
कुछ अध्ययनों में पाया गया कि च्यूइंग गम से हमारे मस्तिष्क में अलर्टनेस, चिंता, सीखने की क्षमता में सुधार और भूख पर काबू रहना जैसे अन्य फायदे होते हैं। च्यूइंग गम व मस्तिष्क गतिविधियों के बीच संबंध को भी दर्शाया गया है।
हमें यह लगता है कि च्यूइंग गम एक ऐसी चीज है, जिसे हाल ही में इंसानों द्वारा बनाया गया है, लेकिन हैरत की बात ये है कि ऐसा नहीं है। च्यूइंग गम सदियों से इंसानों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली चीज रही है। इतना ही नहीं पुरातन सभ्यता में भी च्यूइंग गम के बारे में बातें सुनी और पढ़ी गई हैं। शोधकर्ताओं ने जिज्ञासाओं के साथ यह पता लगाने के लिए कई अध्ययन किए कि च्यूइंग गम के अन्य प्रभाव क्या हो सकते हैं। 1939 की शुरुआत में लीटा होलिंग्सवर्थ ने कुछ विस्तृत अध्ययन किए थे और च्यूइंग गम व मस्तिष्क गतिविधियों के बीच संबंध का पता लगाया था। वर्षों के बीतने के बाद च्यूइंग प्रक्रिया और न्यूरो के बीच विस्तृत समझ लोगों के सामने आई। इन अध्ययनों में पाया गया कि च्यूइंग गम से हमारे मस्तिष्क में अलर्टनेस, चिंता, सीखने की क्षमता में सुधार और भूख पर काबू रहना जैसे अन्य फायदे होते हैं।
किस तरह की गम को चबाना चाहिए
इसके क्या प्रभाव हैं यह इस बात पर भी निर्भर करता है। गम के टेक्सचर, फ्लेवर और उसका आकार कुछ कारक है, जिस पर विचार किया जाना चाहिए। च्यूंइग गम का सबसे आम प्रभाव यह है कि ये हमारे मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाती और इसके कारण मस्तिष्क गतिविधियों पर सकरात्मक प्रभाव पड़ता है।
दिमाग में बनाती है केमिकल
च्यूइंग गम चबाने से मस्तिष्क में कुछ विशेष केमिकलों का उत्पादन होता है और यह शारीरिक एक्सरसाइज का एक रूप भी प्रदान करता है, जो रक्त प्रवाह बढ़ाती है और इस कारण हमारे प्रदर्शन में सुधार होता है। इसके अलावा जो हैरान कर देने वाली बात सामने आई है कि अध्ययनों में बताया गया है कि टेस्ट से पहले च्यूइंग चबाने से आपके प्रदर्शन में सुधार होता है लेकिन टेस्ट के दौरान च्यूइंग चबाने से नतीजों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
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कोर्टिसोल स्तर घटाती है च्यूइंग गम
च्यूइंग गम कोर्टिसोल स्तर को कम करने में भी फायदेमंद है और कई अध्ययनों में बताया गया है कि जो लोग निरंतर अंतराल पर च्यूइंग गम खाते हैं वह एंग्जाइटी को बेहतर तरीके से प्रबंधित करते हैं। इसके अलावा वे लोग, जो डिप्रेशन से पीड़ित हैं वे भी इस आसान एक्सरसाइज से जरिए उपचार पा सकते हैं। अध्ययनों में कहा गया है कि च्यूइंग गम प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स के उदर भाग को उत्तेजित करती है, जो अवसाद पैदा करने के लिए जिम्मेदार है।
ध्यान लगाने में फायदेमंद है च्यूइंग चबाना
कार्यस्थलों पर मीटिंग के बीच में अपने ध्यान को बेहतर बनाने के लिए च्यूइंग चबाते हुए देखा जाना कोई नई बात नहीं है। कई अध्ययनों में च्यूइंग चबाने और ध्यान में सुधार, उत्पादकता, दक्षता और बेहतर व्यावसायिकता के बीच संबंध को दर्शाया गया है। जब दिन के अंत में एक सर्वे किया गया तब पाया गया कि वे लोग, जो काम के वक्त च्यूइंग गम चबाते हैं उनमें थकान व तनाव कम और काम के दौरान खुशी का स्तर अधिक रहता है।
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च्यूइंग गम और मस्तिष्क गतिविधियों के बीच संबंध पर अध्ययन
अगले स्तर की पुष्टि के लिए, शोधकर्ता च्यूइंग गम और बेहतर मस्तिष्क गतिविधियों के बीच संबंध को स्थापित करने के लिए ईईजी और एमआरआई स्कैन भी कर चुके हैं। इन अध्ययनों को और पुख्ता बनाने के लिए आने वाले वर्षों में और भी बहुत चीजें होंगी लेकिन च्यूइंग गम के फायदे बहुत हैं इसमें कोई संदेह की बात नहीं है।
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