नेल फंगस एक या एक से अधिक नाखूनों में होने वाला फंगल संक्रमण है। नेल फंगस का संक्रमण अपने अंगुली के नाखून या पैर के नाखून की नोक के नीचे एक सफेद या पीले रंग के धब्बे के रूप में शुरू हो सकता है। जैसे-जैसे नेल फंगस अपके नाखून में गहराई तक फैलता जाता है, आपके नाखूनों का रंग बिगाड़ने, किनारों का मोटा होना और एक भद्दा और संभवतः दर्दनाक समस्या का कारण बन जाता है।
सही समय पर इलाज व देखभाल न की जाए तो नेल फंगस के संक्रमण का इलाज करना मुश्किल हो सकता है। और यह बीमारी दोबारा भी हो सकती है। हालांकि नेल फंगस को खत्म करने के लिए दवाएं उपलब्ध हैं। ब्रिटेन में 10,000 लोगों पर किये गए एक बड़े सर्वेक्षण में पता चला कि कुल 2.71 प्रतिशत आबादी में नेल फंगस मौजूद है। जबकि फिनलैंड में और संयुक्त राज्य अमेरिका के हालिया सर्वेक्षणों के अनुसार कुल आबादी के 7 से 10 प्रतिशत लोग इस समस्या से प्रभावित हैं।
सामान्यत सभी प्रतिदिन अपने चेहरे पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन पैरों को नजरअंदाज कर देते हैं, खासतौर पर अपने नाखूनों को। यह मोटे शरीर वालों/ डायबिटीज के रोगियों के लिए अधिक हानी कारक सिद्ध हो सकी है। लेकिन यह जरुरी है कि हम सब स्वयं के और छोटे बच्चों के पैरों और नाखूनों का पूरा खयाल रखें, नहीं तो फफूंद के संक्रमण से नाखूनों में दर्द वाले घाव आदि हो सकते हैं।
फंगल या फफूंद एक परजीवी है, फंगल के एक रूप को अक्सर बरसात के बाद दीवारों पर सफेद काले रूप में जमा हुआ देखा जा सकता है। इसी प्रकार जब भी नाखूनों में सफाई की कमी होती है तो फंगल संक्रमण हो सकता है।
नेल फंगस के प्रकार
नेल फंगस के विभिन्न वर्गीकरण हैं जोकि फंगस और अभिव्यक्ति के प्रकार पर निर्भर करता है। इसके कुछ अलग संकेत और लक्षण हो सकते है। यदि आपको नाखूनों में निम्न में से कोई लक्षण दिखाई दे तो आपको नेल फंगस हो सकता है।
- नाखून मोटे होना।
- नाखूनों का भंगुर होना, बिखरना या टुकड़े होना।
- आकार में विकृत
- नाखूनों की चमक खोना
- पीला पन आना या काला दाग होना।
- संक्रमित नाखून जड़ से भी अलग हो सकते हैं।
नेल फंगस से कैसे बचें
नायलोन के मोज़ों की जगह हमेशा सूती मोजे ही प्रयोग करें। गीले मोज़ों को बदलने में देरी ना करें। पैरों की सफाई का भी हमेशा विशेष ख्याल रखें। इसके लिए आप डिटोल /फिटकरी आदि का प्रयोग कर सकते हैं । आप पैडीक्योर का भी सहारा ले सकते हैं। गीले पैरों और नाखूनों को ठीक प्रकार से साफ करने के पश्चात उन्हें सुखाना कभी ना भूलें क्योंकि नमी या गीलापन से फफूंद जल्दी होती है। कार्यालय आदि स्थानों पर जहां बैठना हो पैरों को कुछ देर के लिए खुला रखें और हवा लगने दें|
हफ्ते में एक दिन जूतों को कुछ देर धूप में रखें, जिससे उसमें मौजूद सूक्ष्मजीवी या फफूंद नष्ट हो जायें और नमी भी पूरी तरह से सूख जाये। बरसात में डायबिटिक फुट की समस्याएं ज्यादा बढ़ जाती हैं और अस्थमैटिक्स में फंगस वाले जूतों से संक्रमण की संभावना भी अधिक हो जाती हे| आपके पैर पर आपके शरीर का पूरा ढांचा खड़ा होता है। थोड़ा सा समय अपने पैरों की सफाई के लिए रोज निकालेंगे तो आप फंगस या फफूंद से होने वाले किसी भी प्रकार के संक्रमण से बच सकेंगे। कठोर साबुन का प्रयोग ना करें।
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