Postpartum Hemorrhoids in Hindi: प्रेग्नेंसी के दौरान हर महिला को कई तरह के शारीरिक और मानसिक लक्षणों का सामना करना पड़ता है। प्रेग्नेंसी में हार्मोनल बदलाव के कारण महिलाओं को पेट में दर्द, मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन बना रहता है। लेकिन, इसके साथ ही कुछ महिलाओं को डायबिटीज और बवासीर के लक्षण महसूस हो सकते हैं। दरअसल, शरीर में होने वाले बदलावों से उत्पन्न हुई यह स्थिति ज्यादातर मामलों में डिलीवरी के बाद अपने आप ही ठीक हो जाती है। लेकिन, यह मामले में ऐसा ही हो यह जरूरी नहीं है। कुछ महिलाओं को डिलीवरी के बाद कई तरह की परेशानियां बनी रह सकती हैं। डिलीवरी के बाद की स्थिति को पोस्टपार्टम कहा जाता है। डॉक्टर्स बताते हैं कि इस दौरान भी कुछ महिलाओं को बवासीर की समस्या हो सकती है। पोस्पार्टम बवासी में महिला का गुदा मार्ग सूज जाता है। ऐसे में उनको मल त्याग करते समय जलन या परेशानी हो सकती है। इस लेख में साईं पॉलिक्लीनिक की सीनियर गाइनाक्लॉजिस्ट से जानते हैं कि पोस्टपार्टम बवासीर (Postpartum Hemorrhoids) के क्या कारण होते हैं? साथ ही इसका इलाज कैसे किया जा सकता है?
पोस्टपार्टम बवासीर क्या होती है? - What is Postpartum Hemorrhoids in Hindi
बवासीर यानी पाइल्स एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुदा (Anus) के आसपास की नसें सूज जाती हैं और दर्द, जलन, खुजली या ब्लीडिंग जैसी समस्याएं होती हैं। जब यह स्थिति डिलीवरी के तुरंत बाद या डिलीवरी के समय उत्पन्न होती है, तो उसे पोस्टपार्टम बवासीर कहा जाता है। यह सामान्य रूप से नार्मल डिलीवरी (Vaginal Birth) के बाद होती है लेकिन कुछ मामलों में यह सी-सेक्शन के बाद भी हो सकती है।
पोस्टपार्टम बवासीर के मुख्य कारण - Causes of Postpartum Hemorrhoids in Hindi
हार्मोनल बदलाव
प्रेग्नेंसी और प्रसव के दौरान प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोनों में बदलाव होता है जो रक्त वाहिकाओं को कमजोर करता है, जिससे बवासीर की संभावना बढ़ जाती है।
कब्ज (Constipation)
प्रसव के बाद अक्सर महिलाओं को कब्ज की समस्या हो जाती है। कठोर मल त्याग करने से गुदा क्षेत्र में तनाव बढ़ता है, जो बवासीर का कारण बनता है।
डिलीवरी के समय ज्यादा जोर लगाना
डिलीवरी के दौरान महिला को अत्यधिक जोर लगाना पड़ता है जिससे गुदा क्षेत्र की नसों पर दबाव पड़ता है। इससे बवासीर हो सकती है।
प्रेग्नेंसी के समय मोटापा
गर्भ के अंतिम चरणों में बढ़ा हुआ भ्रूण और यूटेरस पेल्विक नसों पर दबाव डालते हैं, जिससे पाइल्स होने की आशंका रहती है।
डिलीवरी के बाद लंबे समय तक खड़े रहना
प्रसव के बाद लंबे समय तक एक ही मुद्रा में रहना या बहुत देर तक खड़े रहने से भी बवासीर हो सकती है।
पोस्टपार्टम बवासीर का इलाज कैसे किया जाता है? - How To Treat Postpartum Hemorrhoids in Hindi
इस स्थिति में डॉक्टर आपको दवाएं और सर्जरी की सलाह दे सकते हैं. आगे जानते हैं इस बारे में।
सूजन को कम करने वाली क्रीम
डॉक्टर महिला को बाजार में मिलने वाली सूजन और खुजली में राहत के लिए क्रीम्स देते हैं।
पेन किलर दवा
महिला के दर्द को कम करने के लिए पेन किलर दी जा सकती है।
स्टूल सॉफ्टनर
यदि कब्ज की समस्या बनी रहती है, तो डॉक्टर मल को मुलायम करने वाली दवाएं या सप्लीमेंट्स दे सकते हैं।
लेजर या सर्जरी (गंभीर मामलों में)
यदि बवासीर बहुत बड़ी हो गई हो या बार-बार रक्तस्राव हो रहा हो, तो लेजर या हेमोरॉइडेक्टॉमी (बवासीर हटाने की सर्जरी) की सलाह दी जा सकती है।
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इसके अलावा, गुनगुने पानी में बैठने, फाइबर युक्त आहार लेने और पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की सलाह दी जाती है। साथ ही, मल त्याग करते समय जोर न लगाने की सलाह दी जाती है। पोस्टपार्टम बवासीर एक आम लेकिन परेशान करने वाली स्थिति है जो अधिकतर महिलाओं को डिलीवरी के बाद प्रभावित करती है। लेकिन चिंता की बात नहीं है, सही देखभाल, संतुलित आहार, और घरेलू उपायों से इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
FAQ
क्या डिलीवरी के बाद बवासीर अपने आप ठीक हो जाती है?
कई मामलों में हल्की पोस्टपार्टम बवासीर बिना इलाज के 1-2 सप्ताह में ठीक हो जाती है, लेकिन अगर समस्या बनी रहे तो डॉक्टर से सलाह जरूरी है।क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बवासीर की दवाएं लेना सुरक्षित है?
कुछ दवाएं सुरक्षित होती हैं, लेकिन कोई भी दवा लेने से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ या फिजिशियन से सलाह अवश्य लें।क्या नार्मल डिलीवरी में ही बवासीर होती है?
अधिकतर मामलों में नार्मल डिलीवरी में अधिक संभावना होती है, लेकिन सी-सेक्शन के बाद भी कब्ज या हार्मोनल बदलाव के कारण बवासीर हो सकती है।