हाल ही में हुए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि वे बच्चे, जिन्हें गाय के दूध (cow's milk)से एलर्जी हैं उनका पूर्ण विकास नहीं हो पाता है। हालांकि अभी ये अस्पष्ट है कि कैसे ये ट्रेंड मौजूदा बच्चों को प्रभावित करता है। जर्नल ऑफ एलर्जी एंड क्लीनिकल इम्युनोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्षों में इस बात की जानकारी दी गई कि वे व्यस्क या फिर किशोर, जिन्हें गाय के दूध से एलर्जी होती हैं वह सामान्य व्यस्कों की तरह विकसित नहीं हो पाते और उनके विकास में किसी न किसी प्रकार की रुकावटत आती है।
नतीजे अभी स्पष्ट नहीं
अध्ययन के मुताबिक, हालांकि अध्ययन में ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कैसे ये चलन मौजूदा बच्चों के विकास को प्रभावित करते हैं। इसके साथ ही ये भी अस्पष्ट है कि बच्चा कितना लंबा होगा और उसका वजन आगे चलकर कितना होगा।
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अच्छे विकास के लिए गाय का दूध जरूरी
भारत सहित दुनियाभर के हर 13 में से 1 बच्चे को किसी न किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी है और ये यह दूध से लेकर सोयाबीन, शेलफिश, गेहूं, मूंगफली, अंडे, मछली आदि अलवग-अलग प्रकार की हो सकती हैं। इसके पीछे एक कारण ये भी है कि इन एलर्जी का कोई समाधान नहीं है और इस कारण डॉक्टर इन एलर्जी से बचने के लिए बच्चों या फिर व्यस्कों को इन्हें अपनी डाइट से बाहर करने का सुझाव देते हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन का कहना है कि ये भी बच्चों या फिर व्यस्कों में विकास क्षमता कम होने का प्रमुख कारण हो सकता है।
गाय का दूध बहुत जरूरी
गाय का दूध बच्चों में अल्पपोषण की रोकथाम और उपचार के लिए फूड का सबसे जरूरी हिस्सा है। ये बच्चों का विकास करता है लेकिन इस बात की सीमित जानकारी है कि दूध में पाया जाने वाला कौन सा तत्व बच्चों में विकास के प्रभाव को बढ़ाता है। गाय के दूध का बच्चों में विकास पर एक विशिष्ट उत्तेजक प्रभाव होता है फिर चाहे वे बच्चे अच्छी तरह से पोषित ही क्यों न हों और ये उन बच्चों के वजन और उनकी लंबाई को बढ़ाने में मदद करता है, जो अल्पपोषण का शिकार हैं।
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बच्चों के अविकसित होने का खतरा
अध्ययन के मुख्य लेखक और एमडी डॉ. कैरेन रॉबिन्स का कहना है कि कुछ बच्चे बचपन में ही गाय के दूध से एलर्जी से पार पा जाते हैं लेकिन जो ऐसा नहीं कर पाते वे किशोरावस्था में पहुंचकर पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाते हैं और उनके अविकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
क्या कहते हैं निष्कर्ष
अध्ययन से प्राप्त निष्कर्षों को माना जा रहा है कि ये बचपन में बच्चों के विकास पैटर्न के बारे में अध्ययन करने वाला पहला अध्ययन है। नवंबर 1994 से मार्च 2015 तक हुए इस अध्ययन में करीब 191 बच्चे शामिल थे। 191 बच्चों में 111 बच्चे गाय के दूध से जबकि 80 बच्चे नट्स से एलर्जी का सामना कर रहे थे।
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