हर मां अपने बच्चे को हष्ट-पुष्ट खुशहाल जीवन देना चाहती है। जिसके लिए गर्भावस्था के दौरान जच्चा-बच्चा की देखभाल सही तरीके से की जानी चाहिए। गर्भावस्था नारी जीवन की ऐसी अवस्था होती है जब कहा जाता है कि मां बनने पर नारी दोबारा से जन्म लेती है। गर्भावस्था को सुरक्षित व नॉर्मल बनाए रखने के लिए नियमित जांच जरूरी होती है।
गर्भावस्था में नियमित जांच जरूरी होती है जिससे मां की बाहरी दुनिया के साथ-साथ भीतरी दुनिया की भी सही तरह से देखभाल होती रहे। यूं तो डॉक्टर आम व्यक्ति को भी समय-समय पर हेल्थी चेकअप कराने की सलाह देते रहते हैं लेकिन गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर अधिक सतर्क रहने की सलाह देते हैं। जिससे आए दिन होने वाली महामारियों से तो गर्भवती महिला को बचाया ही जा सकें साथ ही किसी भी आने वाले बड़े खतरे को टालने के लिए भी। आइए जानते हैं गर्भावस्था में जांच और किन कारणों से जरूरी होती है।
गर्भावस्था और जरूरी जांच
- गर्भावस्था नारी के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण समय में से एक होता है। इस दौरान महिलाओं के शरीर में उपरी और बाहरी तौर पर कई परिवर्तन होते है जो महिलाओं की समझ से बाहर होते हैं। इन परिवर्तनों व अन्य कारणों से भी लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए और नियमित जांच भी करवानी चाहिए।
- गर्भवती नारी के गर्भावस्था के दौरान लक्षण भी अलग-अलग होते है। इसलिए गर्भावस्था को सुरक्षित व नॉमर्ल बनाए रखने के लिए डॉक्टर की सलाह पर ही चलना चाहिए।
- गर्भावस्था में नियमित जांच जरूरी इसीलिए भी होती है क्योंकि बच्चे के आकार में निरंतर परिवर्तन आता है कई बार इस परिवर्तन और गर्भ में किसी तरह की गड़बड़ी या विकार को रोकन के लिए भी नियमित जांच आवश्यक हो जाती है।
- कई बार जांच के लिए रक्त के नमूनों की आवश्यकता भी पड़ती है। डॉक्टर की सलाह पर अमल करते हुए रक्ति परीक्षण भी समय-समय पर करवाना चाहिए और महामारी के समय जच्चा-बच्चा को सुरक्षित रखने के लिए डॉक्टर के परामर्श पर टीके इत्यादि भी लगवाने चाहिए।
- कई बार सही समय पर डॉक्टरी जांच और परीक्षण कराने से आने वाले खतरों को टाला जा सकता है। हालांकि इस दौरान थोड़ा सा खर्च अधिक होता है लेकिन ये खर्च मां और बच्चे को हेल्दी जीवन देता है।
- देरी से होने वाली प्रेगनेंसी में नियमित जांच और भी जरूरी हो जाती है क्योंकि ये हाईरिस्क प्रेगनेंसी होती है
- नियमित जांच से महिला की नॉर्मल डिलीवरी संभव है।
- नियमित जाँचों के द्वारा ब्लडप्रेशर, मधुमेह, दिल की बीमारियों, जोड़ों की तकलीफ, गुर्दों की बीमारियों को काबू में रखा जा सकता है।
गर्भावस्था की नॉर्मल डिलीवरी और हष्ट-पुष्ट बच्चे के लिए समय-समय पर डॉक्टर की सलाह और नियमित जांच बहुत जरूरी है।
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