सीलिएक एक ऐसा दुर्लभ रोग है। आमतौर पर 100 में से एक व्यक्ति को ये बीमारी होती है जिनमें से बहुतों को इसका पता भी नहीं होता है। हालांकि पिछले कुछ सालों में सीलिएक (celiac) रोगियों की संख्या बढ़ती देखी जा रही है। ये एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति को एक ग्लूटन ग्लूटन (Glueten) नामक प्रोटीन से एलर्जी हो जाती है, जिसके कारण ग्लूटन वाली चीजें खाने पर उसे कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं। ग्लूटन कई ऐसे फूड आइटम्स में पाया जाता है, जिन्हें आम भारतीय घरों में रोजाना इस्तेमाल किया जाता है, जैसे- गेंहू, जौ, सूजी, जाई व कई अन्य खाद्य पदार्थ। ग्लूटन में ग्लाडियन (gliadin) तत्त्व होता है।, जिसकी वजह से ये सीलिएक रोगियों के लिए हानिकारक बन जाता है। ग्लूटन के सेवन से ऐसे लोगों की आंतें कमजोर होने लगती हैं, जिससे रोगी को पेट दर्द, सिर दर्द, स्किन प्रॉब्लम्स व हड्डियों की दिक्कतें होने लगती हैं।
यही कारण है कि सीलिएक रोगियों के लिए खानपान में कुछ चीजों का परहेज बहुत जरूरी हो जाता है और उन्हें अपने खानपान का विशेष ख्याल रखना पड़ता है। सीलिएक रोग में क्या खाया जाए और क्या न खाया जाए व दिन भर का डाइट चार्ट क्या हो, इस पर हमने बात की राष्ट्रीय समाज एवं धर्मार्थ सेवा संस्थान के आयुर्वेदाचार्य डॉ. राहुल चतुर्वेदी से। आइए बताते हैं सीलिएक रोग से जुड़ी जरूरी जानकारियां और सीलिएक रोगियों के लिए पूरे दिन का डाइट प्लान।
कितने प्रकार का होता है सीलिएक रोग
सीलिएक रोग का प्रमुख कारण ग्लूटन नामक प्रोटीन है। इसको दो भागों में बांट सकते हैं-
नॉन सीलिएक रोग
इस रोग में जब व्यक्ति केवल गेहूं, जौं आदि से बना भोजन ही खाता है तब यह परेशानी होती है। क्योंकि ऐसी स्थिति में व्यक्ति अन्य तत्त्वों को खाने से दूर हो जाता है। जब शरीर को गेंहू, जौं को अलावा अन्य प्रोडक्ट नहीं मिलता है तब उसे पेट फूलना, दस्त, पेट में दर्द, अपच, कमजोरी और सुस्ती जैसी परेशानियां दिखने लगती हैं।
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सीलिएक ग्लूटन सेंसिटिव
ग्लूटन से होने वाली परेशानी का दूसरा भाग सीलिएक ग्लूटन सेंसिटिव है। यह रोग जन्मजात होता है। इस रोग में ग्लूटन प्रोटीन पचता नहीं है और छोटी आंतों के म्यूकोसा परत को नुकसान पहुंचाता है। जिससे की उसमें छो-छोटे छेद होने लगते हैं। इस रोग के करीब एक करोड़ पीड़ित हैं।
ग्लूटन से होने वाली अन्य बीमारियां
त्वचा संबंधी रोग
ग्लूटन की वजह से केवल सीलिएक रोग ही नहीं होता है बल्कि त्वचा संबंधी परेशानियां जैसे अग्जीमा, डर्मटाइटिस जैसी परेशानियां भी होती हैं।
मस्तिष्क संबंधी परेशानियां
इसमें माइग्रेन, सिर दर्द, याद्दाश्त का कमजोर होना, थकान और अवसाद होने जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
छोटी आंत संबंधी रोग
सीलिएक रोग में अक्सर छोटी को दिक्कत होती है। इसके अलावा छोटी आंत से संबंधित रोग में डायरिया जैसी परेशानियां भी होती हैं।
बड़ी आंत संबंधी परेशानियां
मलद्वार का फूलना, डोयरिया और कब्ज की शिकायत होने लगती है।
अन्य रोग
ग्लूटन की वजह से रोगी की लंबाई नहीं बढ़ती और रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है।
सीलिएक रोगियों के लिए डाइट चार्ट
आयुर्वेदाचार्य राहुल चतुर्वेदी ने सीलिएक रोगियों के लिए दिन भर का डाइट चार्ट निम्न तरीके से बताया है।
ब्रेकफास्ट
- -धनिए की चटनी के साथ बेस या मूंग की दाल का चीला
- -टमाटर की चटनी के साथ मूंग की दाल व वेजिटेबल इडली
- -पोहा, राइस के साथ हरी सब्जियां जैसे लौकी, बींस आदि ले सकते हैं।
आयुर्वेदाचार्य के मुताबिक सुबह ब्रेकफास्ट में इन तीनों में से कोई एक चीज खा सकते हैं।
दोपहर के लंच से पहले
- -भुने हुए चने का सत्तू, पर इसमें ध्यान यह रहे कि यह जौं की सत्तू न हो, क्योंकि उसमें ग्लूटन होता है।
- -फल जैसे सेव, संतरा आदि ले सकते हैं। इसके अलावा नारियल का पानी भी पी सकते हैं।
दोपहर का लंच
- -एक कटोरी छिलके वाली मूंग की दाल रोजाना खा सकते हैं।
- -एक कटोरी, रेड राइस या सेला चावल मूंग की दाल व हरी सब्जी के साथ खा सकते हैं।
- -एक से दो रोटी बाजरा या मेथी की खा सकते हैं।
- -लगभग 200 से 250 ग्राम गाजर, मूली, चमाटर, खीरा आदि का सलाद खाएं।
- -चुकंदर दोपहर में खाएं।
शाम का स्नैक्स
- -50 से 75 ग्राम भुना हुआ चना, नट्स और भुने हुए चने का सत्तू खा सकते हैं। यह डाइट रोजाना फॉलो की जा सकती है।
रात का डिनर
- -रात के समय सिलीएक रोगी ज्वार या बाजरे का डोसा खा सकते हैं जिसमें हरी सब्जियां जरूरू हों।
- -इसके अलावा मिक्स्ड मिलेट डोसा भी खा सकते हैं।
- -एक सेम प्रतिदिन जरूर खाएं।
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सीलिएक रोगी इन बातों का रखें ख्याल
- जिन लोगों को ग्लूटन से जुड़ी समस्या नहीं हैं उन्हें गेहूं खाना नहीं छोड़ना चाहिए। स्वस्थ लोगों को गेंहूं का आटा लगातार नहीं बल्कि कभी-कभी खाने में इस्तेमाल करना चाहिए।
- जो डाइट चार्ट बताया गया है उसमें भोजन की मात्रा रोगी की उम्र व जरूरत को ध्यान में रखते हुए कम या ज्यादा की जा सकती है।
- सुबह आठ बजे खाना खा लें।
- सीलिएक रोगी अदूषित जई रोजाना खां। यह जई रोगियों को दर्द सहन करने की ताकत देता है।
- इस रोग से बचने के लिए गेहूं, जौं, राई से बचना होगा। इसके अलावा पास्ता, अनाज को भी टाटा बोलना पड़ेगा। जब तक आप ठीक नहीं हो जाते तब तक ऊपर बताई गई डाइट चार्ट को ही फॉलो करें।
- नशीले पदार्थों का सेवन समझदारी से करें।
- बाहर खाना खाते समय अपने डाइट चार्ट का ख्याल रखें।
- सीलिएक रोगियों को चावल का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- सीलिएक रोगी योगाभ्यास जैसे आसन करें। इसके अलावा प्राणायाम और ध्यान कर सकते हैं।
- ऐसे रोगी फल, मांस, डेयरी उत्पाद आदि का सेवन कर सकते हैं।
सीलिएक रोग एक गंभीर समस्या है। यह कई बार जन्मजात तो कई बार किन्हीं और कारणों से होती है। जिन लोगों को सीलिएक रोग की समस्या है उन्हें ऐसे उत्पादों को कम सेवन करना चाहिए जिनमें ग्लूटन प्रोटीन होता है। आयुर्वेद में कहा गया है कि साल के 365 दिन में 80 दिन गेंहू नहीं खाना चाहिए। गेंहू के अधिक उपभोग से सीलिएक रोग होता है। इससे बचने के लिए ऐसे खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए जिनमें ग्लूटन होता है।
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