
जब आप सही और पर्याप्त पोषण युक्त डाइट नहीं लेते हैं तो इससे आपको आंखों से जुड़ी कई समस्याएं शुरु हो सकती है। इसमें धुंंधला दिखाई देना या पास व दूर का दिखाई देने में परेशानी होना भी शामिल है। ठीक इसी तरह केराटोकॉनस भी एक आंखों से जुड़ी समस्या है। इसमें कॉर्निया की परत पतली होकर किसी शंकु (Cone) की तरह गोल हो जाती है। इस बदलाव की वजह से कॉर्निया की सामान्य गोलाकार बनावट खराब हो जाती है, ऐसे में व्यक्ति को धुंधला दिखाई देना और सही तरह से दिखाई न देने की समस्या का सामना करना पड़ता है। केराटोकॉनस की समस्या (Keratoconus) किसी भी व्यक्ति में धीरे-धीरे बढ़ती है। इसकी बढ़ने की गति इतनी धीमी होती है कि इसे शुरुआती दौर में पता लगाना मुश्किल होता है। इस लेख में यशोदा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल कौशाम्बी के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र सिंह से जानते हैं कि क्या केराटोकॉनस के बाद विजन को दोबारा प्राप्त (Can vision be reversed after keratoconus treatment) किया जा सकता है।
केराटोकॉनस के कारण होते हैं?- Keratoconus Causes In Hindi
केराटोकॉनस के पीछे का सही कारण अब तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है। हालांकि, कई कारक इस रोग में योगदान कर सकते हैं। इनमें जेनेटिक कारक, आंखों को बार-बार रगड़ना, पर्यावरणीय कारण, और कुछ मेडिकल कंडीशन शामिल हो सकती हैं। यह स्थिति आमतौर पर किशोरावस्था में शुरू होती है और 30 की उम्र तक बढ़ सकती है।
केराटोकॉनस के उपचार के विकल्प - Keratoconus Treatment in hindi
केराटोकॉनस का उपचार उसकी गंभीरता और रोग की प्रगति पर निर्भर करता है। प्रारंभिक अवस्था में, विजन को सुधारने के लिए चश्मा और सॉफ्ट कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, जैसे-जैसे समस्या बढ़ती है, साधारण चश्मा और लेंस प्रभावी नहीं रहते।
रिजिड गैस पर्मेबल (RGP) लेंस: ये लेंस कॉर्निया को सपोर्ट प्रादन करते हैं। साथ ही, कॉर्निया की असमानता को कम करने में मदद करते हैं, जिससे दृष्टि सुधार हो सकती है।
कॉर्नियल कोलाजन क्रॉस-लिंकिंग (CXL): यह एक नवीन तकनीक है जिसमें कॉर्निया को स्थिर करने के लिए अल्ट्रावायलेट ए (UVA) किरणों और रिबोफ्लेविन (विटामिन B2) का उपयोग किया जाता है। CXL कॉर्निया की बनावट को मजबूत करता है और केराटोकॉनस की प्रगति को रोकता है। हालांकि, यह इलाज दृष्टि को दोबारा सुधारने में सक्षम नहीं होता, लेकिन यह रोग की प्रगति को रोक सकता है।
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट्स (ICRS): यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें कॉर्निया के अंदर छोटे प्लास्टिक के रिंग लगाए जाते हैं। ये रिंग कॉर्निया के आकार को ठीक करने में मदद करते हैं, जिससे दृष्टि में सुधार हो सकता है।
लेंस प्रत्यारोपण (Lens Transplant): केराटोकॉनस के गंभीर मामलों में, डॉक्टर लेंस प्रत्यारोपण की सलाह दे सकते हैं। इसमें कॉर्निया के अंदर आर्टिफिशियल लेंस डाले जाते हैं, जो दृष्टि में सुधार कर सकते हैं।
कॉर्नियल ट्रांसप्लांट: यदि अन्य उपचार सफल नहीं होते हैं और केराटोकॉनस बहुत गंभीर हो जाता है, तो कॉर्नियल ट्रांसप्लांट (आर्टिफिशियल कॉर्निया ट्रांसप्लांट) किया जा सकता है। यह प्रक्रिया दृष्टि को दोबारा सही करने में मदद कर सकती है, लेकिन इसके अपने जोखिम होते हैं।
क्या केराटोकॉनस के बाद दृष्टि को पूरी तरह से दोबारा प्राप्त किया जा सकता है? - Can Vision Be Reversed After Keratoconus Treatment in Hindi
केराटोकॉनस के इलाज से दृष्टि में सुधार संभव है, लेकिन इसे पूरी तरह से ठीक करना चुनौतीपूर्ण है। प्रारंभिक अवस्था में उपचार से रोग की प्रगति को रोककर दृष्टि को सुधारने में मदद मिल सकती है, लेकिन एक बार जब कॉर्निया की संरचना में गंभीर बदलाव आ जाते हैं, तो दृष्टि को पूरी तरह से दोबारा सही करना मुश्किल हो सकता है।
इसे भी पढ़ें : आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए फॉलो करें ये 6 टिप्स, मिलेगा फायदा
केराटोकॉनस दृष्टि को प्रभावित करने वाला नेत्र रोग है और इसके उपचार की प्रक्रिया जटिल होती है। इसका इलाज रोग की गंभीरता के आधार पर तय किया जा सकता है। इसलिए, प्रारंभिक अवस्था में ही केराटोकॉनस की पहचान और उचित उपचार कराना महत्वपूर्ण है, ताकि विजन लॉस को रोका जा सके और विजन को सुधारने में मदद मिल सके।
Read Next
फोन या लैपटॉप का करते हैं ज्यादा इस्तेमाल? जानें स्क्रीन टाइम आंखों को कैसे पहुंचाता है नुकसान
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version