आज के इस आर्टिकल में हम कोलोनोस्कोपी प्रक्रिया के बारे में जानेंगे। जमशेदपुर के डिमना में प्रैक्टिस करने वाले जनरल सर्जन डॉ. एन सिंह से बात कर जानेंगे कि कोलोनोस्कोपी की जांच प्रक्रिया को करने के दौरान और करने के बाद क्या-क्या परेशानियां व जटिलताएं आ सकती है। ताकि मरीज समय रहते डॉक्टरी सलाह ले सके औ इलाज करवा सके। कोलोनोस्कोपी की जांच प्रक्रिया और इसकी जटिलताओं के बारे में जानने के लिए पढ़ें ये खास आर्टिकल।
क्या है कोलोनोस्कोपी, कैसे की जाती है ये जांच
डॉक्टर बताते हैं कि कोलोनोस्कोपी एक मेडिकल प्रक्रिया है। जिसके अपनाकर डॉक्टर मरीज के शरीर के अंदर कोलोन और रेक्टम को देखते हैं, कई बार उसका उपचार भी करते हैं। डॉक्टर यह जानने की कोशिश करते हैं कि कहीं मरीज के शरीर में अल्सर, जलन, ब्लीडिंग, पॉलिप्स और ट्यूमर तो नहीं। यदि है तो उसका इलाज करते हैं।
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क्या है कोलोनोस्कोप
एक्सपर्ट बताते हैं कि कोलोनोस्कोप एक प्रकार का आधुनिक यंत्र होता है। जिसके ऊपरी छोर पर कैमरा, लाइऱ, प्रेशर से पानी सप्लाई करने के लिए वाटर वॉल्व और सर्जरी करने के लिए आधुनिक उपकरण लगे होते हैं। कोलोनोस्कोप को मरीजे के मल द्वार से शरीर के अंदर डाला जाता है। इसे काफी सावधानी से कोलोन में ले जाया जाता है, उसके बाद सिकम तक इसे ले जाया जाता है। वहीं डॉक्टर मॉनिटर पर देखते हैं कि कहीं मरीज के शरीर में कोई परेशानी तो नहीं। कोलोनोस्कोप को डॉक्टर टर्मिनल एलियम तक पहुंचाकर जांच करते हैं।
कोलोनोस्कोप के ऊपरी छोर पर होती हैं ये चीजें
- यंत्र के ऊपरी छोर पर वीडियो कैमरा लगा होता है, जो सही सही दृश्य खींचकर डॉक्टर को उपलब्ध करवाता है, जिसे डॉक्टर मॉनिटर पर देख बीमारी का पता लगाते हैं
- लाइट लगा होता है, ताकि अंदर के दृश्य साफ-साफ दिखाई दे
- एयर और पानी का चैनल, ताकि अंदर की गंदगी को को साफ कर डॉक्टर बीमारी को साफ साफ देख सकें
- इंस्ट्रुमेंट चैनल होता है, जिसकी मदद से डॉक्टर बॉयोप्सी करने के लिए कुछ हिस्सा निकालते हैं, ताकि कैंसर जैसी बीमारी का पता किया जा सके। या फिर इसी के जरिए जटिल से जटिल ऑपरेशन आसानी से किए जा सकते हैं
लगभग आधे से एकं घंटा लगता है
डॉक्टर बताते हैं कि इस टेस्ट को अस्पताल में किया जाता है। इसे करने में आधे से एक घंटे का समय लगता है। जिसे गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट जैसे स्पेशलिस्ट ही करते हैं। इंस जांच को करने के लिए मरीज को बाएं तरफ करवट लेकर लेटने के लिए कहा जाता है। उसके बाद रेक्टम के जरिए कोलोनोस्कोप डालकर एक्सपर्ट जांच करते हैं। जांच के दौरान डॉक्टर मरीजे का पेट हल्का हल्का दबा सकते हैं या फिर उसे पुजिशन बदलने की सलाह दे सकते हैं। इस दौरान वीडियो में डॉक्टर को शरीर के अंदर की तमाम चीजें साफ-साफ दिखाई देती हैं। उन्हें देखते हुए वो उपचार करता है। इस वीडियो को रिकॉर्ड किए जाने के साथ फोटो खींचने की सुविधा भी होती है।
कोलोन की लाइनिंग की अच्छे से करते हैं जांच
जांच प्रक्रिया में यदि पॉलिप्स दिखते हैं तो डॉक्टर उसे निकाल देता है। यदि ट्यूमर आदि है तो उसका परिक्षण करने के लिए मांस का टुकड़ा ले लेते हैं। स्नेयर पॉलीपेक्टॉमी के जरिए अंदर के मांस को एक्सपर्ट निकालते हैं।
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कोलोनोस्कोपी के बाद आराम करने की देते हैं सलाह
डॉक्टर कोलोनोस्कोपी की जांच करने के बाद मरीज को अस्पताल के ही रेस्ट रूम में आराम करने की सलाह देते हैं। इस दौरान मरीज को गैस क्रैंपिंग का एहसास हो सकता है, लेकिन वो कुछ समय के बाद ठीक हो जाता है। इसके बाद मरीज को इन बातों का रखना होता है ख्याल,
- इस जांच को करवाने के लिए को अहम प्लान नहीं बनाना चाहिए, जैसे आउटिंग या ट्रैकिंग या फिर दोस्तों के साथ पार्टी, ऑफिस का काम करने, जिम जाने आदि
- जांच करवाने के लिए आप किसी दोस्त व रिश्तेदार को अस्पताल बुलाएं जो आपको घर तक लेकर जाए, आप खुद गाड़ी चलाकर अस्पताल से न जाएं
- 24 घंटों तक नियमित आराम लें
- यदि बयोप्सी के लिए भेजा है तो रिपोर्ट आने में कुछ दिन लग सकते हैं। लेकिन कोलोनोस्कोपी के परिणाम जल्द ही आ जाते हैं
- डॉक्टर मरीज के शरीर के अनुसार उसे फिर कब कोलोनोस्कोपी की जांच करवानी है उसकी सलाह देते हैं, वहीं घर में किन-किन सावधानियों को बरतना है उसके बारे में जरूरी सलाह भी देते हैं।
जांच में कुछ जटिलताएं भी हैं
एक्सपर्ट बताते हैं कि वैसे तो ये काफी आधुनिक जांच है लेकिन इसमें कुछ जटिलताएं भी हैं। जैसे यदि कोलोनोस्कोपी के बाद पॉलिप्स या बायोप्सी के लिए मांस निकालने के बाद कुछ रिस्क फेक्टर रहते हैं, यदि जांच को करवाने के बाद आपके साथ भी इसी प्रकार के लक्षण दिखे तो डॉक्टरी सलाह लें।
1. मल द्वार से खून आए
एक्सपर्ट बताते हैं कि कोलोनोस्कोपी के बाद कुछ दिनों तक मल द्वार से खून का रिसाव कम मात्रा में हो सकता है। यदि आपके साथ भी ऐसा हो तो डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए।
2. पेट में दर्द की शिकायत
एक्सपर्ट बताते हैं कि कई लोगों में देखा गया है कि कोलोनोस्कोपिक जांच के बाद उन्हें पेट में दर्द की शिकायत होती है। यदि आपके साथ भी यही हो तो डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए।
>3. हेवी ब्लीडिंग या ये लक्षण दिखे तो इमरजेंसी में कराएं जांच
डॉक्टर बताते हैं कि कोलोनोस्कोपी के बाद यदि आपके पेट में तेज दर्द कर रहा हो या फिर बुखार, सिर चकराना के साथ मल द्वार से काफी मात्रा में ब्लीडिंग हो रही है तो उस स्थिति में डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए।
डॉक्टर से ले सकते हैं पूरी जानकारी
अगर आप भी इस जांच को करवाने वाले हैं तो इसके बारे में हर जानकारी आप डॉक्टर से ले सकते हैं ताकि निसंकोच होकर ये जांच या ट्रीटमेंट करवा सकें। ये जांच पूर्ण रूप से सुरक्षित है। वहीं स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक भी। वहीं स्वास्थ्य से जुड़े आर्टिकल पढ़ने के लिए ओनली माय हेल्थ पर नई नई जानकारी पढ़ते रहें।
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