन्हें जरूरी प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए प्रेरित करें।

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