Can obesity cause prostate cancer: प्रोस्टेट की ग्रंथियों में जब अनियंत्रित तरीके से कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं, तब प्रोस्टेट कैंसर होने लगता है। यह अखरोट के आकार की ग्रंथि होती है, जो मूत्राश्य के नीचे पाई जाती है। प्रोस्टेट का मुख्य काम वीर्य उत्पादन करने का है। वैसे तो प्रोस्टेट कैंसर को होने और शरीर में फैलने में समय लगता है, लेकिन समय रहते इसका पता चलने पर इलाज काफी आसान हो जाता है। हालांकि भारत में प्रोस्टेट कैंसर के मामले ज्यादा नहीं है। डब्लूएचओ (WHO) और ग्लोबल कैंसर ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी (Global Cancer Observatory) रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में भारत में प्रोस्टेट कैंसर के 38 हजार मामले पाए गए थे। हालांकि मामले ज्यादा नहीं हैं, लेकिन समस्या यह है कि पुरुषों में मोटापा होने की वजह से इलाज में जटिलताएं आती हैं। इसके अलावा, मोटापे की वजह से प्रोस्टेट कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं और इसी की वजह से इलाज में भी दिक्कत हो रही है। प्रोस्टेट कैंसर और मोटापे का लिंक और इससे होने वाली परेशानियों के बारे में हमने पुणे के जुपिटर अस्पताल के ऑनकोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ. प्रतीक पाटिल से बात की।
मोटापे से हो सकता है प्रोस्टेट कैंसर?
स्टडी के अनुसार, मोटापे की वजह से प्रोस्टेट कैंसर के दोबारा होने की आशंका बढ़ जाती है और इसके इलाज में भी दिक्कते आती हैं। इस बारे में डॉ. प्रतीक पाटिल कहते हैं, “ क्लिनिकल रिसर्च में पाया गया है कि जो लोग मोटापे से पीड़ित होते हैं, उनमें प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना अन्य लोगों से 10 फीसदी ज्यादा होती है। दरअसल, जिन लोगों को सेंट्रल ओबेसिटी होती है, उनके शरीर के सेंटर के अंगों पर प्रभाव पड़ता है। शरीर के सेंटर के अंगों में प्रोस्टेट भी शामिल है। इसलिए मोटापे का प्रेशर प्रोस्टेट पर भी पड़ता है। इससे कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है।” NCBI रिपोर्ट के अनुसार, मोटे पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर से मृत्यु का जोखिम बहुत बढ़ जाता है। इसलिए डॉक्टर मानते हैं कि जो लोग मोटे हैं और अगर उनकी फैमिली हिस्ट्री है, तो उन्हें लक्षणों पर खास नजर रखनी चाहिए। अगर पेशाब करने में दिक्कत आए या फिर बार-बार जाना पड़े, पेशाब में खून आए, तो प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना हो सकती है। डॉक्टर कहते हैं कि ऐसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें, बल्कि तुरंत डॉक्टर से मिलें।
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प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में मोटापा बनता है मुश्किल
इस बारे में डॉ. प्रतीक कहते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन कम करने की सलाह दी जाती है। जब मोटापे से पीड़ित रोगी इलाज के लिए आता है, तो उसका इलाज काफी जटिल हो जाता है। दरअसल, प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में जो इंजेक्शन लगाए जाते हैं, वह त्वचा में लगते हैं। मोटापे के कारण त्वचा से दवाइयां बहुत कम अवशोषित होती है। इस वजह से दवाइयों का असर कम रहता है और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन कम नहीं हो पाते। यही कारण है कि प्रोस्टेट कैंसर कंट्रोल नहीं होता।
डॉ. प्रतीक कहते हैं कि मरीज का प्रोस्टेट कैंसर किस स्तर पर है, उसकी उम्र कितनी है और उसकी सेहत कैसी है, इन सभी को देखते हुए मरीज का इलाज किया जाता है। वैसे आमतौर पर प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और हार्मोनल थेरेपी दी जाती है। लेकिन इसका फैसला डॉक्टर रोगी की स्थिति देखकर करते हैं।
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प्रोस्टेट कैंसर से बचाव
डॉ. प्रतीक कहते हैं कि पुरुषों को प्रोस्टेट कैंसर से बचने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे जरूरी है कि मोटापे से बचना चाहिए, खासतौर से पेट पर चर्बी जमा न होने दें। अपने बॉडी मास इंडेक्स (BMI) को 30 से ज्यादा न होने दें। इससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, इन आदतों को जीवन में अपनाना चाहिए।
- जंक फूड खाने से बचें।
- शराब और तंबाकू के सेवन न करें।
- रेड मीट लेने से बचें।
- संतुलित और पौष्टिक भोजन करें।
- स्ट्रेस मैनेज करना सीखें।
- पीठ में दर्द और मूत्र संबंधी समस्या होने पर डॉक्टर से मिलें।
डॉक्टर कहते हैं कि किसी भी तरह के कैंसर से बचने के लिए मोटापे को काबू करना जरूरी है, और प्रोस्टेट कैंसर भी इससे अछूता नहीं है। इसलिए वजन को कंट्रोल में रखें और परिवार में अगर किसी को प्रोस्टेट कैंसर हुआ है, तो समय-समय पर चेकअप जरूर कराएं।
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