
बदलती जीवनशैली और असंतुलित खानपान की वजह से तो लाखों लोग दिल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो ही रहे हैं लेकिन उसके साथ तमाम लोग ऐसे भी हैं जिनको दिल से जुड़ी बीमारियों कई अन्य कारणों से भी हो रही हैं। दिल की बीमारियों का एक प्रमुख कारण परिवार में किसी को दिल से जुड़ी पुरानी बीमारी भी हो सकता है। हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री के चलते कई लोग हार्ट अटैक, हार्ट स्ट्रोक और हार्ट फेलियर जैसी समस्याओं से ग्रसित हो रहे हैं। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के मुताबिक हार्ट से जुड़ी बीमारी से ग्रसित किसी भी व्यक्ति को अगर 55 साल की उम्र से पहले हार्ट अटैक, स्ट्रोक या हार्ट फेलियर होता है तो उसके परिवार में भी इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। यानि अगर आपके परिवार में हार्ट से जुड़ी बीमारी से पीड़ित व्यति पहले से हैं और उनकी उम्र 55 साल से कम है तो इसकी वजह से आपको भी हार्ट से जुड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease) जो कि आनुवांशिक बीमारी है इसकी वजह से भी हार्ट से जुड़ी बीमारियों की फैमिली हिस्ट्री बनती है। क्या परिवार में हार्ट डिजीज की हिस्ट्री होने पर आप यानी अगली पीढ़ी को इससे बचाया जा सकता है? क्या हार्ट की बीमारी के अनुवांशिक खतरे को कम किया जा सकता है? आइये जानते हैं एक्सपर्ट डॉक्टर से।
हार्ट की बीमारी के अनुवांशिक खतरे (Genetic Risk of Heart Disease)
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हार्ट से जुड़ी तमाम समस्याएं आनुवंशिक कारणों से भी होती हैं। जिन लोगों के परिवार में 55 साल से कम उम्र वाले लोगों को दिल की बीमारी होती हैं उनके परिवार में हार्ट अटैक, हार्ट स्ट्रोक या हार्ट फेलियर की समस्या का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि इस स्थिति में आप चीजों को बदल नहीं सकते हैं क्योंकि ऐसी समस्या का खतरा आपको आनुवंशिक कारणों से है। गोंडा स्थिति जिला अस्पताल के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ आर के यादव के मुताबिक दिल की बीमारियों के आनुवंशिक खतरे के कई घटक होते हैं। कई स्थितियां इस खतरे को ट्रिगर करने का काम कर सकती हैं। 50 से अधिक ऐसे ज्ञात जेनेटिक मार्कर हैं जो दिल की बीमारियों से जुड़े हैं। कार्डियोलॉजी सेक्शन चीफ, नॉर्थसाइड हॉस्पिटल के डॉ प्रद्युम्न तुम्माला के अनुसार दिल की बीमारी की फैमिली हिस्ट्री होने के बाद उसका खतरा कई कारणों पर निर्भर करता है। कई ऐसे कारक हैं जो हृदय की मांसपेशियों को प्रभावित करने का काम करते हैं। दूसरे शब्दों में, यदि आपके माता-पिता ने हाई सोडियम, हाई फैट, हाई शुगर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन किया है, तो आपके भी वही खाने की संभावना रहती है। तो इसलिए सिर्फ पारिवारिक इतिहास होने से ही दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा नहीं रहता है।
क्या हार्ट की बीमारी के अनुवांशिक खतरे को कम कर सकते हैं? (Can We Outwit Our Heart Disease Genes?)
अगर आपके परिवार में दिल से जुड़ी बीमारियों का इतिहास रहा है तो इसका सीधा मतलब यह नहीं है कि आपको भी दिल से जुड़ी बीमारियां होंगी। हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री होने पर आपमें दिल से जुड़ी बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है लेकिन दिल से जुड़ी बीमारियां होने कि संभावना अलग-अलग फैक्टर्स पर निर्भर करती है। फैमिली हिस्ट्री होने पर दिल की बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए बहुत से उपाय हैं जिनको अपनाकर आप आनुवांशिक कारणों से होने वाले दिल के रोगों के जोखिम से बच सकते हैं। दिल से जुड़ी बीमारियों में फैमिली हिस्ट्री यानी आनुवांशिक कारणों के अलावा कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, शुगर और आपके वजन जैसे कई फैक्टर्स काम करते हैं।
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न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (एनईजेएम) में 2016 के एक अध्ययन में कहा गया है कि आपकी जीवनशैली अगर अच्छी है तो आप दिल से जुड़ी बीमारियों के आनुवांशिक खतरे को कम कर सकते हैं। इस रिसर्च के मुताबिक अगर आप स्वस्थ रहने के सामान्य प्रयास भी अपनाते हैं तो आपको आनुवांशिक कारणों से दिल की बीमारियों का खतरा 50 प्रतिशत तक कम हो सकता है। इस अध्ययन में कहा गया है कि धूम्रपान न करने, बॉडी मॉस इंडेक्स को संतुलित रखने और रोजाना शारीरिक रूप से फिट रहने के लिए एक्सरसाइज या योग का अभ्यास करने और स्वस्थ व संतुलित भोजन करने से आप इस खतरे को कम कर सकते हैं।
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खानपान, शारीरिक रूप से एक्टिव रहने और शराब का सेवन व धूम्रपान न करने से आप दिल से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को 50 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। परिवार में हार्ट डिजीज की हिस्ट्री होने पर इससे बचाव के लिए डॉक्टर से जानकारी ले सकते हैं। ऐसी स्थिति में दिल से जुड़ी बीमारियों के लक्षण दिखने पर तुरंत जांच और इलाज कराना चाहिए। याद रखें आनुवांशिक कारणों से होने वाली दिल की बीमारी में बचाव ही एकमात्र उपाय है।
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