जब बच्चे का जन्म होता है तो उसके बाद माता-पिता की जिम्मेदारी होती है कि बच्चों को सही परवरिश देना और उनका खास ख्याल रखना। जन्म के शुरुआती दिनों में शिशुओं की विशेष देखभाल की जरूरत होती है। बता दें कि जब बच्चे का जन्म होता है तो उसके बाद उसकी गर्दन बेहद नाजुक होती हैं। इस समय बच्चे का अपनी गर्दन का कोई कंट्रोल नहीं रहता। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी होती है कि बच्चे की गर्दन को सही पोजीशन में रखना जरूरी है। आमतौर पर शिशु अपनी गर्दन में नियंत्रण धीरे-धीरे पाते हैं लेकिन जब बच्चे ये नियंत्रण खो देते हैं तो यह समस्या टोर्टीकोलिस कहलाती है। आज का हमारा लेख भी इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि बच्चों में टोर्टीकोलिस के क्या कारण होते हैं साथ ही इसके कारण, लक्षण और बचाव भी जानेंगे। पढ़ते हैं आगे...
शिशु या छोटे बच्चे में टोर्टीकोलिस के लक्षण
1 - बच्चों के सर में दर्द होना
2 - बच्चों को उल्टी आने जैसा महसूस करना
3 - गर्दन की मांसपेशियों में सूजन आ जाना
4 - शरीर में कंपन महसूस करना
5 - गर्दन में अकड़न दर्द महसूस।
6 - बच्चों को बुखार की शिकायत होना।
7 - बच्चों को संक्रमण होना
8 - गर्दन की मांसपेशियों का कठोर हो जाना।
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शिशुओं में टोर्टीकोलिस के कारण
अगर इसके मुख्य कारणों की बात की जाए तो जब बच्चों की पोजीशन सही नहीं होती है तब यह समस्या हो सकती है। वही यह समस्या जोनेटिक भी हो सकती है। इससे अलग जब मामला गंभीर हो जाता है तो गर्दन के दोनों और एक लंबी मांसपेशियां होती है जो कान के पीछे से कॉलर बोन तक जाती हैं जब वह क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तब भी यह समस्या हो सकती है। बच्चे की गर्दन में किसी प्रकार के ट्यूमर के कारण यह समस्या हो सकती है। चूंकि यह समस्या मांसपेशियों से संबंधित हैं ऐसे में गर्दन में खिंचाव के कारण भी ये समस्या हो सकती है। इससे अलग जब गर्दन तक मांसपेशियों में ब्लड की सप्लाई सही से नहीं हो पाती तब भी यह समस्या हो सकती है।
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बच्चों में टोर्टीकोलिस का उपचार
1 - सबसे पहले तो बच्चों की पोजीशन का ध्यान रखें। साथ ही अगर बच्चों का गर्दन की मांसपेशियां अकड़ गई हैं तो उन्हें स्ट्रेच करने की कोशिश करें।
2 - ब्लड टेस्ट के माध्यम से डॉक्टर टॉर्टिकॉलिस से जुड़ी अन्य मेडिकल कंडीशन का पता लगाते हैं।
3 - इससे अलग वह बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री भी चैट करते हैं और यह जानना चाहते हैं कि गर्भावस्था के दौरान बच्चे की पोजीशन ठीक थी या नहीं।
4 - इससे अलावा डॉक्टर जन्म के समय बच्चे के मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी का पता लगाते हैं।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि बच्चों या शिशुओं में टॉर्टिकॉलिस की समस्या होने पर कई लक्षण नजर आते हैं। ऐसे में अगर लक्षण नजर आएं तो समय रहते डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। साथ ही अपने बच्चे की गर्दन की सही पोजीशन का ध्यान रखना आपकी जिम्मेदारी है। ऐसे में बच्चे को पकड़ते वक्त अपना हाथ उसकी गर्दन के नीचे लगाएं।
इस लेख में इस्तेमाल की जानें वाली फोटोज़ Freepik से ली गई हैं।
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